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इफ्फी ने थाईलैंड की अति विचित्र फिल्म 'अ यूजफुल गोस्ट' के साथ अंतर्राष्ट्रीय खंड का यादगार  समापन किया


जब लव वैक्यूम क्लीनर के रूप में लौटता है: एक मनमोहक अलौकिक कहानी का निर्माण

निर्देशक रत्चपूम और उनकी टीम ने फिल्म की दृश्यात्मक चंचलता और भावनात्मक सार को विस्तार से बताया

इफ्फी में अंतर्राष्ट्रीय खंड के समापन के लिए इससे अधिक यादगार कुछ नहीं हो सकता था। थाईलैंड की ओर से आधिकारिक ऑस्कर प्रविष्टि और कान्स में ग्रॉंप्री विजेता फिल्म 'अ यूज़फुल गोस्ट' की टीम ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बहुचर्चित फिल्म के स्वर को दर्शाते हुए हास्य, उदासी, सामाजिक टिप्पणी और रहस्य का एक दुर्लभ मिश्रण पेश किया।

निर्देशक रत्चपूम बूनबंचचोक, एसोसिएट प्रोड्यूसर तनाडे अमोरनपियालर्क, अभिनेता विसारुत होमहुआन और सिनेमैटोग्राफर सॉन्ग पासिट ने मंच पर एक ऐसी कहानी की अजीब, कोमल दुनिया को उजागर किया, जिसमें एक शोकग्रस्त पति अपनी मृत पत्नी का पुनर्जन्म एक वैक्यूम क्लीनर के रूप में पाता है।

"किसने सोचा था कि एक बेतुका विचार इतनी दूर तक पहुच सकता है?" — रैचपूम

फिल्म की वैश्विक यात्रा पर बात करते हुए निर्देशक रैचपूम ने अपने अविश्वास और खुशी को साझा किया :

"किसने सोचा होगा कि इतने बेतुके विचार वाली एक फिल्म इतनी दूर तक जा सकती है और इतने सारे लोगों तक पहुंच सकती है?" उन्होंने बताया कि फिल्म की शुरुआत एक भूत के मानव रूप में दिखने वाले पारंपरिक चित्रण से हुई थी। लेकिन यह विचार साधारण लगा। तभी उन्होंने असामान्य को अपनाया: एक भूत जो वैक्यूम क्लीनर के रूप में पुनर्जन्म लेता है।

उन्होंने बताया कि यह विचित्र चुनाव प्रतीकात्मक भी था। "धूल प्रदूषण, जो थाईलैंड में एक बहुत ही वास्तविक समस्या है और यही प्रदूषण फिल्म में मुख्य पात्र की जान ले लेता है। वैक्यूम क्लीनर उसकी मौत के कारण का एक काव्यात्मक जवाब बन जाता है।" रत्चपूम ने यह भी साझा किया कि उन्होंने दुनिया भर में भूतों के चित्रण का अध्ययन करने में काफ़ी समय बिताया, जिनमें भारी मेकअप से लेकर सूक्ष्म अदृश्य उपस्थितियां शामिल हैं और अंततः वे किसी अजनबी, शांत और ज़्यादा अंतरंग चीज की ओर आकर्षित हुए। इस निर्णय ने अप्रत्याशित साइंस फिक्शन तत्वों को जन्म दिया, जिसे उन्होंने मजाकिया लहजे में स्वीकार किया कि यह किसी सचेत योजना का हिस्सा नहीं था।

"सिनेमाटिक न होने से न डरें" - सिनेमैटोग्राफ़र सॉन्ग पासिट

सिनेमैटोग्राफ़र सॉन्ग पासिट ने फिल्म की दृश्य भाषा को गंभीरता और मूर्खता के बीच एक जानबूझकर किया गया नृत्य बताया। उन्होंने कहा, "हमारा मार्गदर्शक विचार था 'सिनेमाटिक न होने से न डरें'।"

उन्होंने बताया कि टीम ने असामान्य कोणों, चंचल रचनाओं और चटख रंगों, खासकर लाल रंग को अपनाया, एक ऐसा रंग जिस पर निर्देशक ने जोर दिया कि वह जीवंत रहना चाहिए। इसका लक्ष्य दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में डुबोना था जो मज़ेदार, रहस्यमय और थोड़ी-सी हटकर हो।

थाईलैंड के फ़िल्म परिदृश्य पर बातचीत

सहयोगी निर्माता तनाडे अमोर्नपियालर्क ने थाई सिनेमा के पर्दे के पीछे की दुनिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जहां नए फिल्म निर्माताओं की एक नई लहर उभर रही है, वहीं यह उद्योग अभी भी सिनेमाघरों में साल में लगभग 30 फ़िल्में ही रिलीज करता है, एक अस्थिर  इकोसिस्टम जिस पर हॉलीवुड फ़िल्मों का बोलबाला है।

रत्चपूम ने आगे कहा कि शैलियों की विविधता सीमित है। उन्होंने माना कि फिल्में ‘’सिर्फ मनोरंजन’’ ही हो सकती हैं, लेकिन वे व्यक्तिगत रूप से मानते है कि सिनेमा में कुछ कहने लायक होना चाहिए।

"इस भूमिका ने मेरे लिए चीज़ें बदल दीं" - अभिनेता विसारुत होमहुआन

अभिनेता विसारुत होमहुआन के लिए "अ यूज़फुल गोस्ट" चुनौतीपूर्ण और करियर बदल देने वाली रही। उन्होंने स्वीकार किया, "थाईलैंड में अभिनेता होना कठिन है। मैंने टीवी, टिकटॉक-हर जगह काम किया है। अवसर कम होते है। यह फ़िल्म मेरे लिए एक बड़ा रास्ता बनी- जिसने  लोगों को मुझे एक फ़िल्म अभिनेता के रूप में पहचानने का मौका दिया।"

टीम ने मिलकर बताया कि 'अ यूज़फुल गोस्ट' विरोधाभासों पर आधारित फिल्म है, जो हास्यप्रद लेकिन डरावनी, काल्पनिक लेकिन वास्तविक पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़ी हुई तथा मार्मिक लेकिन अपनी अजीब, अनोखी आत्‍मा को बनाए रखने वाली है।

प्रेस वार्ता के समाप्त होते-होते यह स्पष्ट था कि इस फिल्म ने अपनी ओर वैश्विक ध्यान क्यों खींचा : यह एक साथ अलग होने, ईमानदार होने और सामाजिक रूप से प्रासंगिक होने का साहस रखती है। और इसी वजह से फिल्म ने इफ्फी के अंतर्राष्ट्रीय खंड को एक यादगार, सुखद और अविस्मरणीय समापन दिया।

ट्रेलर:

प्रेस कॉन्फ्रेंस लिंक

 

इफ्फी के बारे में

1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित सिनेमा उत्सव है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी), गोवा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह महोत्सव एक वैश्विक सिनेमाई पॉवरहाउस के रूप में विकसित हुआ हैजहां पुनर्स्थापित क्लासिक फिल्मों से लेकर नए प्रयोग, महान दिग्ग जों से लेकर नए निर्भीक फर्स्टस टाइमर्स तक, सभी एक साथ आते हैं। इफ्फी को वास्तव में जो चीजें शानदार बनाती हैं, वे हैं - अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक प्रदर्शन, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलि और ऊर्जावान वेव्स फिल्म बाजार, जहां विचार, सौदे और सहयोग उड़ान भरते हैं। गोवा की शानदार तटीय पृष्ठभूमि में 20 से 28 नवंबर तक आयोजित इफ्फी का 56वां संस्करण भाषाओं, शैलियों, नवाचारों और नई आवाज़ों के एक जगमगाते स्पे क्ट्रंम का वादा करता हैविश्वं मंच पर भारत की रचनात्मंक प्रतिभा का एक भव्य उत्सव।

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