नॉर्वेजियन फिल्म "सेफ हाउस" ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 56वें संस्करण में प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक जीता
"सेफ हाउस" अराजकता के बीच मानवता को बनाए रखने का प्रयास करने वालों के सामने आने वाली नैतिक दुविधाओं को उजागर करता है
एरिक स्वेन्सन द्वारा निर्देशित नॉर्वेजियन फिल्म “सेफ हाउस” को भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी 2025) के 56वें संस्करण में आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार शांति, अहिंसा एवं अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने वाले सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है। इस फिल्म के निर्देशक एरिक स्वेन्सन की ओर से आईसीएफटी-यूनेस्को पेरिस के मानद प्रतिनिधि मनोज कदम ने प्राप्त किया और एनएफडीसी के एमडी श्री प्रकाश मगदुम द्वारा प्रदान किया गया।
"सेफ हाउस" 2013 में मध्य अफ्रीकी गणराज्य में हुए गृहयुद्ध के दौरान बांगुई स्थित डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अस्पताल में घटित लगातार 15 घंटों की वास्तविक घटनाओं से प्रेरित एक मार्मिक, मानवीय और गहन भावनात्मक ड्रामा है। फिल्म युद्धग्रस्त क्षेत्र में कार्यरत सहायता कर्मियों की उस टीम पर केंद्रित है, जो अराजकता और हिंसा के बीच असंभव निर्णयों, सीमित संसाधनों और बढ़ते दबाव के बीच मानव जीवन बचाने के लिए प्रयासरत रहती है। यह देखभाल, साहस, कर्तव्य और ज़िम्मेदारी जैसे नैतिक मूल्यों की गहराई से पड़ताल करती है। वास्तविक समय में आगे बढ़ती इसकी कहानी, दर्शकों को न केवल युद्ध क्षेत्र की भयावह वास्तविकताओं से रूबरू कराती है, बल्कि उन लोगों के लचीलेपन, धैर्य और करुणा को भी उजागर करती है।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म, टेलीविजन और दृश्य-श्रव्य संचार परिषद (आईसीएफटी) और यूनेस्को के सहयोग से स्थापित यह पुरस्कार उन फिल्मों को सम्मानित करता है, जो सहिष्णुता, अंतर-सांस्कृतिक संवाद एवं शांति की संस्कृति के आदर्शों को प्रतिबिंबित करती हैं।
निर्णायक मंडल ने "सेफ हाउस" की अत्यधिक दबाव में नैतिक साहस एवं मानवीय मूल्यों के सशक्त व प्रामाणिक चित्रण के साथ-साथ सांस्कृतिक सीमाओं को पार करने और दर्शकों को गहरे भावनात्मक स्तर पर जोड़ने की क्षमता के लिए सराहना की। सच्ची घटनाओं पर आधारित इस फिल्म की वास्तविक कथा, संघर्ष क्षेत्रों में सहायताकर्मियों के सामने आने वाली नैतिक दुविधाओं को उजागर करती है और करुणा, जिम्मेदारी तथा मानव जीवन की पवित्रता जैसे सार्वभौमिक विषयों पर बल देती है। इसकी संयमित, रहस्यपूर्ण कहानी और क्रिस्टीन कुजाथ थोर्प के मुख्य अभिनय ने इसके प्रभाव को और सशक्त किया है, जिससे यह आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक के लिए एक आकर्षक पसंद बनी।
नई पीढ़ी के नॉर्वेजियन फिल्म निर्माता एरिक स्वेन्सन अपनी विशिष्ट शैली और संवेदनशील कहानी कहने के लिए पहले से ही अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल कर चुके हैं। उनकी चर्चित फ़िल्में "वन नाइट इन ओस्लो" और "हाराजुकु" कई प्रतिष्ठित समारोहों में सराही गईं। उनकी नवीनतम फिल्म "सेफ हाउस" का विश्व प्रीमियर 48वें गोटेबोर्ग फिल्म महोत्सव 2025 में उद्घाटन फिल्म के रूप में हुआ, जहां इसे दर्शकों की व्यापक प्रशंसा मिली और सर्वश्रेष्ठ नॉर्डिक फिल्म के लिए ऑडियंस ड्रैगन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह पुरस्कार इफ्फी के वैश्विक सिनेमा को प्रदर्शित करने के मिशन को रेखांकित करता है, जो संस्कृतियों के बीच करुणा, एकता एवं संवाद को बढ़ावा देता है और समाजों के बीच सेतु बनाने के लिए सिनेमा की परिवर्तनकारी शक्ति की पुष्टि करता है।
आईसीएफटी - यूनेस्को गांधी पदक के बारे में
46वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान प्रारंभ किया गया आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक उन फिल्मों को सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया है, जो उत्कृष्ट कलात्मकता एवं उच्च सिनेमाई मानकों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ समाज के महत्वपूर्ण और समकालीन मुद्दों पर नैतिक विमर्श को प्रोत्साहित करती हैं। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार सिनेमा की परिवर्तनकारी शक्ति के माध्यम से मानवता के साझा मूल्यों, शांति, करुणा और संवाद की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया था।
आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पदक महज एक पुरस्कार नहीं है; यह प्रेरणा देने, शिक्षित करने और एकजुट करने की फिल्म की शक्ति का उत्सव है।
इफ्फी के बारे में जानकारी
वर्ष 1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित सिनेमा उत्सवों में से एक है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) गोवा सरकार के गोवा मनोरंजन सोसायटी (ईएसजी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह महोत्सव आज एक वैश्विक सिनेमाई मंच के रूप में पहचान रखता है। यहां पर पुनर्स्थापित क्लासिक फ़िल्में साहसिक प्रयोगधर्मिता से मिलती हैं और दिग्गज कलाकारों के साथ उभरते प्रतिभाशाली फिल्मकार भी समान रूप से मंच साझा करते हैं। इफ्फी की सबसे बड़ी खासियत उसका विविधतापूर्ण आकर्षक मिश्रण है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक प्रदर्शनियां, मास्टरक्लास, विशेष श्रद्धांजली कार्यक्रम और ऊर्जा से भरा वेव्स फिल्म बाजार शामिल हैं। यहां पर नए विचार, महत्त्वपूर्ण सौदे और वैश्विक सहयोग लगातार जन्म लेते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा की मनमोहक तटीय पृष्ठभूमि में आयोजित हुए इस महोत्सव के 56वें संस्करण ने भाषाओं, शैलियों, रचनात्मक नवाचारों और नई ध्वनियों की चकाचौंध भरी श्रृंखला प्रस्तुत की, जो विश्व मंच पर भारतीय सिनेमा की रचनात्मक क्षमता एवं सांस्कृतिक प्रभाव का एक गहन व भव्य उत्सव है।
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