शिक्षा मंत्रालय
छात्रों की रंगोलियों में दिखी उत्तर - दक्षिण भारतीय संस्कृतियों की झलक, अस्सी घाट बना आकर्षण का केंद्र
रंगोली प्रतियोगिता में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने बढ़–चढ़कर लिया हिस्सा, साझा किए अनुभव
प्रविष्टि तिथि:
01 DEC 2025 2:31PM by PIB Delhi
काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों में मंगलवार को अस्सी घाट एक विशेष आकर्षण का केन्द्र बना रहा, जब घाट की सीढ़ियाँ रंग–बिरंगी रंगोलियों से सजी दिखाई दीं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस 15 दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत लगे रंगोली प्रतियोगिता में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को दृश्य कला के माध्यम से उजागर करना था।

प्रतियोगिता में शामिल छात्रों ने काशी और दक्षिण भारत के मंदिरों की भव्यता, वहां के गायन–वादन की परंपरा, और शास्त्रीय नृत्य के मनोहारी दृश्यों को रंगों के माध्यम से उकेरा। अस्सी घाट पर बने ये चित्र न केवल कला का प्रदर्शन थे, बल्कि दक्षिण भारतीय संस्कृति से जुड़ी गहरी जड़ों को समझने का माध्यम भी बने। रंगोली बनाने में लगे सूक्ष्म कौशल, रंगों का संयोजन और धार्मिक–सांस्कृतिक प्रतीकों का चयन दर्शकों को लगातार आकर्षित करता रहा।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्र मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस आयोजन ने उन्हें दक्षिण भारत की सभ्यता, मंदिर स्थापत्य और सांस्कृतिक विविधता को निकट से समझने का अवसर दिया। उन्होंने कहा,“हम लोगों ने रंगोली बनाने के लिए इंटरनेट पर कई मंदिरों और उनकी कला-शैली के बारे में खोज की। इससे बहुत कुछ सीखने को मिला। दक्षिण भारत के मंदिरों का स्वरूप और उनकी संरचना हमें बेहद सुंदर लगी।”

काशी विद्यापीठ की छात्रा प्रिया ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि रंगोली बनाते समय उन्हें दक्षिण भारत की परंपराओं, संगीत और नृत्य की विशेषताओं को अध्ययन करने का मौका मिला। प्रिया ने कहा, “काशी और तमिलनाडु—दोनों ही भारतीय संस्कृति के धरोहर केंद्र हैं। इस प्रतियोगिता ने हमें समझाया कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है।”
इसी प्रकार प्रतिभागी अनुप्रिया ने कहा कि इस कार्यक्रम ने उन्हें न केवल कला सीखने का मौका दिया, बल्कि सांस्कृतिक सेतु को भी महसूस कराया। उनके अनुसार, “शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम अद्भुत है। 15 दिनों तक चलने वाला यह संगम हमें काशी और दक्षिण भारत के इतिहास, परंपराओं और सामाजिक जीवन से जोड़ रहा है। हमने जिन मंदिरों की रंगोलियाँ बनाई हैं, वे हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक हैं।”

आयोजकों के अनुसार, काशी तमिल संगमम् 4.0 का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से जीवंत करना है। इस तरह की रचनात्मक प्रतियोगिताएँ युवाओं को न केवल कला के प्रति जागरूक करती हैं, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत की महत्ता भी समझाती हैं।
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SC/AK/DS
(रिलीज़ आईडी: 2196850)
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