पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
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सरकार ने रिफाइनिंग क्षमता का विस्तार किया, जैव ईंधन एवं हरित हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा दिया

प्रविष्टि तिथि: 01 DEC 2025 4:38PM by PIB Delhi

भारत में वर्तमान कुल शोधन क्षमता 258.1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) है, जिसका 2030 तक बढ़कर 309.5 एमएमटीपीए होने का अनुमान है। इसके साथ ही, चालू एवं नियोजित रिफाइनरी परियोजनाओं के पूरा होने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरियों का समग्र पेट्रोकेमिकल इंटेंसिटी इंडेक्स (पीआईआई) 4.1 से बढ़कर लगभग 9.3 होने का अनुमान है।

सरकार ने जैव ईंधन, हरित हाइड्रोजन एवं तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों को लागू किया है, जिसमें इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के अंतर्गत 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना और इथेनॉल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कच्चा माल की आपूर्ति को व्यापक बनाना शामिल है।

प्रधानमंत्री जैव ईंधन-पर्यावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण (पीएम जी-वन) योजना शुरू की गई है ताकि उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके, जिसमें स्थायी विमानन ईंधन (एसएएफ) भी शामिल है। संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) को बढ़ावा देने के लिए, सस्ता परिवहन प्रदान करने के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) योजना शुरू की गई है और बायोमास एकत्रीकरण का समर्थन करने एवं सीबीजी संयंत्रों को मौजूदा पाइपलाइन नेटवर्क से जोड़ने के लिए बायोमास एकत्रीकरण मशीनरी (बीएएम) और डायरेक्ट पाइपलाइन अवसंरचना (डीपीआई) जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) को 2030 तक पांच एमएमटीपीए हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए एलएनजी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें एलएनजी टर्मिनलों और एलएनजी स्टेशनों सहित एलएनजी अवसंरचना की स्थापना भी शामिल है।

स्वच्छ ईंधन जैसे बायोफ्यूल, हरित हाइड्रोजन और एलएनजी में परिवहन सहित प्रमुख क्षेत्रों और अन्य महत्वपूर्ण, कठिन-निस्तारित उद्योगों जैसे सीमेंट, लोहा एवं इस्पात में उत्सर्जन कम होने का अनुमान है। इनको अपनाने से समग्र उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान मिलेगा तथा निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी, इस प्रकार से यह राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।

यह जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/एके/डीए


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