पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पर्यटन पर चौथी उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स बैठक में भाग लिया


वैश्विक पर्यटन स्थल बनने की राह पर पूर्वोत्तर भारत, रोडमैप को और मज़बूत किया गया

सिंधिया ने पूर्वोत्तर की पर्यटन क्षमता को बढ़ाने के लिए अंतिम छोर तक संपर्क और एकीकृत योजना का आह्वान किया

प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025 8:15PM by PIB Delhi

केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज नई दिल्ली में पर्यटन पर आयोजित एक उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स की चौथी बैठक में भाग लिया। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा द्वारा आयोजित इस बैठक में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, सिक्किम के पर्यटन मंत्री शेरिंग टी. भूटिया, अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन मंत्री पासंग दोरजी सोना और पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम.आर. सिंरेम ने भाग लिया।

पिछली तीन बैठकों के नतीजों के आधार पर, यह चौथी बैठक पूर्वोत्तर के लिए एक एकीकृत, कार्य-उन्मुख पर्यटन खाका तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम था, जिसमें प्राथमिकताओं को साफ तौर पर रखा गया, चुनौतियों की पहचान की गई और राज्यों में समन्वित कार्यान्वयन में तेजी लाई गई।

इस बैठक के दौरान बहु-मोडल संपर्क को बढ़ाकर, विश्व स्तरीय पर्यटन ढ़ांचे को मज़बूत करके, प्रतिष्ठित और विश्व स्तर पर मार्केटिंग योग्य स्थलों का विकास, साहसिक और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन के अवसरों का विस्तार, और क्षेत्र की संस्कृति, प्रकृति और विरासत से जुड़े नए पर्यटन उत्पादों को पेश करते हुए क्षेत्र की छिपी हुई पर्यटन क्षमता को सामने लाने पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में कौशल विकास से जुड़ी व्यवस्था को आधुनिक बनाने, सेवा वितरण को मानकीकृत करने और अधिक स्थानीय रोज़गार और सतत् उद्योग विकास के लिए क्षमता निर्माण को गहन बनाने पर भी ज़ोर दिया गया।

प्रतिभागियों ने पूर्वोत्तर भारत को एक प्रीमियम पर्यटन क्षेत्र के रूप में एकीकृत ब्रांडिंग की ज़रुरत पर बल दिया, जिसे बड़े पैमाने पर निजी निवेश आकर्षित करने और एक पूर्वानुमानित तथा निवेशक-अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए एक सुव्यवस्थित नीतिगत परिवेश द्वारा समर्थित किया जा सके। पूरे क्षेत्र में निर्बाध सर्किट और आगंतुकों के लिए बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए मज़बूत अंतर-राज्यीय समन्वय को ज़रुरी माना गया।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक केंद्र के रूप में, पूर्वोत्तर भारत के सबसे आकर्षक पर्यटन क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरने की क्षमता रखता है। उन्होंने समुदायों और व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक मूल्यों को उजागर करने हेतु अंतिम-मील संपर्क, एकीकृत योजना और स्थिरता-संचालित विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने एक वार्षिक कैलेंडर विकसित करने के महत्व पर ज़ोर दिया, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी प्रमुख त्योहारों का लेखा जोखा हो, ताकि इस क्षेत्र के प्रति व्यापक सांस्कृतिक प्रशंसा और जागरूकता को बढ़ावा मिले।

इस वर्ष की शुरुआत में, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने आठ उच्च-स्तरीय कार्यबलों का गठन किया था, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व पूर्वोत्तर राज्य के एक मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था, और जिसमें केंद्रीय पूर्वोत्तर विकास मंत्री और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के तीन मुख्यमंत्री सदस्य थे। पर्यटन पर चौथी उच्च-स्तरीय कार्यबल बैठक में सभी प्रतिभागियों की ओर से सकारात्मक और रचनात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली।

केंद्रीय मंत्री ने बैठक के दौरान सामने रखी गई प्रस्तुति की गहराई और गुणवत्ता की सराहना करते हुए मेघालय सरकार से अनुरोध किया कि वह सभी सदस्यों द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को शामिल करते हुए अंतिम उच्च-स्तरीय कार्यबल रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

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पीके/केसी/एनएस


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