अंतरिक्ष विभाग
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विभिन्न सेक्टरों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 5:29PM by PIB Delhi

भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर किया जाता है।

कृषि क्षेत्र में, विकसित किए गए प्रमुख अनुप्रयोगों में प्रमुख फसलों के लिए कटाई-पूर्व क्षेत्रफल और उत्पादन अनुमान, बागवानी फसलों का मानचित्रण और मूल्यांकन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत खरीफ के बाद चावल के परती क्षेत्रों के इष्टतम उपयोग के लिए फसल गहनता, सूखा निगरानी और प्रबंधन, पीएमएफबीवाई योजना के तहत फसल उपज अनुमान आदि शामिल हैं। महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) की स्थापना के साथ कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रचालनगत है।

इसी प्रकार, उपग्रह डेटा का उपयोग विभिन्न आपदाओं जैसे चक्रवात, बाढ़, जंगल की आग, भूस्खलन, भूकंप, जीएलओएफ और कृषि सूखे के लिए आपदा प्रबंधन सहायता के लिए किया जाता है। भारतीय उपग्रहों जैसे, इनसैट-3डीआर और 3डीएस और ईओएस-06 का डेटा उत्तरी हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की निगरानी के लिए और चक्रवाती तूफान, ट्रैक, तीव्रता के साथ-साथ भूस्खलन के समय और स्थान की पूर्व चेतावनी देने के लिए आईएमडी द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। इसरो बाढ़ (नदी या चक्रवाती) के दौरान बहु-सेंसर उपग्रह डेटा से प्राप्त बाढ़ के जलप्लावन मानचित्र संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आपदा प्रबंधन सहायता के लिए प्रदान करता है। बाढ़ खतरा क्षेत्रीकरण (छह प्रमुख बाढ़ संभावित राज्यों के लिए) और स्थानिक बाढ़ पूर्व चेतावनी मॉडल (गोदावरी और तापी बेसिन के लिए) भी विकसित किए गए हैं। जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत इसरो ने हिमालय में ग्लेशियल झीलों (>0.25 हेक्टेअर क्षेत्र) की मैपिंग और 15 प्राथमिकता वाली ग्लेशियल झीलों की जीएलओएफ रिस्क मॉडलिंग भी की है। इसरो, वन अग्नि मौसम के दौरान, प्रतिदिन छह से आठ बार, वन अग्नि प्रबंधन हेतु एफएसआई/पृथ्वी एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राज्य सरकारों को सक्रिय वन अग्नि की जानकारी प्रसारित करता है। प्रमुख वन अग्नि के लिए वन अग्नि से प्रभावित क्षेत्र का मानचित्रण भी किया जाता है। इसरो भूस्खलन की उपग्रह डेटा-आधारित सूची तैयार करता है और भूस्खलन तथा भूकंप से होने वाले नुकसान का आकलन करता है। ड्रॉट मैन्युअल 2020 के अनुसार, नेशनल जियोस्पेशियल ड्रॉट पोर्टल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर, एसएसी/इसरो के वेदास जियोपोर्टल पर विकसित किया गया है। यह तालुका और जिला स्तर पर विभिन्न माध्यमों से सूखे का पाक्षिक मूल्यांकन प्रदान करता है।

शहरी मास्टर प्लान की तैयारी में संभावित उपयोग के लिए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (एएमआरयूटी) परियोजना के अंतर्गत शहरी भू-स्थानिक डाटाबेस के निर्माण के लिए अति उच्च रिजोल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग किया जा रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में, इसरो कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी/अनुप्रयोग प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी/अनुप्रयोग में अभी प्रारंभिक अवस्था में विद्यमान भारतीय निजी उद्योग की भागीदारी, भारत की मानव पूंजी का लाभ उठाते हुए अंतरिक्ष के साथ-साथ स्थलीय अनुप्रयोगों का विकास करके अंतरिक्ष-आधारित समाधानों की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार ने इन-स्पेस के माध्यम से कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों/अनुप्रयोगों के विकास में निजी उद्योगों को सहयोग देने के लिए प्रमुख पहलें शुरू की हैं। एक संयुक्त कार्य समूह इन-स्पेस सीड फंड के माध्यम से वित्त पोषित पायलट परियोजनाओं के लिए उपयोग के मामलों की पहचान करता है। प्रौद्योगिकी अंगीकरण कोष, व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स/एमएसएमई के लिए 60 प्रतिशत तक और बड़े उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत तक, अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक, वित्त पोषण प्रदान करता है। इन-स्पेस ने पीपीपी मॉडल के तहत एक स्वदेशी पृथ्वी अवलोकन प्रणाली विकसित करने के लिए उद्योग भागीदारों को भी शामिल किया है।

अंतरिक्ष सुधारों ने भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की संख्या और विविधता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिनमें से कई वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाओं, उपग्रह निर्माण, पृथ्वी अवलोकन पुंजों, डेटा विश्लेषण, सैटकॉम और पीएनटी अनुप्रयोगों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। स्काईरूट और अग्निकुल जैसी कंपनियां कक्षीय प्रक्षेपण क्षमताओं में प्रगति कर रही हैं और अनंत टेक्नोलॉजीज स्वदेशी तकनीकों के साथ एक निजी संचार उपग्रह विकसित कर रही है। बढ़ती निजी भागीदारी 2033 तक अधिक निवेश, उच्च-तकनीकी निर्यात, कुशल रोज़गार और वैश्विक बाज़ार में मज़बूत उपस्थिति के माध्यम से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का विस्तार करने के लिए तैयार है।

शासन और उद्योग जगत में उपग्रह-सक्षम सेवाओं के अंगीकरण में तेज़ी लाने के लिए, इन-स्पेस ने 'अंतरिक्ष अनुप्रयोग अपनाने कार्यशाला' (एसएएडब्ल्यू) शुरू की। नौ विषयगत और क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें पूर्वोत्तर, कृषि, रक्षा, आपदा न्यूनीकरण और विभिन्न राज्यों पर केंद्रित कार्यशालाएं शामिल हैं। इन-स्पेस ने संरचित प्रशिक्षण, लोकसंपर्क, तकनीकी प्राथमिक सहायता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष विभाग ने कनेक्टिविटी, कृषि, आपदा प्रबंधन और शहरी विकास में अनुप्रयोगों के बारे में राज्य के विभागों और मंत्रालयों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2.0 का आयोजन किया।

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