विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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संसद प्रश्न: अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 6:08PM by PIB Delhi

देश में अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है और नवीनतम अनुसंधान एवं विकास आंकड़ो के अनुसार यह 2010-11 में 60,196.75 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 1,27,380.96 करोड़ रुपये हो गया है।

इस वृद्धि में योगदान देने वाले प्रमुख क्षेत्रों एवं संस्थानों में सरकारी अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला/संस्थान, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योग एवं उच्च शिक्षण संस्थान जबकि औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास में प्रमुख क्षेत्र औषधि एवं फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन, रक्षा उद्योग और जैव प्रौद्योगिकी आदि हैं। कुल अनुसंधान एवं विकास में सरकारी व्यय का हिस्सा 63.6 प्रतिशत और निजी क्षेत्र का हिस्सा 36.4 प्रतिशत है।

सरकार द्वारा देश में समग्र अनुसंधान एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से नवाचार, अनुसंधान परिणाम और पेटेंट को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख उपायों/कदमों में निम्न शामिल हैं:

  • महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार के लिए निजी उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु 1.0 लाख करोड़ के अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (आरडीआई) कोष का शुभारंभ, जो राष्ट्रीय विकास एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण हैं जैसे: ऊर्जा सुरक्षा एवं पारगमन और जलवायु कार्रवाई; क्वांटम कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स एवं अंतरिक्ष सहित डीप टेक्नोलॉजीज'; कृत्रिम बुद्धिमत्ता; जैव प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा उपकरण; डिजिटल कृषि सहित डिजिटल अर्थव्यवस्था आदि। इस योजना का उद्देश्य अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना है।
  • विज्ञान और इंजीनियरिंग के विविध क्षेत्रों में अनुसंधान, नवाचार एवं उद्यमिता के लिए उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा-निर्देश प्रदान करने हेतु अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) की स्थापना आदि।
  • विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुधार निधि (एफआईएसटी); विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं वैज्ञानिक उत्कृष्टता संवर्धन (पीयूआरएसई); परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (एसएआईएफ); परिष्कृत विश्लेषणात्मक एवं तकनीकी सहायता संस्थान (एसएटीएचआई); आदि जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना का निर्माण।
  • कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना जैसे: नवाचारों के विकास एवं उपयोग के लिए राष्ट्रीय पहल (निधि); जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) कार्यक्रम; रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स); प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ); टीआईडीई 2.0 (उद्यमियों के लिए प्रौद्योगिकी इनक्यूबेशन एवं विकास) आदि।
  • विशिष्ट क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी विकास के लिए मिशन मोड कार्यक्रमों को लागू करना जैसे: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम); अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस); राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन; इलेक्ट्रिक वाहनों पर उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों की उन्नति के लिए मिशन (एमएएचए-ईवी) आदि।
  • विभिन्न पहलों के माध्यम से आईपी प्रबंधन एवं व्यावसायीकरण के लिए सक्षम तंत्र का निर्माण जैसे: पेटेंट सुविधा केंद्र की स्थापना; राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के माध्यम से आईपीआर से संबंधित गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए पेटेंट सूचना केंद्र; प्रौद्योगिकियों/उत्पादों के व्यावसायीकरण की दिशा में शैक्षणिक संस्थानों में आईपी के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा के लिए बौद्धिक संपदा दिशा-निर्देश प्रकाशित करना; विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों से उद्योगों को प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालयों (टीटीओ) की स्थापना करना; जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के माध्यम से आईपी और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सेवा प्रदान करना आदि।
  • भारत में बढ़ते अनुसंधान एवं विकास निवेश और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग पीएचडी में वृद्धि, वैश्विक नवाचार केंद्र बनने के इसके लक्ष्य में प्रत्यक्ष रूप से योगदान दे रही है और इससे अनुसंधान क्षमता को मजबूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने, पेटेंट गतिविधि को बढ़ावा देने और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद कर रही है। वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति से स्पष्ट पता चलता है, अर्थात इसकी वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) रैंकिंग में 81वें (2015) से 38वें (2025) तक महत्वपूर्ण उछाल; स्टार्टअप की संख्या में तीसरा स्थान; विज्ञान एवं इंजीनियरिंग प्रकाशनों में तीसरा स्थान; विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में पीएचडी की संख्या में चौथा स्थान; और पेटेंट दाखिल करने में छठा स्थान है।

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पीके/केसी/एके/डीए


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