कोयला मंत्रालय
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स्थानीय विकास में कोयला खदानों का योगदान

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 4:53PM by PIB Delhi

झारखंड के मगध और आम्रपाली खदानें मिलकर 2024-25 में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड की कुल कोयला उत्पादन का लगभग 50% योगदान देती हैं, इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप विद्युत उत्पादन के लिए सुनिश्चित कोयला आपूर्ति के राष्ट्रीय उद्देश्य का समर्थन करती हैं। मगध और आम्रपाली कोयला खदानों के अनुमानित खनिज भंडार क्रमशः 854.91 मिलियन टन और 456.34 मिलियन टन हैं और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान इनसे क्रमशः 2,812 करोड़ रुपये और 2,367 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री आय उत्पन्न होने की उम्मीद है। ये खदानें परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पी ए पी) और नज़दीकी ग्रामीणों को रोजगार और आजीविका सहायता प्रदान करके स्थानीय विकास में योगदान देती हैं। मगध-संघमित्रा क्षेत्र में 808 और आम्रपाली-चन्द्रगुप्त क्षेत्र में 210 व्यक्तियों को रोजगार देने की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है।

नमचिक नामफुक कोयला खदान अरुणाचल प्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देगी, क्योंकि यह प्रति वर्ष 0.2 मिलियन टन (एम टी पी ए) कोयले का योगदान करेगी। यह नियमित आपूर्ति राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को अधिक विश्वसनीय रूप से पूरा करने में मदद करेगी। इस खदान में अनुमानित भौगोलिक भंडार 14.97 एमटी हैं और यह लगभग 270 लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ सालाना 173 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करेगी।

मिशन ग्रीन (प्रकृति को बढ़ाना, पुनर्स्थापित करना, समृद्ध करना और सशक्त बनाना) के तहत, कोयला क्षेत्र, कोयला और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पी एस यू) ने, अर्थात् कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल), ने कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्रों में पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करने और समुदाय की भागीदारी को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं। मिशन ने खनन-पश्चात खदान और अन्य उपयुक्त क्षेत्रों को सतत पारिस्थितिकी तंत्र में बदलने के लिए पांच वर्ष का विज़न प्रस्तुत किया गया है। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए, मिशन का ध्यान खनन क्षेत्रों और उनके आसपास व्यापक वृक्षारोपण और पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा, सतत खदान-जल का सतत उपयोग और चक्रीय संसाधन प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने पर है। स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से विविधता लाने के लिए खदान-आधारित पर्यटन और हरित-अर्थव्यवस्था मॉडल जैसी पहलें भी आगे बढ़ाई जा रही हैं। सामुदायिक भागीदारी मिशन ग्रीन का एक मुख्य घटक है। सामुदायिक भागीदारी से जुड़े प्रयासों में सतत विकास गतिविधियों में स्थानीय समुदायों और स्वयं सहायता समूहों (एस एच जी) की भागीदारी शामिल है। प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, कोयला मंत्रालय ने मिशन ग्रीन कोयला क्षेत्रों की नियमित निगरानी के लिए एक समिति भी गठित की है।

झारखंड और अरुणाचल प्रदेश राज्यों के उपरोक्त तीन कोयला खदानें भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप हैं, क्योंकि ये आयातित कोयले पर निर्भरता को कम करके ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती हैं। खदानों का विकास परिवहन और लॉजिस्टिक जैसी सहायक अवसंरचना में महत्वपूर्ण निवेश को भी प्रेरित करेगा, जिससे रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे। यह एकीकृत विकास दृष्टिकोण क्षेत्रों में समावेशी विकास और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देगा।

यह जानकारी केंद्रीय कोयला और खनिज मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज लोक सभा में लिखित उत्तर में दी।

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पीके / केसी / जेके/डीके


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