कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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कृषि विकास पर फसल क्षति का प्रभाव

प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025 5:33PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (एनपीडीएम) के अनुसार, जमीनी स्तर पर राहत सहायता वितरण सहित आपदा प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मदों और मानदंडों के अनुसार, अपने पास पहले से उपलब्ध राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से राहत उपाय करती हैं। केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों में सहयोग करती है और आवश्यक रसद एवं वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 'गंभीर प्रकृति' की आपदा की स्थिति में, निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के दौरे पर आधारित मूल्यांकन भी शामिल है।

गृह मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मानसून 2025 के दौरान राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों में बाढ़ से प्रभावित फसल क्षेत्र का विवरण अनुबंध-I में दिया गया है।

प्रथम अग्रिम अनुमान 2025-26 के अनुसार, खरीफ खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 1733.30 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) अनुमानित है, जो विगत वर्ष के खरीफ खाद्यान्न उत्पादन 1694.60 लाख टन से 38.70 एलएमटी अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2024-25 की तुलना में 2.28% की वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2025 के दौरान किसानों के नामांकन और भुगतान किए गए दावों का राज्यवार विवरण अनुबंध-II में दिया गया है।

सरकार, राज्य सरकारों और संबंधित केन्द्र मंत्रालयों/विभागों की राय पर विचार करने के उपरांत, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर, देशभर के लिए न कि राज्यवार, 22 अधिदेशित कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और गन्ने के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करती है। 22 अधिदेशित फसलों में 14 खरीफ फसलें धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, तुअर (अरहर), मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, रामतिल, कपास और 6 रबी फसलें अर्थात गेहूं, जौ, चना, मसूर (लेंटिल), रेपसीड और सरसों, कुसुम और दो वाणिज्यिक फसलें: जूट और कोपरा शामिल हैं। इसके अलावा, तोरिया और डी-हस्क्ड नारियल के लिए भी एमएसपी क्रमशः रेपसीड/सरसों और कोपरा के एमएसपी के आधार पर तय किए जाते हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्यों की सिफारिश करते समय, सीएसीपी महत्वपूर्ण कारकों जैसे उत्पादन की लागत, समग्र मांग-आपूर्ति की स्थिति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतें, अंतर-फसल मूल्य समता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें, शेष अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव, इसके अलावा भूमि, जल और अन्य उत्पादन संसाधनों का तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करने और उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत मार्जिन सुनिश्चित करने पर विचार करता है।

सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक निर्धारित एमएसपी का विवरण अनुबंध-III में दिया गया है।

अनुबंध -I

वर्ष 2025-26 के दौरान जल-मौसम संबंधी आपदाओं के कारण राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों द्वारा यथा सूचित क्षति का विवरण (दिनांक 27.11.2025 तक)

क्रम सं.

राज्य

प्रभावित फसल क्षेत्र (लाख हेक्टेयर में)

1

आंध्र प्रदेश

1.506

2

अरुणाचल प्रदेश

0.072

3

असम

0.41

4

बिहार

0

5

छत्तीसगढ़

0.0068

6

गोवा

0

7

गुजरात

0

8

हरियाणा

4.32

9

हिमाचल प्रदेश

0.32

10

झारखंड

0.0017

11

कर्नाटक

14.81

12

केरल

0

13

मध्य प्रदेश

0

14

महाराष्ट्र

75.42

15

मणिपुर

0.039

16

मेघालय

0.065

17

मिजोरम

0

18

नागालैंड

0.0058

19

ओडिशा

0.29

20

पंजाब

1.93

21

राजस्थान

0

22

सिक्किम

8.11

23

तमिलनाडु

0.29

24

तेलंगाना

0

25

त्रिपुरा

0

26

उत्तर प्रदेश

2.22

27

उत्तराखंड

0.0073

28

पश्चिम बंगाल

0

29

अंडमान एवं निकोबार

0

30

चंडीगढ़

0

31

दादरा एवं नागर हवेली

0

32

दिल्ली

0

33

जम्मू-कश्मीर

0.78

34

पुडुचेरी

0.001

 

कुल

116.6046

 

* जैसा कि गृह मंत्रालय से प्राप्त हुआ।

अनुबंध-II

दिनांक 31.10.2025 तक खरीफ 2025 के दौरान पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस किसानों का नामांकन और दावा भुगतान

राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र का नाम

बीमित किसानों के आवेदन

(लाख में)

स्वीकृत दावे

भुगतान किए गए दावे

कुल

रुपए करोड़ में

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह

-

-

-

आंध्र प्रदेश

5.3

-

-

असम

4.7

-

-

बिहार

-

-

-

छत्तीसगढ़

68.2

0.1

0.0

गोवा

0.0

-

-

गुजरात

-

-

-

हरियाणा

74.2

-

-

हिमाचल प्रदेश

3.5

0.0

0.0

जम्मू-कश्मीर

1.9

0.0

0.0

झारखंड

4.6

-

-

कर्नाटक

30.7

12.7

12.7

केरल

0.9

-

-

मध्य प्रदेश

101.2

10.5

9.0

महाराष्ट्र

63.9

-

-

मणिपुर

0.0

-

-

मेघालय

0.4

-

-

ओडिशा

114.6

-

-

पुडुचेरी

0.1

-

-

राजस्थान

205.0

-

-

सिक्किम

0.0

-

-

तमिलनाडु

3.9

-

-

तेलंगाना

-

-

-

त्रिपुरा

0.2

-

-

उत्तर प्रदेश

61.6

104.5

98.2

उत्तराखंड

1.8

-

-

पश्चिम बंगाल

-

-

-

कुल योग

746.7

127.8

119.9

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य

(विपणन सीजन के अनुसार) (रुपए/क्विंटल)            

अनुबंध-III

क्रम सं.

वस्तुएं

  केएमएस   2021-22

   केएमएस    2022-23

केएमएस      2023-24

   केएमएस     2024-25

केएमएस 2025-26

 

खरीफ की फसलें

 

 

 

 

 

 

1

धान (सामान्य)

1940

2040

2183

2300

2369

धान (ग्रेड 'ए')

1960

2060

2203

2320

2389

2

 

ज्वार (हाइब्रिड)

2738

2970

3180

3371

3699

ज्वार (मालदंडी)

2758

2990

3225

3421

3749

3

बाजरा

2250

2350

2500

2625

2775

4

रागी

3377

3578

3846

4290

4886

5

मक्का

1870

1962

2090

2225

2400

6

अरहर

6300

6600

7000

7550

8000

7

मूंग

7275

7755

8558

8682

8768

8

उड़द

6300

6600

6950

7400

7800

9

 

कपास (मध्यम रेशा)

5726

6080

6620

7121

7710

कपास (लंबा रेशा)

6025

6380

7020

7521

8110

10

मूंगफली

5550

5850

6377

6783

7263

11

सूरजमुखी के बीज

6015

6400

6760

7280

7721

12

सोयाबीन पीला

3950

4300

4600

4892

5328

13

तिल

7307

7830

8635

9267

9846

14

रामतिल

6930

7287

7734

8717

9537

 

रबी की फसलें

आरएमएस   2022-23

आरएमएस 2023-24

 आरएमएस    2024-25

आरएमएस 2025-26

आरएमएस     2026-27

15

गेहूं

2015

2125

2275

2425

2585

16

जौ

1635

1735

1850

1980

2150

17

चना

5230

5335

5440

5650

5875

18

मसूर

5500

6000

6425

6700

7000

19

रेपसीड और सरसों

5050

5450

5650

5950

6200

20

कुसुम

5441

5650

5800

5940

6540

 

वाणिज्यिक फसलें

 

 

 

 

 

 

 

2021-22

2022-23

2023-24

2024-25

2025-26

21

जूट

4500

4750

5050

5335

5650

 

 

2021

2022

2023

2024

2025

 

22

 

कोपरा (मिलिंग)

10335

10590

10860

11160

11582

कोपरा (बॉल)

10600

11000

11750

12000

12100

 

स्रोत: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (अर्थ, सांख्यिकी एवं मूल्यांकन प्रभाग)

नोट: केएमएस: खरीफ विपणन सीजन, आरएमएस: रबी विपणन सीजन

 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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