महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
भारत महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की दिशा में तेजी से परिवर्तन का साक्षी बन रहा
प्रविष्टि तिथि:
03 DEC 2025 6:18PM by PIB Delhi
सरकार ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के मुद्दों को संबोधित करने के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। इसके परिणामस्वरूप, भारत महिलाओं के विकास से महिला-नेतृत्व वाले विकास की दिशा में तेजी से परिवर्तन का साक्षी बन रहा है, एक नए भारत की उस दृष्टि के साथ जहां महिलाएं तीव्र और सतत राष्ट्रीय विकास का नेतृत्व कर रही हैं।
महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम “नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023” (संविधान एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम 2023 को लागू करना है, जिसके अंतर्गत लोकसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली की विधानसभा सहित राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीट आरक्षित की गईं।
महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए, चार श्रम संहिताओं - वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 को 21 नवंबर 2025 से लागू किया गया है, जो 29 पूर्ववर्ती श्रम कानूनों को युक्तिसंगत बनाता है। सुधारों के अंतर्गत इन संहिताओं में लैंगिक आधार पर भेदभाव भेदभाव को निषिद्ध किया गया है, समान वेतन सुनिश्चित किया गया है और महिलाओं के लिए हर समय सभी क्षेत्रों में किसी भी समय कार्य करने के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिसमें भूमिगत खनन, भारी मशीनरी और रात्रि पाली में काम करने की अनुमति शामिल हैं, बशर्ते कि उनकी पूर्व सहमति हो और नियोक्ताओं द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए गए हों।
कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013’ (एसएच अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों को विधिवत रूप से शामिल करते हुए एक इलेक्ट्रॉनिक मंच “शी-बॉक्स पोर्टल” शुरू किया है। यह पोर्टल देश भर में सरकार या निजी क्षेत्र में गठित आंतरिक समितियों (आईसीएस) और स्थानीय समितियों (एलसीएस) से जुड़ी जानकारी का एक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध केंद्रीकृत संग्रह प्रदान करता है। यह शिकायत दर्ज कराने और ऐसी शिकायतों की स्थिति की निगरानी के लिए एक सामान्य मंच भी प्रदान करता है। इस पोर्टल में एक विशेषता शामिल है जिसके तहत इस पर दर्ज की गई शिकायतें स्वतः संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों और निजी क्षेत्र के कार्यस्थलों की आंतरिक समिति (आईसी) या स्थानीय समिति (एलसी) को भेज दी जाएंगी। पोर्टल में प्रत्येक कार्यस्थल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान है, जिस पर शिकायतों की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए डेटा/जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन करने का दायित्व होता है। यह पोर्टल दूर-दराज के इलाकों में काम करने वाली महिलाओं तक आसान पहुंच के लिए 22 भाषाओं में उपलब्ध है।
महिलाओं और लड़कियों की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक है आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक और बेहतर बनाना। सरकार ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू किए हैं, जो एक जुलाई, 2024 से प्रभावी हो गए हैं। बीएनएस 2023 में, भारतीय दंड संहिता, 1860 में पहले से मौजूद महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक साथ लाया गया है और अध्याय-पांच के अंतर्गत समेकित किया गया है।
इसमें महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानूनों को सुदृढ़ करने के लिए नए प्रावधान पेश किए गए हैं, विशेष रूप से, “संगठित अपराध” से संबंधित धारा 111, विवाह, रोजगार, पदोन्नति या पहचान छिपाकर झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने से संबंधित धारा 69, बच्चे को काम पर रखने, रोजगार देने या संलग्न करने के अपराध से संबंधित धारा 95 आदि को शामिल किया गया है। बच्चों को वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से खरीदने (अनुच्छेद 99), सामूहिक बलात्कार (अनुच्छेद 70) और तस्करी किए गए व्यक्ति का शोषण (अनुच्छेद 144) से संबंधित अपराधों के लिए सजा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ कुछ गंभीर अपराधों के लिए, जैसे वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से बच्चे को खरीदना (बीएनएस की धारा 99), संगठित अपराध (धारा 111), भीख मंगवाने के इरादे से बच्चे का अपहरण करना या अपंग बनाना (धारा 139) के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा निर्धारित की गई है। इसके अलावा, बीएनएस 2023 की धारा 75 और 79 उत्पीड़न के मामले में अतिरिक्त कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिसमें अवांछित यौन प्रस्ताव, यौन संबंध का अनुरोध, यौन रुझान वाली टिप्पणी और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्द, इशारे या कृत्य शामिल हैं। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना कर रही महिला के पास इन प्रावधानों के तहत शिकायत दर्ज कराने का विकल्प होता है।
बीएनएसएस पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाता है, जो कानूनी प्रक्रिया के दौरान पीड़ित के अधिकारों की सुरक्षा करता है। यह महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामलों में शिकायतों के त्वरित पंजीकरण और समय पर पुलिस कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए ई-प्राथमिकी और शून्य/जीरो प्राथमिकी (किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा) का प्रावधान पेश करता है।
इसके अलावा, बीएनएसएस की धारा 398 के अंतर्गत गवाह संरक्षण योजनाएं पेश की गई हैं, जो गवाहों को धमकियों और डराने-धमकियों से सुरक्षित रखने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को मान्यता देती हैं और बीएसए की धारा 2(1)(डी) के अंतर्गत अब ईमेल, कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन पर संग्रहीत दस्तावेज, संदेश और वॉइस मेल संदेशों को दस्तावेज की परिभाषा में शामिल किया गया है जिनका इस्तेमाल कार्यस्थल पर उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में किया जा सकता है।
साथ मिलकर, ये उपाय महिला सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिनका महिला वैज्ञानिक योजना, विज्ञान ज्योति योजना, ओवरसीज फेलोशिप जैसी योजना में विस्तार करते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित (एसटीईएम) में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए किया गया है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं की रक्षा, सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए एक समग्र योजना ‘मिशन शक्ति’ को लागू किया है। इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने हिंसा का सामना कर रही या संकट में घिरी महिलाओं को पूरी मदद और समर्थन देने के लिए पूरे देश में वन स्टॉप सेंटर बनाए हैं। एक 24x7 महिला हेल्पलाइन है जिसका टेलीफ़ोनिक शॉर्ट कोड 181 है। यह हेल्पलाइन जरूरतमंद महिलाओं को सही अधिकारियों से जोड़कर आपात और गैर-आपातकालीन मदद देने के साथ-साथ, अलग-अलग सरकारी योजना, नीति और कार्यक्रम के बारे में जानकारी भी देती है ताकि वे इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें। योजना का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) घटक लिंग-आधारित भ्रूण चयन को रोकने के लिए है और साथ ही लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता पैदा करने और बाल विवाह को रोकने पर भी केंद्रित है। बीबीबीपी ने कन्या शिशु के महत्व को समझाने की दिशा में नागरिकों की सोच को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शक्ति सदन का घटक मुश्किल में फंसी, बेसहारा और बुरे हालात की शिकार महिलाओं, जिनमें तस्करी की शिकार महिलाएं भी शामिल हैं, को सहायता और समर्थन प्रदान करता है। सखी निवास घटक का मकसद कामकाजी महिलाओं और रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए उच्च शिक्षा तथा प्रशिक्षण ले रही महिलाओं और लड़कियों को बाल देखभाल सुविधाओं के साथ सुरक्षित और किफायती आवास की सुविधा प्रदान करना है। पालना घटक, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आंगनवाड़ी-सह-क्रेच में बाल देखभाल सुविधाएं प्रदान करता है। राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्थापित केंद्र ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं से संबंधित सरकारी योजनाओं के बारे में सूचना असमानता के मुद्दे को संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद लाभ प्रदान किए जाते हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं ने कन्याओं के भविष्य में वित्तीय निवेश को प्रोत्साहित किया है। समग्र शिक्षा जैसी योजनाएं, स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा, विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना के अंतर्गत किफायती और गुणवत्तापूर्ण सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता आदि ने भी व्यवहारिक बदलाव में योगदान दिया है, जिससे शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियों का दाखिला बढ़ा है।
भारत सरकार ने सार्वजनिक खरीद नीति के माध्यम से यह अनिवार्य किया है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय/विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अपनी वार्षिक खरीद का कम से कम तीन प्रतिशत महिला-स्वामित्व वाली सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से खरीदें।
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से, सरकार ने स्किल इंडिया मिशन की भी शुरुआत की है। सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पूरे देश में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी खोले हैं। महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और प्रशिक्षुता दोनों के लिए अतिरिक्त अवसंरचना के निर्माण पर जोर दिया गया है। इसी तरह, सरकार ग्रामीण आबादी को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) लागू कर रही है। इन योजनाओं ने महिलाओं और लड़कियों को नौकरी और उद्यमिता के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने में भी मदद की है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों में लगभग 10 करोड़ सदस्य शामिल हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार/स्वरोजगार के अवसरों को बदल रहे हैं। इसी तरह, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) शहरी क्षेत्रों के लिए है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम एसवीएनिधि), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी योजनाएं रोजगार/स्वरोजगार और ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए लागू की गई हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत अधिकतर लाभार्थी महिलाएं हैं।
आयुष्मान भारत के अंतर्गत, सरकार 55 करोड़ से अधिक नागरिकों को 1200 से अधिक मेडिकल पैकेजों के माध्यम से मुफ्त इलाज प्रदान कर रही है। इनमें से, 141 से अधिक मेडिकल पैकेज विशेष रूप से महिलाओं की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इस योजना के तहत सात प्रकार की जांच (टीबी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मुख का कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और मोतियाबिंद की जांच) की सुविधा प्रदान की जाती हैं, जिससे करोड़ों महिलाओं को लाभ हुआ है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 1,50,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसीएस), जिन्हें आयुष्मान आरोग्य मंदिर भी कहा जाता है, समुदाय के निकट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक वित्त पोषित स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जिसमें विशेष रूप से गरीब और वंचित महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। देशभर में 16,000 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) कार्यरत हैं। पीएमबीजेके न केवल किफायती दवाइयां और चिकित्सा उपकरण प्रदान करता है, जिसमें लगभग 40 विशेष महिला उत्पाद भी शामिल हैं, बल्कि इसमें 'सुविधा सैनिटरी नैपकिन' नामक सैनिटरी नैपकिन की बिक्री की सुविधा भी है, जो मात्र एक रुपये प्रति पैड की अत्यंत किफायती कीमत पर उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), अटल पेंशन योजना (एपीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) को बीमा कवरेज और पेंशन के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए लागू किया गया है।
भाषा को सकारात्मक सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए एक मौलिक शक्ति के रूप में मान्यता देते हुए और एक ऐसा वातावरण तैयार करने का प्रयास करते हुए जहां विविध दृष्टिकोणों को स्वीकारा, महत्व दिया और सशक्त किया जाए, सरकार ने नवंबर 2023 में लैंगिक-समावेशी संचार दिशानिर्देश की शुरुआत की। इसका उद्देश्य गहरी जड़ें जमा चुकी भाषाई मान्यताओं को बदलना और भाषा में मौजूद पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण और रणनीतियां प्रदान करना है।
यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दी।
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पीके/केसी/एसएस
(रिलीज़ आईडी: 2198559)
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