मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक का अपनाना
प्रविष्टि तिथि:
03 DEC 2025 8:59PM by PIB Delhi
मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अनुसार, उच्च सदन में प्रस्तुत प्रश्न के संदर्भ में निम्नलिखित जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
(a) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उन्नत प्रजनन तकनीकों, वैज्ञानिक आहार प्रथाओं को अपनाने तथा दूध उत्पादकता बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों को पूरक और सहयोग प्रदान करने हेतु भारत सरकार ने देशभर में — जिनमें सूखा-ग्रस्त और जलवायु-संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं — निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
(i) राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का कार्यान्वयन, ताकि उन जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज बढ़ाया जा सके जहां यह 50% से कम है। इसके तहत, उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले सांडों के वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के घर-घर नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
(ii) बोवाइन इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन(IVF) तकनीक का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम ताकि मवेशियों का तेज़ी से आनुवंशिक उन्नयन किया जा सके। इस तकनीक को अपनाने पर डेयरी किसानों को प्रति सुनिश्चित गर्भधारण पर 5,000 रूपए का प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
(iii) मादा बछड़ों के उत्पादन हेतु सेक्स-सॉर्टेड वीर्य के उपयोग पर आधारित त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, जिसकी सटीकता 90% से अधिक है। इस योजना के तहत किसानों को सेक्स-सॉर्टेड वीर्य की लागत का 50% तक प्रोत्साहन राशि सुनिश्चित गर्भधारण पर उपलब्ध है।
(iv) उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले पशुओं के चयन को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित किए हैं —गौ चिप (देशी गायों के लिए) और महिस चिप (देशी भैंसों के लिए)। इन चिप्स का उद्देश्य उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले पशुओं का जीनोमिक चयन सुनिश्चित करना है। जीनोमिक परीक्षण की सुविधा किसानों के लिए इसी उद्देश्य से बनाए गए पोर्टल पर उपलब्ध है।
(v) राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) दो घटकों में लागू है: घटक A – गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरण और प्राथमिक दुग्ध शीतन सुविधाओं के निर्माण/सुदृढ़ीकरण के लिए, जिससे सहकारी डेयरी संघों, जिला दुग्ध संघों, स्वयं सहायता समूहों, दुग्ध उत्पादक कंपनियों और किसान उत्पादक संगठनों को लाभ मिले। घटक B – "कोऑपरेटिव्स के ज़रिए डेयरी", जिसका उद्देश्य संगठित बाजार तक किसानों की पहुंच बढ़ाना, डेयरी प्रसंस्करण सुविधाओं का उन्नयन, विपणन संरचना को मजबूत करना और किसान-स्वामित्व वाली संस्थाओं की क्षमता बढ़ाना है।
(vi) राष्ट्रीय पशुधन मिशन—उद्यमिता विकास कार्यक्रम (NLM-EDP) के तहत पोल्ट्री, भेड़, बकरी, सूअर, घोड़ा, ऊँट, गधे के प्रजनन फार्म एवं चारा/फीड इकाई (हे/साइलेंज, टोटल मिक्स्ड रेशन, फॉडर ब्लॉक इकाई, बीज ग्रेडिंग इकाई) स्थापित करने के लिए लागत का 50% (अधिकतम ₹50 लाख) पूंजी अनुदान उपलब्ध है।
(vii) पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) —पशुधन उत्पाद प्रसंस्करण और विविधीकरण अवसंरचना के निर्माण/सुदृढ़ीकरण हेतु 3% वार्षिक ब्याज सब्सिडी, जिससे असंगठित उत्पादकों को संगठित बाजार तक अधिक पहुंच मिल सके।
(viii) विभाग द्वारा एनडीडीबी के सहयोग से विकसित ‘1962 फार्मर्स ऐप’ में राशन बैलेंसिंग पर परामर्श सेवा उपलब्ध है। यह ऐप स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर प्रोटीन, ऊर्जा और खनिजों का संतुलित आहार तैयार करने में किसानों को शिक्षित करता है। इसे फील्ड कार्यकर्ताओं के लिए भी विस्तारित किया जा रहा है, ताकि वे किसानों को वैज्ञानिक भोजन संतुलन अपनाने में सहायता प्रदान कर सकें।
(ix) भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड(KCC) सुविधा को पशुपालन और मत्स्य किसानों के लिए भी बढ़ाया है, ताकि वे अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। पात्रता में व्यक्तिगत किसान, संयुक्त उधारकर्ता,जेएलजी, एसएचजी और किराये/लीज पर लिए गए शेड वाले किसान शामिल हैं।
(b) राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) तथा पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) के अंतर्गत आवंटित/जारी धनराशि का विवरण परिशिष्ट-I एवं II में है।LHDCP के तहत टीके और उपभोग्य वस्तुएं राज्यों को उपलब्ध कराई जाती हैं तथा टीकाकरण कार्य राज्य पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता है।
(c) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से किसानों की आजीविका की रक्षा करने और राज्यों के प्रयासों को पूरक बनाने हेतु विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन लागू कर रहा है। इसका उद्देश्य— देशी नस्लों का संरक्षण और विकास, मवेशियों का आनुवंशिक उन्नयन, दूध उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना है। देशी गायें ऊष्मा सहनशील, रोग प्रतिरोधक, और चरम जलवायु परिस्थितियों में सक्षम होने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए भविष्य के जलवायु परिवर्तन का उन पर कम प्रभाव पड़ता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(ICAR) के अनुसार राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार परियोजना (National Innovations on Climate Resilient Agriculture) शुरू की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य रणनीतिक अनुसंधान और तकनीकी प्रदर्शनों के माध्यम से भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन और जलवायु अस्थिरता के प्रति अधिक लचीला बनाना है। परियोजना का ध्यान फसलों, पशुधन तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में जलवायु-लचीली तकनीकों के विकास और कार्यान्वयन पर केंद्रित है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद बेहतर चारा किस्मों, जिसमें जलवायु-सहिष्णु किस्में भी शामिल हैं, के विकास और देशभर में प्रसार पर अनुसंधान कर रही है। इसके अतिरिक्त, ICAR-भारतीय घासभूमि और चारा अनुसंधान संस्थान (IGFRI), झांसी के अनुसार नमी तनाव-सहिष्णु कई स्थान-विशिष्ट चारा किस्में विकसित की गई हैं और विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में खेती के लिए जारी की गई हैं। जलवायु सहनशील चारा किस्मों का विवरण परिशिष्ट-III में उपलब्ध है।
उपरोक्त उत्तर श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, भारत सरकार, ने राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में दिया था।
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पीके/केसी/पीकेपी
(रिलीज़ आईडी: 2198586)
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