मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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गहरे समुद्र में मछली पकड़ने और नीली अर्थव्यवस्था की पहल

प्रविष्टि तिथि: 04 DEC 2025 2:36PM by PIB Delhi

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार एक प्रमुख योजना प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) कार्यान्वित कर रहा है जिसका उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और मछुआरों और मत्स्य कृषकों के कल्याण को बढ़ाना है। PMMSY का एक प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक और लघु स्तरीय मछुआरों को डीप सी फिशिंग के लिए सशक्त बनाना है। PMMSY के तहत, पारंपरिक मछुआरों को डीप-सी फिशिंग वेसल्स (DSFVs)) के अधिग्रहण के साथ-साथ निर्यात क्षमता के लिए मौजूदा फिशिंग वेसल्स के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

“होल ऑफ गवर्नमेंट अप्रोच” को अपनाते हुए, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार एक संयुक्त कार्य समूह/जॉइंट वर्किंग ग्रुप (JWG) के माध्यम से सहकारिता मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है, ताकि डीप सी फिशिंग, मूल्य-श्रृंखला विकास, प्रसंस्करण और निर्यात में लघु स्तरीय मछुआरों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके। सहकारिता मंत्रालय सहकारी संस्थाओं को सुदृढ करके और नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NCDC) के माध्यम से सहकारी ऋण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाकर इस पहल को सपोर्ट करता है। महाराष्ट्र में, NDCD द्वारा 14 DSFV को कुल 20.30 करोड़ रुपए की परियोजना लागत के साथ सहायता प्रदान की गई है, जिसमें NCDC की 11.55 करोड़ रुपए ऋण सहायता, PMMSY द्वारा 6.72 करोड़ रुपए की सहायता और सोसायटी की 2.03 करोड़ रुपए का योगदान शामिल है। इस मॉडल को अपनाते हुए, मुंबई शहर के मछुआरों की दो समितियों को हाल ही में 27.10.2025 को PMMSY के तहत 02 DSFV प्राप्त हुए हैं। यह पहल मात्स्यिकी क्षेत्र में सहकारी-आधारित विकास का एक आदर्श उदाहरण है जो पारंपरिक मछुआरों को गहरे पानी तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि भारत अधिक सस्टेनेबल और आर्थिक रूप से लाभप्रद मरीन हारवेस्टिंग पद्धतियों की ओर अग्रसर हो। यह सिस्टम लघु स्तरीय मछुआरों, समितियों और सहकारी समितियों को आधुनिक DSFVs  प्राप्त करने और संचालित करने और प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना के लिए ऋण सहायता, नई तकनीक, प्रशिक्षण और बीमा की सुविधा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों को सुदृढ़ कर रहा है।

(ग): मात्स्यिकी के सर्वांगिण विकास और मछुआरों और मत्स्य किसानों के कल्याण के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 से 20,050 करोड़ रुपए के सर्वाधिक निवेश के साथ प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) कार्यान्वित की जा रही है। मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार 2018-19 से 7522.48 करोड़ रुपए के कुल फंड के साथ फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF) भी कार्यान्वित कर रहा है। भारत सरकार ने, अन्य बातों के साथ-साथ, FIDF  के तहत क्रेडिट गारंटी सुविधा प्रदान करने की मंजूरी दी है, जब इसे 3 साल की अवधि (वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2025-26) के लिए बढ़ा दिया गया है।

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) में अन्य बातों के साथ-साथ आजीविका को सुदृढ़ करने वाली गतिविधियों के लिए सहायता की परिकल्पना की गई है, जैसे पारंपरिक मछुआरों को नाव और जाल प्रदान करना, संचार और ट्रैकिंग उपकरणों के लिए सहायता, समुद्री सुरक्षा किट प्रदान करना, मछुआरों को बीमा कवर, डीप सी फिशिंग वेसल्स के अधिग्रहण के लिए सहायता, वैकल्पिक / अतिरिक्त आजीविका गतिविधियां जैसे सीवीड कल्टीवेशन और बाइवाल्व कल्चर, प्रशिक्षण और कौशल विकास, कोल्ड-चेन और विपणन सुविधाओं के लिए सहायता आदि। इसके अलावा, इस योजना में फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग सेंटर का निर्माण भी शामिल है, जो फिशिंग बोट्स/ वेसल्स के सुरक्षित लैंडिंग और बर्थिंग को सुनिश्चित करता हैं। जबकि, एफआईडीएफ अन्य बातों के साथ-साथ, राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य इकाइयों सहित पात्र संस्थाओं/एलीजीबल एंटीटीस (EE) को विभिन्न मात्स्यिकी और जल कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के विकास के लिए रियायती वित्त प्रदान करता है, जिसमें फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग सेन्टर, डीप सी फिशिंग वेसल्स, कोल्ड चेन सुविधाओं, फिश मारकेट और मैरीकल्चर यूनिट के निर्माण और तटीय आजीविका सशक्तीकरण, मत्स्य निर्यात वृद्धि और सतत संसाधन प्रबंधन को सहायता प्रदान करने के लिए इसकी संबद्ध गतिविधियों सहित चिन्हित की गई मात्स्यिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल है।

यह जानकारी मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में दी

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जे पी


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