मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
भारत के ईईजेड में मत्स्य पालन के टिकाऊ उपयोग
प्रविष्टि तिथि:
04 DEC 2025 2:37PM by PIB Delhi
(क): विदेश मंत्रालय भारत सरकार, ने अनन्य आर्थिक क्षेत्र, में मात्स्यिकी के सतत दोहन नियम 2025 को अधिसूचित किया है । इसका उद्देश्य पारंपरिक और लघु स्तरीय मछुआरों, मात्स्यिकी सहकारी समितियों और फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गोनाइजेशन (FFPOs) को सशक्त बनाना है ताकि वे डीप सी के अप्रयुक्त संसाधनों के उपयोग करने, प्रसंस्करण और निर्यात के साथ आय के नए स्रोत सृजन के लिए अपने कार्यों का विस्तार कर सकें जिससे उनकी आजीविका में बढ़ोतरी हो और मजबूती हो।
(ख): मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार एक प्रमुख योजना प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और मछुआरों और मत्स्य किसानों के कल्याण को बढ़ावा देना है। प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा (PMMSY) का एक प्रमुख उद्देश्य डीप सी फिशिंग में पारंपरिक और लघु स्तरीय मछुआरों को सशक्त बनाना है। तदनुसार, PMMSY के तहत पारंपरिक मछुआरों को डीप सी फिशिंग वेसल्स (DSFVs) के अधिग्रहण के साथ-साथ निर्यात क्षमता के लिए मौजूदा फिशिंग वेसल्स के उन्नयन के लिए सहायता प्रदान की जाती है। नीली क्रांति, PMMSY और फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (FIDF) योजनाओं के तहत, पारंपरिक मछुआरों द्वारा 1243 डीप सी फिशिंग वेसल्स (DSFVs) के अधिग्रहण और निर्यात क्षमता के लिए 1330 मौजूदा फिशिंग वेसल्स के उन्नयन अथवा अपग्रेड के लिए कुल 895.9 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।
मत्स्यपालन विभाग “होल ऑफ गवर्नमेंट अप्रोच” को अपनाकर, डीप सी फिशिंग, पोस्ट हार्वेस्ट, प्रसंस्करण और निर्यात के क्षेत्रों में लघु स्तरीय मछुआरों, सहकारी समितियों और मछुआरा समितियों को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) के माध्यम से सहकारिता मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है। सहकारिता मंत्रालय सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ करके और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के माध्यम से सहकारी ऋण तक पहुंच को सुविधाजनक बनाकर इस पहल में सहायता करता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में, NDCD द्वारा 20.30 करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत के साथ 14 DSFV को सहायता प्रदान की गई है, जिसमें NCDC की 11.55 करोड़ की ऋण सहायता, PMMSY की 6.72 करोड़ रुपए की सहायता और सोसायटी का 2.03 करोड़ रुपए का योगदान शामिल है। इस मॉडल को अपनाते हुए मुंबई शहर के मछुआरों की दो सोसाइटियों को हाल ही में 27.10.2025 को PMMSY के तहत 02 DSFV प्राप्त हुए हैं। यह पहल मात्स्यिकी क्षेत्र में सहकारिता के तहत विकास का एक आदर्श उदाहरण है, जो हमारे मछुआरों को गहरे पानी तक पहुँचने में मदद करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि भारत अधिक सस्टेनेबल और आर्थिक रूप से लाभप्रद मरीन हार्वेस्टिंग पद्धतियों की ओर अग्रसर हो। यह सिस्टम छोटे सेक्टर के मछुआरों, समितियों और सहकारी समितियों को आधुनिक DSFVs प्राप्त करने और संचालन करने के लिए क्रेडिट सहायता, नई टेक्नोलॉजी, प्रशिक्षण और बीमा की सुविधा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों को सुदृढ़ कर रहा है ।
(ग): फिशिंग क्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग (ReALCRaft) एक वेब इनेबल्ड ऑनलाइन एप्लीकेशन पोर्टल है, जिसे संबंधित कानूनों या नियमों के तहत फिशिंग वेसल को वेसल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (VRC) और फिशिंग लाइसेंस या एक्सेस पास जारी करने के लिए बनाया गया है। फिशिंग क्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग (ReALCRaft) डिजिटल और डेटा-ड्रिवन नागरिक केंद्रित सेवाओं को भी बढ़ावा देता है और पारदर्शिता बनाए रखता है। वेसल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट तटीय राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के तहत जारी की जाती हैं। फिशिंग क्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग (ReALCRaft) पोर्टल को नाभमित्र एप्लीकेशन और तटीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ एकीकृत (इंटीग्रेट) किया गया है ताकि समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
(घ): अनन्य आर्थिक क्षेत्र में मात्स्यिकी के सतत दोहन नियम, 2025 अप्रयुक्त मात्स्यिकी संसाधनों के इष्टतम उपयोग के साथ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (मरीन इकोसिस्टम) के स्थायित्व (सस्टेनेबिलिटी) को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए हैं। संसाधनों के सतत उपयोग के लिए पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और संरक्षण और प्रबंधन उपायों के कार्यान्वयन पर भी जोर दिया गया है, जैसे मानसून या फिश ब्रीडिंग सीज़न में मत्स्यन पर एक समान (यूनिफ़ोर्म) प्रतिबंध, कैप्चर के लिए मत्स्य का न्यूनतम लीगल साइज, बायकैच कम करने के उपाय, फिशिंग वेसल्स पर पोस्ट हारवेस्ट नुकसान को कम करने की सर्वोत्तम प्रथा, मत्स्य स्टॉक का संरक्षण या सी रैंचिंग सहित रिजुविनेशन के उपाय, आर्टिफिशियल रीफ की स्थापना, एसेंशियल फिश हैबिटेट (EFH) की पहचान और संरक्षण, जिसमें स्पॉनिंग, ब्रीडिंग और फीडिंग ग्राउंड आदि शामिल हैं। ये नियम हमारे समुद्रों की समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए ईईजेड में विनाशकारी मत्स्यन और जुवेनाइल फिशिंग पर भी रोक लगाते है।
इन प्रयासों से वैश्विक बाजारों में मूल्यवर्धित (वैल्यू एडेड) सीफूड उत्पादों का शेयर बढ़ाने के साथ-साथ भारत के सीफूड निर्यात में समुद्री क्षेत्र के योगदान में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। सर्टिफ़िकेशन, ट्रेसेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी के माध्यम से हाई-वैल्यू सीफ़ूड उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया जा रहा है। ये प्रयास सीफूड निर्यात बढ़ाने में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे ।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न के संदर्भ में दी।
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जे पी
(रिलीज़ आईडी: 2198672)
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