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आईआईए ने एस्ट्रोसैट पर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप के संचालन के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया

प्रविष्टि तिथि: 04 DEC 2025 3:37PM by PIB Delhi

एक ऐतिहासिक क्षण में, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने एस्ट्रोसैट पर अत्यधिक सफल अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआईटी) के संचालन के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया।

यूआईवीटी, भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला, एस्ट्रोसैट पर प्राथमिक पेलोड है, जिसे इसरो द्वारा 28 सितंबर, 2015 को प्रक्षेपित किया गया था। एस्ट्रोसैट में पांच पेलोड हैं जो पराबैंगनी से लेकर सॉफ्ट एक्स-रे और हार्ड एक्स-रे तक का एक साथ अवलोकन करने में सक्षम हैं।

यूआईवीटी का डिजाइन, संयोजन, परीक्षण और वितरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान यानी भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) ने अपने होसाकोटे स्थित परिसर में किया था। इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में और भविष्य के अंतरिक्ष यूवी दूरबीनों की योजना बनाने के लिए, आईआईए ने 30 नवंबर, 2015 को यूवीआईटी के उद्घाटन के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 4 दिसंबर, 2025 को एक दिवसीय शैक्षणिक कार्यशाला का आयोजन किया।

आईआईए की निदेशक और यूवीआईटी की अंशांकन वैज्ञानिक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने बताया, "चूंकि यूवी किरणें हमारे वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, इसलिए इन्हें केवल अंतरिक्ष दूरबीनों का उपयोग करके ही देखा जा सकता है। यूवीआईटी भारत का पहला यूवी अंतरिक्ष दूरबीन है और हबल अंतरिक्ष दूरबीन के अलावा सुदूर यूवी में अवलोकन करने में सक्षम एकमात्र कार्यशील दूरबीन है।"

यूवीआईटी ने कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं और आज भी भारत तथा विदेशों में खगोलविदों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक विशाल दृश्य क्षेत्र और आकाश के बेहतर स्थानिक विभेदन के संयोजन में दुनिया में अद्वितीय है।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रो. के. कस्तूरीरंगन के योगदान को याद करते हुए, इसरो के पूर्व अध्यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार ने कहा, "जब भी हम ब्रह्मांड को देखने और मापने के नए तरीके खोजते हैं, तो ब्रह्मांड को समझने की हमारी क्षमता में सुधार होता है और मैं आईआईए को आज हम सभी को एक साथ लाने के लिए बधाई देता हूं ताकि यह बताया जा सके कि एस्ट्रोसैट और यूवीआईटी को कैसे डिजाइन किया गया, निर्मित किया गया और अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक उड़ाया गया।"

यूवीआईटी पेलोड्स ऑपरेशन सेंटर के प्रभारी सीएस स्टालिन ने कहा, "यूवीआईटी एक जुड़वां दूरबीन प्रणाली है। इनमें से एक निकट-पराबैंगनी (एनयूवी; 200-300 नैनोमीटर) और दृश्य बैंड (दृश्य: 320-550 नैनोमीटर) में ब्रह्मांड का अवलोकन करती है और दूसरी सुदूर-पराबैंगनी (एफयूवी; 130-180 नैनोमीटर) में अवलोकन करती है।"

इसका विशाल दृश्य क्षेत्र और 1.5 आर्कसेकेंड से बेहतर उच्च स्थानिक रिजोल्यूशन (गैलेक्स/नासा से बेहतर) का संयोजन इसे खगोल विज्ञान से संबंधित खोजों के लिए एक अद्वितीय उपकरण बनाता है।

यूवीआईटी के डिजाइन और निर्माण में कई संस्थान शामिल थे और पूरी परियोजना का नेतृत्व आईआईए द्वारा किया गया। इसमें एक राष्ट्रीय संगोष्ठी शामिल थी, जिसमें पुणे में आईयूसीएए, मुंबई में टीआईएफआर, इसरो के कई केंद्र शामिल थे। इन सभी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें आईएसएसी/यूआरएससी, एलईओएस, आईआईएसयू और एसएसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी शामिल थे।

सुब्रमण्यम ने कहा, "हमें संवेदनशील घटकों के संचालन हेतु 'स्वच्छ कक्षों' वाली एक विशेष प्रयोगशाला स्थापित करनी पड़ी ताकि किसी भी संदूषण से उन्हें ख़राब होने से बचाया जा सके। यह एमजीके मेनन प्रयोगशाला होसाकोटे स्थित हमारे सीआरईएसटी परिसर में स्थापित की गई थी, जिसका इस्तेमाल अन्य अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी किया गया है।" उन्होंने कहा कि यूवी खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनके अनुभव का उपयोग करने के लिए कनाडा के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित किया गया था। प्रक्षेपण के बाद, आईआईए में यूवीआईटी पेलोड ऑपरेशन सेंटर (पीओसी) की स्थापना की गई, जो खगोलविदों के लिए विज्ञान के अनुकूल डेटा के उत्पादन, यूवीआईटी की नियमित निगरानी, प्रस्तावों के तकनीकी मूल्यांकन और दूरबीन के सॉफ्टवेयर को उन्नत करने के लिए जिम्मेदार है।

कार्यशाला में यूवीआईटी अवलोकनों से प्राप्त कुछ प्रमुख खोजों और विज्ञान संबंधी विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला गया, जिनमें बी सितारों और ब्लू स्ट्रैगलर सितारों के गर्म कॉम्पैक्ट आसपास के सितारों की खोज, एंड्रोमेडा आकाशगंगा में तारा निर्माण, नोवा द्वारा सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक में फीडबैक प्रभाव, छोटी आकाशगंगाओं और ग्रहीय नेबुला में विस्तारित यूवी डिस्क की खोज, 1.42 के रेडशिफ्ट पर दूरस्थ आकाशगंगाओं से उत्सर्जन का पता लगाना, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक से यूवी और एक्स-रे उत्सर्जन के बीच संबंध, और आकाशगंगाओं में युवा तारा निर्माण की विशेषताएं शामिल हैं।

इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि यूवीआईटी ने आकाश में कुल 1451 लक्ष्यों का अवलोकन किया है और पिछले 10 वर्षों के संचालन में, इसके माध्यम से लगभग 300 रिसर्च आर्टिकल और 19 पीएचडी थीसिस तैयार किए गए हैं। भारत और विदेश में कई अन्य छात्र भी अपने अनुसंधान कार्य के लिए यूवीआईटी के डेटा का उपयोग कर रहे हैं।

विज्ञान के अनुकूल अंतिम छवियों के उन्नत वर्जन को यूवीआईटी पीओसी द्वारा इसरो के आईएसएसडीसी के प्रदान अभिलेखागार में अपलोड किया जा रहा है, ताकि आने वाले वर्षों में सभी खगोलविद अपने अनुसंधान के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें।

अंत में, वहां एकत्रित खगोलविदों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किस प्रकार यूवीआईटी में दो दशकों से अधिक के अनुभव के आधार पर, अगली पीढ़ी की एक बड़ी अंतरिक्ष सुविधा, अर्थात आईएनएसआईएसटी (भारतीय स्पेक्ट्रोस्कोपिक और इमेजिंग स्पेस टेलीस्कोप) को संभव बनाया जा सकता है।

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पीके/केसी/एसकेएस/केके


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