पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

मोदी जी नए और उभरते पूर्वोत्तर के महान निर्माता हैं : सर्बानंद सोनोवाल


रेल, सड़क, वायु और जलमार्ग ‘अष्टलक्ष्मी’ क्षेत्र को भारत के विकास के नए साधन में बदल रहे हैं : सर्बानंद सोनोवाल

मोदी दशक में संपर्क, पूंजी निवेश और सांस्कृतिक पुनर्जागरण ने पूर्वोत्तर को नया आकार दिया है, पूर्वोत्तर में दशकों की उपेक्षा के बाद ऐतिहासिक बदलाव आया है : सर्बानंद सोनोवाल

प्रविष्टि तिथि: 04 DEC 2025 2:26PM by PIB Delhi

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जल मार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए और पुनरुत्थारित पूर्वोत्तर क्षेत्र के महान निर्माता बन गये हैं, जिन्होंने दशकों तक उपेक्षित रहे इस क्षेत्र को भारत के विकास, संपर्क और राष्ट्रीय गौरव के प्रमुख चालक के रूप में परिवर्तित कर दिया है।

पिछले दशक में हासिल विकास उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए श्री सोनोवाल ने कहा कि नीति निर्धारण में पूर्वोत्तर क्षेत्र हाशिये से अब राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की मुख्यधारा में आ गया है। यह बुनियादी अवसंरचना को व्यापक बनाने, आर्थिक सुधार, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और दीर्घकालिक शांति स्थापना के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता दर्शाता है।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र ने सात दशकों से अल्प प्रतिनिधित्व और निवेश में कमी का सामना किया है, पर मोदी जी के नेतृत्व में, इस क्षेत्र को भारत की अष्टलक्ष्मी के रूप में मान्यता मिली है। यह केवल सीमावर्ती क्षेत्र ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास के नये चालक के रूप में परिवर्तित हो गया है। राजधानी से रेलवे और हवाई अड्डों को जोड़ने से लेकर राजमार्गों, विद्युत, डिजिटल नेटवर्क और अंतर्देशीय जलमार्गों तक के विकास का यह बदलाव ऐतिहासिक रहा है।

श्री सोनोवाल ने कहा कि संपर्क स्थापना प्रधानमंत्री की दृष्टि योजना की आधारशिला रही है। इस क्षेत्र में सभी प्रमुख रेलवे लाइन के गेज परिवर्तन के कार्य पूरे हो गये हैं और अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर और मिज़ोरम ब्रॉड गेज नेटवर्क से जुड़ गए हैं, जिससे यात्री और मालगाड़ियां पहली बार इस क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में पहुंच रही हैं। इसी कड़ी में बोगीबील रेल-सह-सड़क पुल का काम 2018 में पूरा हो गया और जून 2025 में भैरबी-सैरांग संपर्क मार्ग प्रचालित होने से असम और मिज़ोरम तक पहुंच का विस्तार हुआ है।

उन्होंने कहा कि नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम और मेघालय में राजधानी से रेल संपर्क स्थापित करने की चार परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जबकि भारत-बांग्लादेश अगरतला-अखौरा रेल लिंक का उद्घाटन नवंबर 2023 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।

सड़कों की बात करें तो पिछले दशक में 11,000 किलोमीटर से अधिक दूरी के राष्ट्रीय और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राजमार्गों को बेहतर बनाया गया है। प्रमुख गलियारों में शिलांग-नोंगस्टोइन-तुरा खंड, नेचिपु-होज राष्ट्रीय राजमार्ग-13 परियोजना, और कोहिमा, ईटानगर और गंगटोक तक राजधानी से संपर्क राजमार्ग शामिल हैं। इनमें से कई परियोजनाएं 2025 में पूर्ण होने वाली हैं।

हवाई संपर्क में तो और भी क्रांतिकारी बदलाव आया है। पूर्वोत्तर में जहां वर्ष 2014 में नौ हवाई अड्डे क्रियाशील थे, वहीं अब बढ़कर 19 हवाई अड्डे हो गये हैं। पाकयोंग और होलोंगी में नये निर्मित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के साथ-साथ उन्नत बनाए गये तेज़ू, रूपसी और अगरतला टर्मिनलों को उड़ान योजना के अंतर्गत क्रियाशील बनाया गया। क्षेत्र में दूरदराज के जिलों तक संपर्क विस्तारित करने के लिए हेलीपोर्ट तथा सीप्लेन, फ्लोट-प्लेन और एम्फीबियस विमानों के उतरने और उड़ान भरने के लिए जल हवाई अड्डों का एक नेटवर्क स्थापित किया गया है।

आर्थिक और औद्योगिक अवसंरचना

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने दशकों की उपेक्षा के बाद ऐतिहासिक बदलाव देखा है। राज्यों की राजधानियों तक रेल संपर्क से लेकर विश्वस्तरीय राजमार्गों, हवाई अड्डों और जलमार्गों तक, यह क्षेत्र भारत के विकास को गति देने वाले नए इंजन के रूप में उभरा है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर रेल सह सड़क पुल बोगीबील जैसी ऐतिहासिक परियोजनाओं का पूरा होना, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गुवाहाटी का विस्तार और सड़क एवं हवाई अड्डे जैसे बुनियादी ढांचों का तेज़ी से विकास, मौजूदा परिवर्तन की व्यापकता को दर्शाता है।

श्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता से पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से व्यापक निवेश आकर्षित हुआ है। उन्होंने कहा कि नुमालीगढ़ स्थित भारत के पहले बांस-आधारित इथेनॉल संयंत्र, बायो-रिफाइनरी ने क्षेत्र के कृषकों के लिए आय के नए स्रोत निर्मित किए हैं। 22,594 करोड़ रुपये की लागत से नुमालीगढ़ रिफाइनरी विस्तार परियोजना से उसकी क्षमता तीन गुना बढ़ी है, जिससे यह क्षेत्र ऊर्जा के महत्वपूर्ण केंद्र के तौर पर स्थापित हो गया है। जगीरोड स्थित सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा केंद्र में 27 हज़ार करोड़ रुपये के निवेश से सालाना 15 अरब चिप्स का उत्पादन होगा और 27 हज़ार रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र वैश्विक प्रौद्योगिकी मानचित्र पर उभरकर सामने आयेगा। इस क्षेत्र के विकास के केंद्र में कृषि और जैविक खेती हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र अब भारत की जैविक उत्पादन श्रृंखला में अग्रणी है। इसमें किसान-उत्पादक संगठनों, बांस उद्योग के विनियमन और समर्पित मिशनों का बड़ा योगदान है।

श्री सोनोवाल ने कहा कि बोडो, कार्बी, ब्रू और अन्य समूहों के साथ शांति समझौतों से पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता बढ़ी है। वर्ष 2014 से सशस्त्र बल विशेषाधिकार (अफस्पा) को 75 प्रतिशत तक कम किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का अभी सांस्कृतिक पुनर्जागरण काल है। श्री सोनोवाल ने डॉ. भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित करने, लाचित बोरफुकन की स्मृति में वृहद् समारोह और असम के अहोम राजवंश के समाधि स्थल मैदाम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किये जाने का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि मोदी दशक ने पूर्वोत्तर में नुमालीगढ़ में बांस-आधारित बायो-रिफाइनरी से लेकर जगीरोड में पहले सेमीकंडक्टर प्लांट तक आर्थिक प्रगति के अभूतपूर्व द्वार खोले हैं। ये हमारे क्षेत्र में नए सिरे से उभरे राष्ट्रीय आत्मविश्वास को दर्शाते हैं। शांति समझौतों, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और लाचित बोरफुकन तथा भूपेन हजारिका जैसी विभूतियों को वैश्विक मान्यता मान्यता प्रदान करने के साथ ही हम अपनी धरती पर पहचान, गौरव, अवसर और निवेश का पुनर्जागरण देख रहे हैं।

श्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस क्षेत्र में 70 से अधिक दौरे और निरंतर मंत्रिस्तरीय समीक्षा पूर्वोत्तर के प्रति केंद्रीय सुशासन का दृष्टिकोण दर्शाता है।

दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार

श्री सोनोवाल ने कहा कि एक्ट ईस्ट नीति के तहत, एकीकृत जांच चौकियों, सीमावर्ती बुनियादी अवसंरचना और जलमार्गों, राजमार्गों और रेल संपर्कों के विभिन्न संपर्क साधनों से पूर्वोत्तर क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया का प्रचालन और सांस्कृतिक प्रवेश द्वार बन रहा है।

श्री सोनोवाल ने कहा कि आज पूर्वोत्तर उभरते भारत की कहानी बयान करता है। इस बदलाव में प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्ट छाप है, जो एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों के हाथों में इस क्षेत्र का विश्वास, ध्यान और भविष्य सौंपा है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002W0ZT.jpghttps://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003BZ56.jpg

***

पीके/केसी/एकेवी/एसके


(रिलीज़ आईडी: 2199316) आगंतुक पटल : 10
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: Gujarati , English , Khasi , Assamese , Urdu