विधि एवं न्‍याय मंत्रालय
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न्यायपालिका में एआई आधारित डिजिटल सामग्री का उपयोग

प्रविष्टि तिथि: 05 DEC 2025 1:52PM by PIB Delhi

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत परिवर्तित या मनगढ़ंत डिजिटल सामग्री से संबंधित मामलों में पहचान की चोरी (धारा 66सी), कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग कर प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी (धारा 66डी), अश्लील या हानिकारक डिजिटल सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण (धारा 67, 67 और 67बी) जैसी विभिन्न अपराध शामिल हैं। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत भी प्रकरण दर्ज किए जाते हैं, जिनमें प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी (धारा 319), इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड से संबंधित जालसाजी एवं अभिलेखों के मिथ्याकरण (धारा 336) तथा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जालसाजी (धारा 340) जैसे अपराध सम्मिलित हैं। ऐसे मामलों से निपटते समय, न्यायपालिका ने छेड़छाड़ की गई डिजिटल सामग्री से उत्पन्न बढ़ते जोखिम और जनता की धारणा पर इसके संभावित प्रभाव को पहचाना है।

इन चिंताओं को दूर करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में विभिन्न संशोधनों की शुरूआत और 2023 में नए आपराधिक कानूनों को लागू करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63 के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के प्रमाणीकरण और स्वीकार्यता की प्रक्रियाओं को सुदृढ़ किया गया है, जो डिजिटल साक्ष्य की प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रमाणीकरण प्रमाणपत्रों को अनिवार्य करता है।

इसके साथ ही, ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट के अंतर्गत न्यायिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए बड़ी संख्या में अदालती कार्यवाहियों का लाइव-स्ट्रीमिंग किया जा रहा है। न्यायिक निर्णयों की प्रमाणित प्रतियां 'जजमेंट सर्च पोर्टल' पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, ताकि न्यायिक निर्णयों की सुगम उपलब्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।


राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के एक भाग के रूप में, भारतीय न्यायपालिका में आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) के लिए 7210 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली ई-कोर्ट्स मिशन मोड परियोजना का चरण-III कार्यान्वयनाधीन है। इसका उद्देश्य न्यायालयों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी सक्षमता प्रदान करके न्यायिक प्रणाली में परिवर्तन लाना और न्यायिक उत्पादकता को गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों रूप से बढ़ाना है, जिससे न्याय वितरण प्रणाली सुलभ, लागत प्रभावी, विश्वसनीय और पारदर्शी बन सके।

ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के अंतर्गत, सहज उपयोगकर्ता अनुभव के लिए आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने हेतु भविष्य की तकनीकी प्रगति (एआई, ब्लॉकचेन आदि) घटक के लिए 53.57 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक क्षेत्र में एआई के उपयोग का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समिति का गठन किया है। हालांकि, न्यायिक प्रक्रियाओं में एआई उपकरणों को अपनाने के लिए कोई औपचारिक नीति या दिशानिर्देश मौजूद नहीं हैं, क्योंकि एआई-आधारित समाधान नियंत्रित पायलट चरण में हैं और अधिकारी केवल ई-कोर्ट चरण III की डीपीआर में अनुमोदित क्षेत्रों में ही एआई का उपयोग करते हैं।

न्यायपालिका इस बात से अवगत है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को शामिल करने से कई चुनौतियां उत्पन्न होती हैं, जैसे एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह, भाषा और अनुवाद संबंधी समस्याएं, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएं, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा उत्पन्न परिणामों के मैन्युअल सत्यापन की आवश्यकता। सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के अध्यक्ष ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ छह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की एक उप-समिति गठित की है, जो डेटा और गोपनीयता सुरक्षा के लिए सुरक्षित कनेक्टिविटी और प्रमाणीकरण तंत्र की सिफारिश करेगी, और डेटा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ई-न्यायालय परियोजना के अंतर्गत डिजिटल बुनियादी ढाँचे और सेवा वितरण प्रणालियों का आकलन करेगी।

न्यायाधीशों को कानूनी शोध और दस्तावेज विश्लेषण में सहायता के लिए लीगल रिसर्च एनालिसिस असिस्टेंट [लेगआरएए] नामक एक एआई आधारित सॉफ्टवेयर टूल विकसित किया गया है। डिजिटल कोर्ट्स 2.1 नामक एक अन्य एआई आधारित टूल माननीय न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को सभी केस-संबंधी सूचनाओं और कार्यों के प्रबंधन हेतु एकल विंडो प्रदान करके सहायता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस प्लेटफ़ॉर्म में वॉयस-टू-टेक्स्ट (एएसआर-श्रुति) और अनुवाद (पाणिनी) सुविधाएं शामिल हैं जो न्यायाधीशों को आदेश और निर्णय लिखने में सहायता करती हैं। वर्तमान में, एआई आधारित समाधानों के पायलट चरण में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी ने किसी भी प्रणालीगत पूर्वाग्रह, अनपेक्षित सामग्री या अन्य मुद्दों की रिपोर्ट नहीं की है।

विधि एवं न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में यह जानकारी दी।

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पीके/केसी/केएल/एनजे


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