औषधि विभाग
azadi ka amrit mahotsav

देश में चिकित्सा उपकरण उद्योग

प्रविष्टि तिथि: 05 DEC 2025 4:26PM by PIB Delhi

पिछले पांच वर्षों के दौरान महाराष्ट्र राज्य सहित देश में लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा उपकरण विनिर्माण स्थलों की संख्या और राज्यवार ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है।

सरकार ने देश में चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं, जिनमें चिकित्सा उपकरण उद्योग की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान भी शामिल है। इन प्रयासों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना : इस योजना का बजटीय परिव्यय 3,420 करोड़ रुपये है और वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2026-27 तक पांच साल की प्रदर्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन अवधि है। इस योजना के अंतर्गत चयनित कंपनियां रेडियोथेरेपी, इमेजिंग डिवाइस, एनेस्थीसिया, कार्डियो-रेस्पिरेटरी और क्रिटिकल केयर और इम्प्लांट डिवाइस सेगमेंट में घरेलू स्तर पर निर्मित चिकित्सा उपकरणों की वृद्धिशील बिक्री के लिए पांच साल की अवधि के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं। सितंबर 2025 तक, 22 ग्रीनफील्ड परियोजनाएं चालू हो गई हैं और 55 उत्पादों के लिए उत्पादन शुरू हो गया है, जिसमें उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरण शामिल हैं, जिन पर देश अत्यधिक आयात पर निर्भर रहा है, जैसे कि रैखिक त्वरक, एमआरआई और सीटी स्कैन और मैमोग्राम के लिए मशीनें, सी-आर्म एक्स-रे मशीन, एमआरआई कॉइल और अल्ट्रासाउंड मशीनें। सितंबर 2025 तक, इस योजना के अंतर्गत 12,344 करोड़ 37 लाख रुपये की संचयी पात्र बिक्री की गई है, जिसमें 5,869 करोड़ 36 लाख की निर्यात बिक्री शामिल है।
  2. चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने की योजना : इस योजना का उद्देश्य चिकित्सा उपकरण पार्कों में स्थापित चिकित्सा उपकरण इकाइयों को विश्व स्तरीय, सामान्य बुनियादी सुविधाओं तक आसान पहुँच प्रदान करना है। इस योजना के तहत, तीन पार्कों को मंजूरी दी गई है और ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), उज्जैन (मध्य प्रदेश) और कांचीपुरम (तमिलनाडु) जिलों में विकास के उन्नत चरण में हैं। इनकी कुल परियोजना लागत 871 करोड़ 11 लाख है, जिसमें सामान्य बुनियादी ढांचा सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रत्येक 100 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है, जिससे उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने और संसाधनों के अनुकूलन और पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से उत्पादन लागत कम होने की उम्मीद है। नवंबर 2025 तक, तीन पार्कों के लिए कुल 300 करोड़ रुपये में से कुल 180 करोड़ रुपये जारी किए गए थे सितंबर 2025 तक, 194 चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को तीन पार्कों में 298.58 एकड़ क्षेत्र में भूमि आवंटित की गई है और 34 इकाइयों ने अपने संयंत्रों का निर्माण शुरू कर दिया है।
  3. चिकित्सा उपकरण उद्योग को सुदृढ़ बनाने की योजना : यह योजना 8.11.2024 को 500 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ शुरू की गई है। इसका उद्देश्य प्रमुख घटकों और सहायक उपकरणों के निर्माण, कौशल विकास, नैदानिक ​​अध्ययनों के लिए सहायता, साझा बुनियादी ढाँचे के विकास और उद्योग संवर्धन सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहायता प्रदान करके चिकित्सा उपकरण उद्योग को मज़बूत बनाना है। इसमें निम्नलिखित उप-योजनाएँ शामिल हैं:
  1. चिकित्सा उपकरण क्लस्टरों के लिए सामान्य सुविधाएं;
  2. आयात निर्भरता कम करने के लिए सीमांत निवेश योजना;
  3. चिकित्सा उपकरणों के लिए क्षमता निर्माण और कौशल विकास;
  4. चिकित्सा उपकरण नैदानिक ​​अध्ययन सहायता योजना; और
  5. चिकित्सा उपकरण प्रोत्साहन योजना।

आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी दी।

******

संलग्‍नक

चिकित्सा उपकरण उद्योग के संबंध में दिनांक 5.12.2025 को उत्तर के लिए लोक सभा अतारांकित प्रश्न संख्या 964 के भाग (क) और (घ) के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक

पिछले पांच वर्षों के दौरान महाराष्ट्र राज्य सहित देश में लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा उपकरण विनिर्माण स्थलों की संख्या और राज्यवार ब्यौरा

राज्य /केन्‍द्र शासित प्रदेश

2021 से 2025 की अवधि के दौरान लाइसेंस प्राप्त विनिर्माण स्थलों की संख्या

आंध्र प्रदेश

58

असम

7

बिहार

39

छत्तीसगढ़

13

दादर और नागर हवेली और दमन और दीव

34

दिल्ली

291

गोवा

18

गुजरात

738

हरियाणा

302

हिमाचल प्रदेश

49

जम्मू और कश्मीर

12

झारखंड

3

कर्नाटक

262

केरल

187

मध्य प्रदेश

78

महाराष्ट्र

721

मणिपुर

3

उड़ीसा

38

पुद्दुचेरी

18

पंजाब

78

राजस्थान

118

तमिलनाडु

346

तेलंगाना

194

उत्तराखंड

60

उत्तर प्रदेश

346

पश्चिम बंगाल

62

***

पीके/केसी/केएल/पीके


(रिलीज़ आईडी: 2199764) आगंतुक पटल : 49
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English