शिक्षा मंत्रालय
राम मंदिर की दिव्यता ने किया मंत्रमुग्ध; शिक्षक बोले, “यह केवल यात्रा नहीं, अनुभूति
प्रविष्टि तिथि:
07 DEC 2025 8:59PM by PIB Delhi
वाराणसी-तमिलनाडु सांस्कृतिक समन्वय की अनूठी कड़ी काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत तमिलनाडु से आए शिक्षकों के दल ने प्रातः 8 बजे श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पधारकर प्रथम दर्शन किए। जैसे ही शिक्षकगण रामलला के पावन धाम में पहुँचे, पूरा परिसर “जय श्री राम” के जयघोष से गूंज उठा।

शिक्षकों ने अत्यंत श्रद्धा एवं भक्ति भाव से श्री रामलला का दर्शन किया और उनके दिव्य स्वरूप को निहारते हुए भाव-विभोर हो उठे। राम मंदिर के भव्य शिल्प, विशाल गर्भगृह और विस्तृत प्रांगण को देखकर उन्होंने अत्यधिक प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर का विशाल स्वरूप और उसके स्थापत्य की भव्यता अद्भुत एवं अलौकिक है। मंदिर में प्रयुक्त उत्कृष्ट शिल्पकला, पारंपरिक संरचना और वैदिक स्थापत्य देखकर वे मंत्रमुग्ध रह गए।
दर्शन उपरांत दल हनुमानगढ़ी पहुंचा, जहां सभी शिक्षकों ने बजरंगबली के दर्शन किए और प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी की महिमा को नज़दीक से महसूस किया। हनुमानगढ़ी के धार्मिक वातावरण और भक्तों की आस्था ने उन्हें अपार शांति और ऊर्जा से भर दिया।
इसके बाद वे राम की पौड़ी पहुंचे, जहां सरयू नदी के पावन तट पर उन्होंने पवित्र जल का स्पर्श कर शांत और भक्ति भरा अनुभव किया। सरयू की लहरों की मधुर ध्वनि और आसपास के आध्यात्मिक वातावरण ने सभी के मन को मोहित कर लिया।
तमिलनाडु से आए शिक्षक समूह के गणित के शिक्षक श्रवण के लिए यह यात्रा अविस्मरणीय बन गई। काशी, प्रयागराज और अयोध्या की अपनी पहली यात्रा का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि श्री विश्वनाथ धाम की भव्यता, प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का दिव्य दृश्य, और राम मंदिर के इतिहास को जानना उनके लिए बहुत खास रहा।

अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन के दौरान उनकी आँखें नम हो गईं। श्रवण ने भावुक होते हुए कहा, "श्री रामलला का दिव्य स्वरूप मानो सीधे मेरे मन को छू गया। यह मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम मंदिर जैसा ही दिव्य है।" श्रवन ने बताया कि राम मंदिर की वास्तुकला उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का अनुपम प्रतीक है। यहाँ मंदिर में पत्थरों की नक्काशी व मंदिर के मुख्य द्वार पर महाबलीपुरम के मंदिर की कला और रामेश्वरम की पावन मिट्टी का उपयोग यह दर्शाता है कि भगवान राम समस्त भारत की आस्था के केंद्र हैं।
शिक्षकों ने रामायण से जुड़े प्रसंगों के माध्यम से उत्तर भारतीय संस्कृति के गौरव को भी निकट से जाना। उन्होंने मंदिर परिसर के बाहर से उपलब्ध रामायण से जुड़ी कलाकृतियों और स्मृति-चिह्नों को खरीदकर इस पावन यात्रा की याद संजोकर रख लिया है।
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SC/AK/DS
(रिलीज़ आईडी: 2200185)
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