जल शक्ति मंत्रालय
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हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बांधों से गाद निकाले जाने की स्थिति

प्रविष्टि तिथि: 04 DEC 2025 6:13PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण द्वारा संकलित नेशनल रजिस्टर ऑफ़ स्पेसिफाइड डैम्स, 2025 के अनुसार, हरियाणा में 3, पंजाब में 15 और हिमाचल प्रदेश में 24 बांध निर्दिष्ट हैं। हाल के सर्वेक्षण के अनुसार, इन राज्यों के 24 जलाशयों की मौजूदा कुल भंडारण क्षमता का विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।

'जल' राज्य का विषय होने के कारण; जल संसाधन परियोजनाओं की आयोजना, उनका कार्यान्वयन, संचालन और रख-रखाव राज्य सरकारें अपने संसाधनों से और अपनी आवश्यकयताओं एवं प्राथमिकता के अनुसार करती हैं। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता के लिए, जल निकायों की मरम्मत, नवीकरण और पुनरूद्धार और बांध पुनर्वासन एवं सुधार परियोजना (डीआरआईपी) आदि जैसी विभिन्न स्कीमों और कार्यक्रम के माध्यम से जल संसाधनों के सतत विकास और दक्ष प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

चल रही बाह्य वित्त-पोषित डीआरआईपी चरण-II एवं III स्कीम के अंतर्गत, प्रतिभागी राज्यों/एजेंसियों में चुने हुए बांध से गाद निकालने का प्रावधान किया गया है, जो प्रस्ताव के तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता के अधीन है। वर्तमान में, डीआरआईपी चरण-II एवं III के अंतर्गत पंजाब जल संसाधन विभाग और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड इसे कार्यान्वित करने वाली एजेंसियां ​​हैं, जबकि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्य इस स्कीम का भाग नहीं हैं।

पंजाब सरकार ने बताया है कि उसने अपने वित्तीय संसाधनों से कंडी क्षेत्र में स्थित 13 बाँधों से गाद निकालने का काम शुरू कर दिया है। अभी, चोहल, सिसवान, सलेरन और थाना नाम के चार बांधों से गाद निकालने का काम चल रहा है। पंजाब सरकार ने शेष नौ बांधों के लिए, वन मंजूरी के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने अभी तक अपने दो बड़े भंडारण जलाशयों, अर्थात् भाखड़ा और पोंग में गाद निकालने का कार्य शुरू नहीं किया है। तथापि, बीबीएमबी ने, डीआरआईपी चरण-II और III स्कीम के अंतर्गत भाखड़ा जलाशय की गाद निकालने के लिए एक पायलट परियोजना पर विचार किया है। यह पहल राजस्व सृजन मोड में परिकल्पित है; तदनुसार, भाखड़ा जलाशय की गाद निकालने के लिए अलग से किसी निधि की आवश्यकता नहीं है।

हिमाचल प्रदेश में, ज़्यादातर बांध मालिक एजेंसियां, प्रचालन और प्रबंधन मैनुअल के प्रावधानों  के अनुसार, आवधिक फ्लशिंग ऑपरेशन के माध्यम से जलाशयों से गाद हटाने का काम करती हैं, जो सामान्यत: मानसून के मौसम में किया जाता है।

इसके अलावा, पंजाब सरकार और बीबीएमबी अपने बांधों के पुनर्वास के लिए डीआरआईपी  चरण-II और III स्कीम में भाग ले रहे हैं। इस स्कीम के अंतर्गत, पंजाब राज्य 442 करोड़ रुपए  के आवंटन के साथ 12 बांधों का पुनर्वास कर रहा है, जबकि बीबीएमबी 230 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ 2 बांधों का पुनर्वास कर रहा है। ये दोनों एजेंसियां ​​हाल ही में अक्टूबर 2025 में औपचारिक रूप से डीआरआईपी चरण-II और III स्कीम में शामिल हुईं हैं।

केन्द्रीय जल आयोग ने वर्ष 2024 में कंपेंडियम ऑन सेडीमेंटेशन ऑफ रिसर्ववायर्स इन इंडिया –वॉल्यूम II: डिटेल्स ऑफ इन्डविजुल रिसर्ववायर्स की जानकारी पब्लिश की थी। इसके साथ ही संबंधित राज्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में हाल ही में किए गए सर्वेक्षण से इन बांधों में उनकी मूल डिज़ाइन क्षमता के सापेक्ष गाद जमा होने की मात्रा का आकलन किया गया है। विस्तृत निष्कर्ष अनुलग्नक में दिए गए हैं।

बांधों के संचालन और रखरखाव सहित उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बांध मालिकों की होती है जो अधिकांशत राज्य सरकारों और केन्द्रीय/राज्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां हैं।

केंद्र सरकार ने, बांध सुरक्षा संबंधी मामलों को समग्र रूप से सुलझाने के लिए, दिसंबर 2021 में बांध सुरक्षा अधिनियम अधिनियमित किया है। यह अधिनियम देश के सभी बड़े (निर्दिष्ट) बांधों की सही निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए एक पूरा फ्रेमवर्क प्रदान करता है, ताकि उनका सुरक्षित कार्यनिष्पादन सुनिश्चित हो सके और बांध भंग से होने वाली आपदाओं से बचा जा सके।

इस नियामक सुधार के साथ-साथ, भारत सरकार बाह्य वित्त पोषण सहायता के साथ बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना, चरण-II और III को कार्यान्वित कर रही है। इस स्कीम का उद्देश्य 19 राज्यों के 736 बांधों का पुनर्वास करना और उनकी सुरक्षा बढ़ाना है। 10 वर्षों तक चलने वाली  इस स्कीम का  कुल बजट परिव्यय 10,211 करोड़ रुपए है। यह बात उल्लेखनीय है कि डीआरआईपी चरण-II, 12 अक्टूबर 2021 को शुरू हुआ था।

इसके अलावा, केन्द्रीय जल आयोग, रिज़र्वॉयर स्टोरेज मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के तीन और पंजाब राज्य के एक जलाशय समेत देश भर के 166 बड़े जलाशयों की सक्रिय भंडारण क्षमता की निगरानी करता है और हर सप्ताह एक बुलेटिन जारी करता है। इस बुलेटिन को जनता तक आसानी से पहुंचाने के लिए आरएसएमएस पोर्टल पर भी अपलोड किया जाता है। जानकारी की ऐसी सुलभ उपलब्धता से उचित निर्णय लेने में आसानी होती है, जिससे सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बाढ़ प्रबंधन और सूखे की तैयारी के लिए बेहतर योजना बनाने में सहायता मिलती है।

यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी  द्वारा लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।

***

एनडी

अनुलग्नक

हाल के सर्वेक्षण के आधार पर, बांधों में उनकी मूल डिज़ाइन क्षमता की तुलना में गाद जमा होने की मात्रा

क्र.सं.

राज्य

बांध का नाम

मूल सकल भंडारण क्षमता (एमसीएम)

वर्तमान सकल भंडारण क्षमता (एमसीएम)

भंडारण क्षमता (एमसीएम) का नुकसान

  1.  

 

 

 

 

 

 

पंजाब

रंजीत सागर बांध

3280

3090

190

  1.  

शाहपुरकंडी बांध

120.71

120

0.71

  1.  

मैली

4.811

2.46

2.351

  1.  

ढोलबाहा

13.321

9.51

3.811

  1.  

जनौरी

2.1

0.94

1.16

  1.  

दमसल

6.69

3.18

3.51

  1.  

पर्च

1.25

0.01

1.24

  1.  

मिर्जापुर

4.3

1.13

3.17

  1.  

जैंती

2.872

2.21

0.662

  1.  

सिसवान

4.8

2.9

1.9

  1.  

पटियारी

7.92

1.73

6.19

  1.  

थाना

3.827

2.79

1.037

  1.  

नारा

1.96

1.66

0.3

  1.  

नांगल

25.22

19

6.22

  1.  

 

 

 

हिमाचल प्रदेश

भाखड़ा

9868

7300

2568

  1.  

ब्यास

8570

7380

1190

  1.  

पंडोह

41

41

0

  1.  

एडीएचपीएल

0.224

0.224

0

  1.  

बैरा

3.75

0.70

3.05

  1.  

चमेरा -I

391

195.10

195.9

  1.  

चमेरा -II

2

1.68

0.32

  1.  

चमेरा -III

5

2.97

2.03

  1.  

पार्वती -III

2

1.21

0.79

  1.  

हरियाणा

कौशल्या बांध

13.68

12.42

1.26

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