जल शक्ति मंत्रालय
पूर्वी उत्तर प्रदेश में भूजल प्रदूषण
प्रविष्टि तिथि:
04 DEC 2025 6:16PM by PIB Delhi
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की सक्रिय भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट, 2025 के अनुसार, भूजल निष्कर्षण के चरण (एसओई) के संदर्भ में मऊ और बलिया दोनों जिले सुरक्षित श्रेणी के अंतर्गत आते हैं और इस क्षेत्र का कोई भी जिला अति-दोहित या गंभीर श्रेणी में नहीं है। इसके अतिरिक्त, यद्यपि इस क्षेत्र के कुछ छिटपुट पाकेटों में आर्सेनिक संदूषण की सूचना प्राप्त हुई, लेकिन समग्र रूप से भूजल सामान्यतः पीने योग्य है।
इस संबंध में, यह भी उल्लेखनीय है कि 'जल' राज्य का विषय है। गुणवत्ता के मुद्दों के निवारण के साथ साथ जल और भूजल संसाधनों का सतत विकास और प्रबंधन मुख्यतः राज्य सरकारों का दायित्व है। हालाँकि, केंद्र सरकार द्वारा अपनी विभिन्न स्कीमों और परियोजनाओं के माध्यम से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन प्रदान किया जाता है। नवीनतम पहलों सहित इस दिशा में उठाए गए प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं :
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 से देश में जल शक्ति अभियान (जेएसए) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। यह अभियान एक समयबद्ध और मिशन मोड कार्यक्रम है, जिसमें जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण कार्यों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन हेतु विभिन्न स्कीमों और परियोजनाओं के तहत सभी प्रयासों और निधियों का अभिसरण किया जाता है। वर्तमान में, अति-दोहित और गंभीर जिलों पर विशेष ध्यान देने के साथ देश में जेएसए 2025 का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
- जल शक्ति अभियान की गति को और सशक्त बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा देश में वर्षा जल संचयन को एक जन आंदोलन बनाने के दृष्टिकोण के साथ 'जल संचय जन भागीदारी: भारत में जल स्थायित्वता की ओर एक समुदाय-संचालित अभियान' का शुभारंभ किया गया है। सामुदायिक स्वामित्व और जिम्मेदारी को बढ़ावा देकर, यह पहल विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट जल चुनौतियों के अनुरूप लागत-प्रभावी और स्थानीय समाधान विकसित करने का लक्ष्य रखती है।
- केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा भूजल प्रबंधन और विनियमन स्कीम (जीडब्ल्यूएम और आर) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। देश भर में भूजल स्तर और गुणवत्ता की नियमित मॉनिटरिंग और विवेकपूर्ण भूजल विनियमन करना इस स्कीम के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। इसके अतिरिक्त, देश के जलभृतों की मैपिंग और राष्ट्र के भूजल संसाधनों की वृहद स्तरों पर जानकारी प्रदान करने वाले कार्यक्रम नेक्यूम 1.0 के सफल समापन के पश्चात केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा विशेष रूप से, जल की कमी वाले और गुणवत्ता प्रभावित पाकेटों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नेक्यूम 2.0 कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
- भारत सरकार द्वारा मिशन अमृत सरोवर अभियान आरंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 जल निकायों का विकास और पुनरुद्धार करना था। इसके परिणामस्वरुप, लगभग 69,000 अमृत सरोवरों का निर्माण / पुनरुद्धार किया गया है, जिससे जल भंडारण में संवर्धन और भूजल पुनर्भरण में वृद्धि हुई है।
- आर्सेनिक संदूषण सहित सीजीडब्ल्यूबी द्वारा द्वारा तैयार किए गए भूजल गुणवत्ता डेटा को हितधारकों द्वारा त्वरित कार्रवाई के लिए वार्षिक रिपोर्ट, अर्ध-वार्षिक बुलेटिन और पाक्षिक अलर्ट के माध्यम से नियमित रूप से प्रसारित किया जाता है।
जैसा कि ऊपर उल्लेखित है, भूजल प्रबंधन और सुधार के लिए संचालित अधिकांश स्कीम और कार्यक्रम राज्य और केंद्रीय योजनाओं जैसे मनरेगा, पीएमकेएसवाई आदि के साथ अभिसरण के माध्यम से शुरू किए जाते हैं और राज्यों के लिए कोई अलग बजटीय आवंटन नहीं किया जाता है। मनरेगा के तहत, योजना दिशानिर्देशों के अनुसार कम से कम 60% व्यय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से संबंधित सार्वजनिक कार्यों पर किया जाना है, जिसके तहत जल संरक्षण और जल संचयन संरचनाओं का निर्माण एक प्रमुख कार्य क्षेत्र है।
इसके अतिरिक्त, पेयजल गुणवत्ता के मुद्दों के समाधान हेतु और देश के सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार के प्रयास मुख्य रूप से जल जीवन मिशन (जेजेएम) स्कीम के माध्यम से किए जाते हैं। जेजेएम डैशबोर्ड से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 से अब तक जेजेएम के तहत केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य को 60,816 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। राज्य जल गुणवत्ता मॉनिटरिंग और पर्यवेक्षण के लिए कुल आवंटित राशि का 2% तक उपयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर आवंटित राशि से उपयुक्त परियोजनाएं तैयार करना और निष्पादित करना राज्य सरकारों का दायित्व है।
मंत्रालय द्वारा, राज्यों के साथ साझेदारी में, जल जीवन मिशन (जेजेएम) - हर घर जल योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है, जो देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता का और नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर संदूषण मुक्त नल का पीने योग्य जल उपलब्ध कराने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। जेजेएम के तहत बस्तियों में पहुंचाए जाने वाले जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:-
- जेजेएम के तहत, नल के जल सेवा वितरण की गुणवत्ता के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के बीआईएस:10500 मानकों को निर्धारित मानदंड के रूप में अपनाया गया है।
- राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को धनराशि आवंटित करते समय, रासायनिक संदूषकों से प्रभावित रिहाइशों में रहने वाली जनसंख्या को 10% का वेटेज दिया जाता है।
- अक्टूबर 2021 में "पेयजल गुणवत्ता मॉनिटरिंग और पर्यवेक्षण फ्रेमवर्क " तैयार किया गया और राज्यों को प्रसारित किया गया।
- उक्त फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए, देश में लगभग 2180 जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं संस्थापित की गई हैं। इसके अतिरिक्त फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से जल के नमूनों का परीक्षण करने के लिए प्रत्येक गांव से पांच व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं की पहचान की जाती है और उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है।
- राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को अंतरिम उपाय के रूप में, विशेष रूप से गुणवत्ता प्रभावित रिहाइशों में प्रत्येक घर को पेय जल उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) संस्थापित करने की भी सलाह दी गई है।
इसके अतिरिक्त सीजीडब्ल्यूबी द्वारा आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में गहरे आर्सेनिक मुक्त जलभृतों का उपयोग करने के लिए एक अभिनव सीमेंट सीलिंग तकनीक भी विकसित की गई है और अब तक 525 आर्सेनिक सुरक्षित अन्वेषण कुओं का सफलतापूर्वक निर्माण किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश में 294 कुएं शामिल हैं जिनमें मऊ में 3 और बलिया जिले में 53 कुएं हैं । सीजीडब्ल्यूबी द्वारा इस तरह के निर्माण कार्यों के लिए राज्य विभागों को तकनीकी सहायता भी प्रदान की जा रही है। जैसा कि राज्य सरकार द्वारा सूचित किया गया है, उत्तर प्रदेश जल निगम जोकि राज्य में पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है, द्वारा सीमेंट सीलिंग तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है और अब तक 9 जिलों में 204 आर्सेनिक सुरक्षित कुओं का निर्माण किया गया है जिनसे 5 लाख निवासियों को लाभ प्राप्त हुआ है।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
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एनडी
(रिलीज़ आईडी: 2200210)
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