जल शक्ति मंत्रालय
असम में बार-बार आने वाली बाढ़ आपदाओं का प्रभाव
प्रविष्टि तिथि:
04 DEC 2025 6:14PM by PIB Delhi
असम प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्तर पर बाढ़ से प्रभावित होता है। तटबंधों के टूटने, अतिक्रमण, वनों की कटाई और खराब जल निकासी के कारण यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल भी अलग-अलग स्तर पर इसी तरह की समस्याओं का सामना करते हैं।
उपग्रह चित्रों (वर्ष 1986-2022) पर आधारित 'भारत में बाढ़ के कारण प्रभावित क्षेत्र का आकलन (2024)' के संबंध में केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की कुल सीमा क्रमशः 2.477 मिलियन हेक्टेयर (एमएचए), 2.914 एमएचए, 5.174 एमएचए और 1.840 एमएचए है।
कटाव नियंत्रण सहित बाढ़ प्रबंधन, राज्यों के कार्य क्षेत्र में आता है और तटबंधों की विफलताओं और टूटने की घटनाओं से संबंधित डाटा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है। असम सरकार ने सूचित किया कि वर्ष 2011 से, पूरे असम के विभिन्न जिलों में कुल 421 तटबंध टूटे हैं। वर्ष 2019 से वर्ष 2024 तक के मानसून के दौरान, कुल 126 तटबंध टूटे हैं, जिन्हें तुरंत बंद कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सूचित किया गया है कि वर्तमान मानसून में कोई तटबंध टूटने की घटना नहीं हुई है।
बाढ़ प्रबंधन और कटाव-रोधी योजनाएँ संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अपनी प्राथमिकता के अनुसार तैयार और कार्यान्वित की जाती हैं। केंद्र सरकार, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करके और साथ ही, संकटग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़ प्रबंधन के लिए प्रोत्साहनात्मक वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों के प्रयासों में सहायता करती है। एकीकृत बाढ़ प्रबंधन दृष्टिकोण का उद्देश्य संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों का विवेकपूर्ण रूप से एक साथ अपनाकर आर्थिक लागत पर बाढ़ से होने वाले नुकसान से उचित सुरक्षा प्रदान करना है।
बाढ़ प्रबंधन के संरचनात्मक उपायों को सुदृढ़ करने के लिए, मंत्रालय द्वारा ग्यारहवीं और बारहवीं योजना के दौरान नदी प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी, जल निकासी विकास, समुद्री कटाव-रोधी आदि कार्यों के लिए राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने हेतु बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) कार्यान्वित किया गया था, जिसे बाद में वर्ष 2017-21 की अवधि के लिए "बाढ़ प्रबंधन और सीमावर्ती क्षेत्र कार्यक्रम" (एफएमबीएपी) के एक घटक के रूप में जारी रहा और सीमित परिव्यय के साथ वर्ष 2021-2026 के दौरान आगे और विस्तारित किया। एफएमपी घटक के अंतर्गत विभिन्न राज्यों को मार्च 2025 तक कुल 7260.50 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता जारी की जा चुकी है।
बाढ़ प्रबंधन के एक गैर-संरचनात्मक उपाय के रूप में, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) संबंधित राज्य सरकारों को चिन्हित स्थानों पर 24 घंटे तक के समय के साथ अल्प-कालिक बाढ़ पूर्वानुमान जारी करता है। सीडब्ल्यूसी उचित रूप से जलाशय विनियमन के लिए चिन्हित जलाशयों में अंतर्वाह पूर्वानुमान भी जारी करता है। वर्तमान में, मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सीडब्ल्यूसी द्वारा 350 स्टेशनों (150 अंतर्वाह पूर्वानुमान स्टेशन + 200 स्तरीय पूर्वानुमान स्टेशन) पर बाढ़ पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं। यह नेटवर्क राज्य सरकार/परियोजना प्राधिकारियों के परामर्श से स्थापित किया गया है। ये पूर्वानुमान एक समर्पित वेबसाइट https://ffs.india-water.gov.in के माध्यम से प्रसारित किए जाते हैं। स्थानीय प्राधिकारियों को लोगों द्वारा स्थान खाली कराने हेतु योजना बनाने और अन्य उपचारात्मक उपाय करने के लिए अधिक समय प्रदान करने के लिए, सीडब्ल्यूसी ने सभी पूर्वानुमान स्टेशनों के लिए 7-दिनों की अग्रिम बाढ़ पूर्वानुमान एडवाइजरी के लिए वर्षा-रनआफॅ गणितीय मॉडलिंग के आधार पर बेसिन-वार बाढ़ पूर्वानुमान मॉडल विकसित किया है। इसका प्रसार समर्पित वेबसाइट https://aff.india-water.gov.in के माध्यम से किया जाता है। सीडब्ल्यूसी बाढ़ पूर्वानुमान सेवा को संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) को जारी किए गए एकीकृत चेतावनी प्रसार प्लेटफॉर्म कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल (सीएपी) के साथ भी एकीकृत किया गया है।
वाटरशेड प्रबंधन और आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन क्षेत्र सहित बाढ़ मैदान ज़ोनिंग, बाढ़ नियंत्रण का एक प्रभावी तरीका है जिसमें बाढ़ जल भंडारण और महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन की क्षमता है। बाढ़ मैदान ज़ोन में आम जनता की स्वास्थ्य, सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा के उद्देश्य से विभिन्न उपयोगों हेतु भूमि वर्गीकरण सहित पुन: बाढ़ की आने की अवधि के अनुसार क्षेत्रों का सीमांकन की परिकल्पना की जाती है। राज्यों को बाढ़ मैदानों और उनके ज़ोनिंग का वैज्ञानिक आकलन करने में सक्षम बनाने के लिए, मंत्रालय द्वारा बाढ़ मैदान ज़ोनिंग पर एक तकनीकी दिशानिर्देश को अंतिम रूप दिया गया है और कार्यान्वयन हेतु राज्यों को परिचालित किया गया है।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
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एनडी
(रिलीज़ आईडी: 2200211)
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