संस्‍कृति मंत्रालय
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अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची

प्रविष्टि तिथि: 08 DEC 2025 3:34PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय संगीत नाटक अकादमी के माध्यम से अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की राष्ट्रीय सूची को समय-समय पर अद्यतन सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा है, जिसमें देश भर में आईसीएच तत्व के दस्तावेजीकरण, संरक्षण को शामिल किया गया है।

संस्कृति मंत्रालय भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में कई योजनाएं लागू करता है। गुरु-शिष्य परंपरा योजना प्रदर्शन कला गतिविधियों की सभी शैलियों जैसे नाटक समूहों, थिएटर समूहों, संगीत कलाकारों, बच्चों के रंगमंच आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है और गुरु-शिष्य परंपरा के अनुरूप नियमित आधार पर कलाकारों को उनके संबंधित गुरु द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करती है। संस्कृति मंत्रालय ने देश भर में भारत की लोक कलाओं और संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (जेडसीसी) स्थापित किए हैं। पटियाला, नागपुर, उदयपुर, प्रयागराज, कोलकाता, दीमापुर और तंजावुर में मुख्यालय वाले ये केंद्र क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधता की रक्षा, प्रसार और विकास करने, युवाओं को शामिल करने और कला के लुप्त होते स्वरूपों का दस्तावेजीकरण करने के लिए काम करते हैं।

यूनेस्को के विनियम के अनुसार, यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए प्रत्येक दो वर्ष के चक्र में एक नामांकन प्रस्तुत किया जाता है। 2025-26 चक्र के लिए, दीपावली को आईसीएच सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया गया है। छठ महापर्व को साइकिल 2026-27 के लिए नामांकित किया गया है।

देश भर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय के तहत 43 संगठन हैं। इनका ब्यौरा अनुलग्नक-I में दिया गया है। पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी) विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पहलों का आयोजन करता है, जैसे कि "गुरु शिष्य परम्परा" योजना, जिसमें ओडिशा के पारंपरिक कला रूप जैसे गोटीपुआ नृत्य और पाइका अखाड़ा शामिल हैं।

भारत में वर्तमान में वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के कुंभ मेले सहित मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में 15 तत्व अंकित हैं। छठ महापर्व को वर्ष 2026-27 के लिए आईसीएच सूची के लिए नामांकित किया गया है। इन तत्वों का विवरण अनुलग्नक II में दिया गया है।

पर्यटन मंत्रालय अपनी केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं के माध्यम से बौद्ध पर्यटन के विकास के लिए राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकास कार्य के लिए 'बौद्ध सर्किट' की पहचान विषयगत सर्किटों में से एक के रूप में की गई है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) वार्षिक संरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत संरक्षित बौद्ध स्थलों सहित विभिन्न स्मारकों का संरक्षण और परिरक्षण करता है।

लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार: भारत के जम्मू-कश्मीर में ट्रांस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र, पवित्र बौद्ध ग्रंथों का मंत्रोच्चार आईसीएच की यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल है।

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

अनुलग्नक देखने के लिए यहां क्लिक करें

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पीके/केसी/एसकेएस/एसवी


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