पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न: कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी

प्रविष्टि तिथि: 08 DEC 2025 5:01PM by PIB Delhi

भारत की चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर-4) 2024 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत प्रस्तुत की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत का कुल राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन 2,437 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष था, जो 2019 के मुकाबले 7.93% की कमी को दर्शाता है। यह गिरावट मुख्य रूप से ऊर्जा क्षेत्र में हुई, जहां उत्सर्जन में 5.7% की कमी आई है और साथ ही औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं उत्पाद उपयोग में भी 2019 से 2020 तक 9.5% की गिरावट दर्ज की गई।

भारत ने 2015 में पेरिस समझौते के तहत अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत किया था, जिसे अगस्त 2022 में अद्यतन किया गया। इस पहल के अंतर्गत कई उन्नत लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिनमें वर्ष 2030 तक साल 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी लाना, 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करना और वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि के माध्यम से 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना शामिल है।

बीयूआर-4 के अनुसार, वर्ष 2005 से 2020 के बीच भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में 50% से अधिक की हिस्सेदारी का अपना एनडीसी लक्ष्य निर्धारित समय से पांच साल पहले ही प्राप्त कर लिया है। साथ ही, देश ने वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि के माध्यम से 2.29 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करते हुए जलवायु कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

नवंबर 2022 में यूएनएफसीसीसी को प्रस्तुत भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति (एलटी-एलईडीएस) सामान्य लेकिन विभेदित कर्तव्यों एवं संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के साथ-साथ समानता और जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। यह रणनीति 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक रूपरेखा प्रदान करती है। इसमें बिजली, परिवहन, शहरी विकास, उद्योग, कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की प्रौद्योगिकियों, वन क्षेत्र और वित्तीय संसाधनों में सात प्रमुख परिवर्तनकारी रणनीतिक बदलावों को रेखांकित किया गया है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने देश में नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता के विस्तार और उसे गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रमुख उपायों में मानक टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन, नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) और नवीकरणीय उपभोग दायित्व (आरसीओ) जैसी बाध्यकारी व्यवस्थाएं तथा स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति जैसी प्रोत्साहन देने वाली नीतियां शामिल हैं।

इसके अलावा, भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रारंभ किये गए हैं। इनमें प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम), पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) के अंतर्गत नई सौर ऊर्जा योजना, धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए–जेजीयूए), राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं। साथ ही, देश में बड़े पैमाने पर सौर पार्कों के विकास को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सरकार ने बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के लिए हरित ऊर्जा गलियारों के माध्यम से पारेषण अवसंरचना का विस्तार किया है, अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क में छूट प्रदान की है और 2030 तक की दीर्घकालिक पारेषण योजना को लागू किया है। इसके साथ ही, सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल और ग्रिड-कनेक्टेड सौर इनवर्टर के लिए स्टैण्डर्ड एंड लेबलिंग (एस एंड एल) कार्यक्रम भी प्रारंभ किए गए हैं। नीतिगत सुधारों में एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस व्यवस्था और ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

भारत सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को लागू कर रही है, जिसका उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन तथा उसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है। इस मिशन के प्रमुख घटक के रूप में हरित हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) योजना को लागू किया जा रहा है, जिसके तहत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन व इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं।

इसके अलावा, सरकार ने देश में चार हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर (एचवीआईसी) को मंजूरी दी है, ताकि नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और क्षेत्रीय स्तर पर हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित किया जा सके। मिशन की अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत विविध उन्नत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए अब तक 23 आर एंड डी परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।

राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (एनईएमएमपी) 2020 एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज है, जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उनके विनिर्माण के लिए विजन व रोडमैप प्रदान करता है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने और ईवी के विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से देश में हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (फेम), ऑटोमोबाइल तथा ऑटो घटक उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना व उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू किया गया है।

इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पहल की गई हैं:

  • इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जर/चार्जिंग स्टेशनों पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है।
  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने घोषणा की है कि बैटरी चालित वाहनों को हरे रंग की लाइसेंस प्लेट दी जाएगी तथा उन्हें परमिट आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी।
  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों को ई-वाहनों पर सड़क कर माफ करने की सलाह देते हुए अधिसूचना भी जारी की है, जिससे ई-वाहनों की प्रारंभिक लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
  • इसके अलावा, विद्युत मंत्रालय ने देश में सार्वजनिक ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे की तैनाती में तेजी लाने के लिए कई पहल की हैं।

यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/एनके/डीए


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