नीति आयोग
ब्रिक-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य एवं जैव विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई), मोहाली में “राज्यों की तकनीकी उन्नति के लिए विश्वविद्यालय-उद्योग-सरकार सहयोग” को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
प्रविष्टि तिथि:
08 DEC 2025 5:49PM by PIB Delhi
नीति आयोग ने 4-5 दिसंबर, 2025 को ब्रिक-एनएबीआई, मोहाली में "राज्यों की तकनीकी उन्नति के लिए विश्वविद्यालय-उद्योग-सरकार सहयोग" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और उद्योग संघों, तथा सरकारी हितधारकों के एक प्रतिष्ठित समूह ने तीनों क्षेत्रों द्वारा भारत के अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास परिदृश्य को गति देने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की संभावनाओं के बारे में विचार-विमर्श किया।
ब्रिक-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य एवं जैव-विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई) के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर अश्विनी पारीक ने नवाचार और राष्ट्रीय जैव-अर्थव्यवस्था के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी शोध प्रगति का प्रदर्शन किया और साथ ही, विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट नीति परिणामों, विश्वास-आधारित नेटवर्क और एक लचीले इकोसिस्टम के माध्यम से यूआईजी सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक, प्रो. विवेक कुमार सिंह ने कार्यशाला का विषय निर्धारित करते हुए विकास को प्रोत्साहित और बढ़ावा देने के लिए एक मज़बूत विश्वविद्यालय-उद्योग सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसी प्रगति के लिए सरकारी हस्तक्षेप की भी आवश्यकता होगी। प्रो. विवेक ने देश के नवाचार इकोसिस्टम को मज़बूत करने के लिए अनुसंधान सुगमता में सुधार, राज्य-स्तरीय अनुसंधान एवं विकास क्षमता में वृद्धि और एकीकृत परियोजना जीवनचक्र संरचना विकसित करने के प्रयास वाली नीति आयोग की प्रमुख पहलों को भी रेखांकित किया। उन्होंने सहयोग को मज़बूत करने के लिए एक मार्गदर्शक दृष्टिकोण के रूप में बाधाओं को दूर करने और सक्षमकर्ताओं को बढ़ावा देने के आरओपीई ढांचे का भी उल्लेख किया।
तकनीकी सत्रों में, प्रतिभागियों ने नियामक, नीतिगत और संरचनात्मक तंत्र - बेहतर गतिशीलता और आदान-प्रदान के लिए सक्षमकर्ता, सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम: सह-वित्तपोषण से सह-निर्माण तक, प्रौद्योगिकी अनुवाद और व्यावसायीकरण के मार्ग, अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण में तेजी लाना और निजी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना, और यूआईजी सहयोग को बढ़ाने और उसकी निगरानी के लिए दिशानिर्देश और टेम्पलेट विकसित करना जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया। विश्वविद्यालयों, उद्योग भागीदारों और सरकारी एजेंसियों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। यह यूआईजी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत बहु-हितधारक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विश्वविद्यालयों, उद्योग और सरकार के हितधारकों ने अनुसंधान संस्कृति को मज़बूत करने, शोधकर्ताओं की गतिशीलता बढ़ाने और साझा सुविधाओं व लक्षित समर्थन के माध्यम से टीआरएल अंतराल को पाटने की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने सुझाव दिए। उन्होंने अवकाश और संकाय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप विकास के माध्यम से शोधकर्ताओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आसान संक्रमण को सक्षम बनाने वाली भौगोलिक, क्षेत्रीय, अंतःविषयक, साथ ही राष्ट्रीय स्तर की नीतियों की आवश्यकता पर चर्चा की। चर्चाओं में उद्योग-अकादमिक सहयोग को मज़बूत करने के लिए सुस्पष्ट प्रोत्साहन और नवाचार इकोसिस्टम के प्रमुख घटकों को जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय सूचना मंच के निर्माण का आह्वान किया गया। हितधारकों ने अंतर्राष्ट्रीय मानक-निर्धारण निकायों में देश के सीमित प्रतिनिधित्व पर भी ध्यान दिया, इसके कारण घरेलू निर्माताओं द्वारा वैश्विक मानकों के अनुरूप ढलने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास आवश्यक हैं।
कार्यशाला का समापन इस बात पर बल देने के साथ हुआ कि राष्ट्रीय विकास के लिए विचारों को प्रभावशाली नवाचारों में तेजी से परिवर्तित करने के लिए विकसित भारत की दिशा में देश की प्रगति एक मजबूत, विश्वास-संचालित अनुवादात्मक अनुसंधान को प्राथमिकता देने वाले यूआईजी इको-सिस्टम पर निर्भर करेगी।
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पीके/केसी/वीके/जीआरएस
(रिलीज़ आईडी: 2200598)
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