मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
राष्ट्रीय समुद्री मत्स्यपालक गणना, 2025
प्रविष्टि तिथि:
09 DEC 2025 2:33PM by PIB Delhi
(क): राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी गणना 2025 [मरीन फिशरीस सेन्सस (MFC-2025)] विगत में की गई गणनाओं से अधिक व्यापक है और अब गणना की कार्य-पद्धति परिवर्तित होकर डिजिटल हो गई है। परिवार, फिशिंग क्राफ्ट और गियर के अतिरिक्त, मात्स्यिकी गणना अब व्यवस्थित रूप से जलकृषि इकाइयों, लैंडिंग केंद्रों, नाव निर्माण यार्डों, आइस प्लांट्स, फ्रीज़िंग और प्रोसेसिंग सुविधाओं, क्यूरिंग और पीलिंग शेडों तथा होलसेल मारकेट्स को कवर करती है। गणना के लिए तैयार की गईं इलेक्ट्रॉनिक अनुसूचियाँ मत्स्यन गांवों में स्व-सहायता समूहों, मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों [फिश फार्मर प्रोड्यूसर ओरगेनाईज़ेशन्स (FFPOs)], सहकारी संस्थाओं और अन्य संस्थागत संरचनाओं को भी शामिल करती हैं। विगत के कागज़-आधारित दौरों से हटकर, MFC 2025 के अंतर्गत जियो रेफ्रेंसिंग, यूनिफ़ोर्म नेशनल प्रोटोकॉलों और ओटोमेटेड क्वालिटी चेक द्वारा रियल टाईम में डिजिटल गणना की जाती है जिससे अधिक सटीक, व्यापक और सूक्ष्म विवरणात्मक आँकड़े तैयार होते हैं।
(ख): व्यास भारत और व्यास सूत्र समुद्री मात्स्यिकी गणना 2025 के मुख्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म हैं। ये जीपीएस टैगिंग के साथ रियल टाईम डेटा प्रविष्टि, रिकॉर्डों का ओटोमेटेड सत्यापन, और केंद्रीय सर्वरों के साथ निर्बाध तालमेल सक्षम करते हैं। निरीक्षक और केंद्रीय टीमें प्रगति और स्थान-विशिष्ट अपडेट डैशबोर्ड पर लाइव देख सकते हैं और यह समय पर निगरानी करने और सुधारात्मक कदम उठाने में सहायक हैं। इस तकनीक सक्षम गतिविधि द्वारा सभी तटीय जिलों में सुदृढ़ पारदर्शिता, सटीकता और परिचालन दक्षता सुनिश्चित की जाती है।
(ग): जी हाँ, महोदय। जनगणना में सामाजिक-आर्थिक प्रोफाईल (जीविकोपार्जन, आय श्रेणियाँ, शिक्षा, संपत्तियाँ, योजनाओं तक पहुँच, जोखिमों संबंधी संकेतक) और संस्थागत मैपिंग (सहकारी समितियाँ, स्व-सहायता समूह, FFPOs, सेवा इकाइयाँ) शामिल हैं। गणनाकर्मी नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (NFDP) पर मछुआरों के डिजिटल पंजीकरण को भी सुगम बनाते हैं, जिससे एकीकृत और प्रमाणीकृत राष्ट्रीय मात्स्यिकी डेटाबेस के निर्माण में योगदान होता है।
(घ): समुद्री मात्स्यिकी गणना 2025 के माध्यम से मिलने वाले डेटासेट साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण एवं शासकीय प्रयोजन के लिए एक आधार होंगे। ये डेटासेट क्षेत्र-विशिष्ट प्रबंधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना क्लाइमेट-रेसिलियंस की रणनीतियाँ, लक्षित कल्याण वितरण और लाभार्थी प्रमाणीकरण के लिए जानकारी प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त, ये कार्यक्रम निगरानी को सुदृढ़ करेंगे और भू-स्थानिक (जियो स्पेशियल) तथा घरेलू स्तर के साक्ष्यों के आधार पर संसाधनों के अधिक कुशल आवंटन को सक्षम बनाएंगे।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के संदर्भ में दी।
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जे पी
(रिलीज़ आईडी: 2200796)
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