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कपास उत्पादन में कमी

प्रविष्टि तिथि: 09 DEC 2025 3:05PM by PIB Delhi

कपास की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में कमी, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां, असमान वर्षा और अत्यधिक तापमान, मृदा स्वास्थ्य पर एकल फसल उत्पादन का नकारात्मक प्रभाव, किसानों का अधिक लाभकारी फसलों की ओर रूझान गुलाबी बॉलवर्म और सफेद मक्खी कपास पत्ती मरोड़ विषाणु, बॉल रॉट, तंबाकू स्ट्रीक विषाणु और अन्य द्वितीयक कीटों का बढ़ना आदि कई कारकों ने हाल के वर्षों में कपास के उत्पादन और उपज को प्रभावित किया है।

कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और संपूर्ण वस्त्र मूल्य श्रृंखला को मज़बूत करने के लिए, केंद्रीय बजट 2025-26 में एक पाँच वर्षीय 'कपास उत्पादकता मिशन' की घोषणा की गई है। इस मिशन का उद्देश्य सभी कपास उत्पादक राज्यों में अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के माध्यम से कपास उत्पादन को बढ़ावा देना है। मिशन में उन्नत प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल (ईएलएस) कपास सहित जलवायु-अनुकूल, कीट-प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली कपास किस्मों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव है।

इसके अलावा, आईसीएआर-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर), नागपुर के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) के अंतर्गत कपास की उत्पादकता और ईएलएस कपास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2045-25 के दौरान 8 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में 'कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकियों का लक्ष्यीकरण - कपास उत्पादकता बढ़ाने हेतु सर्वोत्तम विधियों का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन' शीर्षक से कपास पर एक विशेष परियोजना लागू की गई है। इस विशेष परियोजना को वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान आगे बढ़ाया गया है।

कपास उत्पादकता मिशन' के अंतर्गत , कम कपास उत्पादकता क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जिलों की पहचान की गई है। मिशन का लक्ष्य इन जिलों में क्षेत्र-विशिष्ट तकनीकों और सर्वोत्तम विधियों को बढ़ावा देना है। चयनित जिलों का राज्यवार विवरण नीचे संलग्न है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) ने प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में उच्च उत्पादकता वाले कपास उत्पादक जिलों की पहचान की है। राज्यवार विवरण नीचे संलग्न हैं।

(i) बड़ा क्षेत्र - कम उत्पादकता (37 जिले):

 

राज्य

ज़िला

हरियाणा

भिवानी

मध्य प्रदेश

बड़वानी, बुरहानपुर, खरगोन

गुजरात

अहमदाबाद, बोटाद

महाराष्ट्र

अकोला, अमरावती, औरंगाबाद, बीड, बुलढाणा, चंद्रपुर, धुले, जलगांव, जालना, नांदेड़, नंदुरबार, परभणी, वर्धा, यवतमाल

तेलंगाना

जंगोअन, जोगुलाम्बा, खम्मम, यदाद्रि, महबुबाबाद,

महबूबनगर, मंचेरियल, मेडक, नागरकर्नूल, नलगोंडा, विकाराबाद, नारायणपेट, रंगारेड्डी, वारंगल शहरी

आंध्र प्रदेश

कुरनूल

कर्नाटक

रायचूर

 

(ii) कम क्षेत्रफल - कम उत्पादकता (40 जिले):

 

राज्य

ज़िला

हरियाणा

चरखी दादरी, रेवाड़ी

राजस्थान

बीकानेर, झुंझुनू, चूरू, नागौर

मध्य प्रदेश

अलीराजपुर, छिंदवाड़ा, धार, झाबुआ, रतलाम खंडवा

गुजरात

जूनागढ़, पोरबंदर, पाटन

महाराष्ट्र

अहमदनगर, नासिक, गढ़चिरौली, हिंगोली, लातूर, उस्मानाबाद

तेलंगाना

मुलुगु, वानापर्थी

आंध्र प्रदेश

अनंतपुर, कडप्पा, प्रकाशम, विजयनगरम

कर्नाटक

बेलगाम, बीजापुर, चामराजनगर, चित्रदुर्ग, धारवाड़, गडग, ​​हावेरी, कोप्पल, मैसूरु

तमिलनाडु

अरियालुर, पेरम्बलूर, सेलम, तिरुचिरापल्ली

(i) बड़ा क्षेत्र - उच्च उत्पादकता (25 जिले; बेंचमार्क उपज: 586 किलोग्राम लिंट/हेक्टेयर):

राज्य

ज़िला

पंजाब

फाजिल्का

हरयाणा

हिसार, सिरसा

गुजरात

अमरेली, भरूच, गिर भावनगर, जामनगर, छोटाउदेपुर, सोमनाथ, नर्मदा, सुरेंद्र नगर, वडोदरा, राजकोट

महाराष्ट्र

नागपुर

तेलंगाना

आदिलाबाद, भद्राद्रि, जयशंकर, कोमाराम भीम आसिफाबाद, निर्मल, राजन्ना, संगारेड्डी, सिद्दीपेट, वारंगल

आंध्र प्रदेश

गुंटूर

कर्नाटक

यादगीर

 

(ii) कम क्षेत्र- उच्च उत्पादकता (41 जिले; बेंचमार्क उपज: 576 किलोग्राम लिंट/हेक्टेयर):

राज्य

ज़िला

पंजाब

बठिंडा, मानसा, मुक्तसर

हरियाणा

फतेहाबाद, झज्जर, रोहतक, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल

राजस्थान

अजमेर, अलवर, पाली, बांसवाड़ा, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़,

गंगानगर, जोधपुर हनुमानगढ़

गुजरात

अरावली, बनास, तापी कांथा, देवभूमि द्वारका, गांधीनगर, कच्छ, खेड़ा, महेसाणा, महिसागर, मोरबी, पंच महल, साबर कांथा

महाराष्ट्र

वाशिम

तेलंगाना

जगितियाल, कामारेड्डी, करीमनगर, सूर्यापेट, पेद्दापल्ली

आंध्र प्रदेश

पूर्वी गोदावरी, कृष्णा

कर्नाटक

बेल्लारी, गुलबर्गा

यह जानकारी वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

 

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एमजी/एआर/जेके/ओपी 
 


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