कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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जैविक उर्वरकों का उत्पादन

प्रविष्टि तिथि: 09 DEC 2025 6:08PM by PIB Delhi

वर्ष 2015-16 से पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (एमओवीसीडीएनईआर) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। दोनों योजनाएँ जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन और मार्केटिंग तक, संपूर्ण सहायता प्रदान करने पर बल देती हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला बनाने हेतु छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देते हुए जैविक क्लस्टर बनाना है। दोनों योजनाओं का कार्यान्वयन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों के माध्यम से किया जाता है।

पीकेवीवाई योजना के अंतर्गत, लगभग 500 किसानों को शामिल करते हुए, 500-1000 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले किसान समूहों के समूह द्वारा जैविक खेती को क्लस्टर मोड में क्रियान्वित किया जाता है। ऐसे क्लस्टर क्षेत्र-आधारित जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाने और सुरक्षित एवं रसायन मुक्त खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। एमओवीसीडीएनईआर योजना के अंतर्गत, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 479 एफपीओ का गठन किया गया है, जिनमें प्रत्येक एफपीओ में औसतन 500 किसान हैं।

31 अक्टूबर 2025 तक पीकेवीवाई के अंतर्गत कुल 16.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र और एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत 2.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।

पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान जैविक उर्वरकों के घरेलू उत्पादन का राज्यवार ब्यौरा अनुबंध-I पर दिया गया है।

पीकेवीवाई के अंतर्गत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3 वर्षों में प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता प्रदान की गईहै। इसमें से किसानों को कृषि/गैर-कृषि जैविक आदानों के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की गईहै। एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत किसान उत्पादक संगठन के निर्माण, जैविक आदानों के लिए किसानों को सहायता आदि के लिए 3 वर्षों में 46,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की गईहै। इसमें से, योजना के अंतर्गत किसानों को कृषि/गैर-कृषि जैविक आदानों के लिए 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की गईहै, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूप में 15,000 रुपये शामिल हैं।

पीएम-प्रणाम (मातृ-पृथ्वी के पुनरुद्धार, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) योजना के अंतर्गत, सरकार ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को कम करने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने तथा सतत उत्पादकता हेतु पौधों को पोषक तत्वों की इष्टतम आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) पद्धतियों को अपनाने की सलाह दी है। राज्यों को जैविक/जैव उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने और भारत सरकार (भारत सरकार) की मौजूदा योजनाओं जैसे पीकेवीवाई और एमओवीसीडीएनईआर आदि के अंतर्गत समर्थित प्राकृतिक/जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।

पीकेवीवाई योजना के अंतर्गत, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रदर्शन मोड के अंतर्गत 400 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 20 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिससे 673 किसान लाभान्वित हुए हैं। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में प्रदर्शन मोड के अंतर्गत 400 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए कुल 20 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिससे 889 किसान लाभान्वित हुए हैं।

अनुबंध-I.

जैविक उर्वरकों का उत्पादन डेटा मीट्रिक टन में

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25

आंध्र प्रदेश

272572.13

1858652

1874125

असम

43773.2

125812

122001

बिहार

53256.38

22500

16526

छत्तीसगढ़

-

78402

681697

गोवा

11221.37

-

8959

गुजरात

278036.86

257822

253473

हरियाणा

71179.412

74223

438689

हिमाचल प्रदेश

32.7965

4520

564729

जम्मू एवं कश्मीर

3250.48

85240

9166

झारखंड

-

32831

-

कर्नाटक

2278241

2286649

1844895

केरल

13560.189

0

2738

मध्य प्रदेश

84598.05

1388205

1472273

महाराष्ट्र

237843.28

343171

216230

मणिपुर

-

150

150

ओडिशा

14763.9

-

-

पंजाब

7407.06

3088335

938

राजस्थान

50477

52220

192909

तमिलनाडु

231522

2134453

97301

तेलंगाना

28788.03

0

39996

त्रिपुरा

946.81

1022

1050

उत्तर प्रदेश

74799.23

802262

80456

उत्तराखंड

7440.451

10750

21171

पश्चिम बंगाल

6704.806

0

65451

पुदुचेरी

2470

-

1025

लद्दाख

-

13681

-

कुल योग

37,72,884.44

1,26,60,900

80,04,921

नोट:- वर्तमान में वर्ष 2025-26 के लिए उत्पादन डेटा उपलब्ध नहीं है।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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