गृह मंत्रालय
आतंकवाद-रोधी उपाय
प्रविष्टि तिथि:
09 DEC 2025 5:40PM by PIB Delhi
पिछले दो वर्षों के दौरान, सरकार ने विभिन्न आतंकवाद-रोधी उपाय किए हैं, जिनका विशेष जोर खुफिया क्षमता में वृद्धि, विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय, ऑनलाइन उग्रवाद और एन्क्रिप्टेड डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उभरते खतरे का समाधान करना और सीमा सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है, जिसने केंद्रीय और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की आतंकवादी जोखिम से संबंधित निवारण क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत किया है। केंद्रीय एजेंसियों और राज्य पुलिस के बीच अंतर-एजेंसी समन्वय ने आतंक मॉड्यूल्स के खिलाफ सफल संयुक्त अभियानों को सक्षम किया है, जो आतंकवाद के लिए भर्ती और वित्त पोषण से जुड़े रहे हैं।
शुरू किए गए कुछ उपाय निम्न हैं -
· जिला स्तर तक बेहतर बहु-एजेंसी केंद्र (एमएसी) संपर्क के जरिये संपूर्ण समन्वय को मजबूत किया गया है, जिससे विभिन्न एमएसी फोकस समूहों की हिंसक उग्रवाद, उभरती सुरक्षा चुनौतियां, क्रिप्टोकरेंसी, मादक पदार्थ तस्करी, आतंक वित्तपोषण, जैव-आतंकवाद, नकली भारतीय मुद्रा (एफआईसीएन), साइबर समन्वय आदि पर विश्लेषणात्मक और पूर्वानुमानात्मक कार्यकुशलता में सुधार हुआ है।
· एमएसी से सहायक- एमएसी (एसएमएसी) नेटवर्क को उन्नत किया गया है ताकि हार्डवेयर और नेटवर्क की गति बढ़ाई जा सके। यह वास्तविक समय में इनपुट्स के विश्लेषण के लिए एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और एमएल (मशीन लर्निंग) सक्षम सॉफ़्टवेयर सुविधाएं भी प्रदान करता है।
· केंद्रीय एजेंसियाँ, जैसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (नैटग्रिड), खुफिया ब्यूरो (आई बी) और राज्य आतंकवाद-रोधी दस्ता (एटीएस), बहु-एजेंसी केंद्र (एमएसी) प्लेटफार्म के समर्थन से, डेटा साझा करने और विश्लेषण करने के लिए डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रही हैं।
· राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के मामलों की जांच पर आधारित पुस्तिका, जिसे 2024 में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वितरित किया गया है, ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आतंकवाद की जांच मानकीकृत करने में मदद की है और अभियोजन परिणामों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
· एनआईए ने वृहद् डेटा विश्लेषण क्षमता के साथ एक राष्ट्रीय आतंक डेटाबेस विलय और विश्लेषण केंद्र (एनटीडीएफएसी) भी स्थापित किया है, जिसे प्राथमिकता वाले फोरेंसिक विश्लेषण और साक्ष्य के वैज्ञानिक संग्रह के लिए फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय (डीएफएसएस) के साथ बेहतर समन्वय का समर्थन प्राप्त है।
· राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राज्य पुलिस; ऑनलाइन कट्टरपंथीकरण मामलों पर सक्रिय रूप से ध्यान दे रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप गिरफ्तारी, चार्जशीट और दोषसिद्धि में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
· एक संगठित अपराध नेटवर्क डेटाबेस (ओसीएनडी) नैटग्रिड के आईटी प्लेटफार्म पर विकसित किया जा रहा है ताकि एनआईए और राज्य एटीएस के बीच सुरक्षित डेटा साझाकरण को सुविधाजनक बनाया जा सके, जबकि उन्नत नैटग्रिड उपकरण, विशेष रूप से 'गांडीव', बहु-स्रोत डेटा संग्रह और विश्लेषण का समर्थन कर रहे हैं।
· नियमित बहु-संस्थानात्मक क्षमता निर्माण कार्यक्रम, संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास, और समन्वय बैठकों ने एजेंसियों के बीच वास्तविक समय में जानकारी साझा करने और संचालनात्मक सहयोग को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत किया है।
· साथ ही, कुशल फोरेंसिक मानव संसाधनों के विकास और प्रयोगशाला अवसंरचना के उन्नयन को प्राथमिकता दी गई है, जिससे प्रभावी जांच के लिए आवश्यक तकनीकी और विश्लेषणात्मक क्षमताओं में काफी वृद्धि हुई है।
· इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) ने राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ अंतर-एजेंसी समन्वय को सुदृढ़ किया है, जिसमें बहु-शहर, बहु-लक्ष्य संचालन का समर्थन करने का विस्तारित कार्यादेश शामिल है, जिसे अभ्यासों के माध्यम से मान्यता मिली है, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने क्षमता निर्माण पहलों के तहत विभिन्न राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा, प्रभावी आतंकवाद-रोधी संचालन के लिए एनएसजी ने राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों की आतंकवाद-रोधी बलों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
· एनएसजी ने आतंकवाद रोधी, अपहरण रोधी, जंगल में बंधक को छुड़ाने और मेट्रो / रेलवे हस्तक्षेप पर कई संयुक्त अभ्यास किए हैं, और 2024-2025 के दौरान विभिन्न शहरों में अपहरण रोधी अभ्यास आयोजित किए हैं।
· ऑनलाइन कट्टरपंथ और एन्क्रिप्टेड डिजिटल प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के लिए, बड़ी संख्या में उग्रवादी और कट्टरपंथ से संबंधित यूआरएल को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत ब्लॉक किया गया है, साथ ही साइबर-गश्ती और डिजिटल निगरानी उपायों को भी सख्त किया गया है।
· सीमा सुरक्षा बलों को उन्नत निगरानी तकनीकों से लैस किया गया है, जिसमें ड्रोन, थर्मल इमेजर, नाईट-विजन डिवाइस, सेंसर और प्रमुख सीमाओं पर वास्तविक समय पर रडार / ऑप्टिकल सिस्टम शामिल हैं, ताकि सीमा सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
· भारत ने सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए साझेदार देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने को भी बढ़ाया है। व्यापक समेकित सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) के तहत, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, बेहतर बाड़बंदी, गश्त को बढ़ाना और ड्रोन व सेंसर के अधिक उपयोग ने संवेदनशील सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत किया है। इन उपायों के परिणामस्वरूप सीमा पार घुसपैठ के प्रयासों में कमी आई है, ड्रोन को अधिक संख्या में रोका गया है, और बड़ी मात्रा में हथियारों, गोला-बारूद और मादक पदार्थों को बरामद किया गया है। समन्वित अभियानों के माध्यम से कई आतंकवादी नेटवर्क निष्क्रिय किए गए हैं।
केंद्र सरकार ने सीएपीएफ, राज्य पुलिस, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के लिए कई आधुनिकीकरण और सहायता कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा है और उनका विस्तार किया है, जो निम्नानुसार हैं-
· पिछले कुछ वर्षों में, देश में फोरेंसिक के आधुनिकीकरण के लिए एक केंद्रित मिशन शुरू किया गया है, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं दोनों के लिए है, जिनकी कुल लागत ₹4,800 करोड़ से अधिक है।
· राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एसएफएसएल) के आधुनिकीकरण और उन्नयन के लिए राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के लिए लगभग ₹233 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन पहलों ने राज्यों को उन्नत डीएनए परीक्षण मशीनें, आधुनिक फोरेंसिक उपकरण, और मोबाइल फोरेंसिक वैन खरीदने में सक्षम बनाया है, ताकि घटनास्थल पर जांच में तेज़ी आ सके और फोरेंसिक साक्ष्य की दक्षता में वृद्धि हो सके।
· हमारी फोरेंसिक जांच क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एन एफ एस यू) का देश के 16 स्थानों पर बाह्य परिसर स्थापित करके क्षमता निर्माण को प्राथमिकता दी है, ताकि फोरेंसिक जांच के लिए कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हो सके। मौजूदा 7 सीएफएसएल के अतिरिक्त, 8 और सीएफएसएल स्थापित किये जा रहे हैं।
· सरकार ने समय-समय पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के लिए अवसंरचना विकास और अन्य सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न केंद्रीय क्षेत्रीय योजनाओं की आवश्यकता का आकलन किया है। इसके अलावा, सरकार ने सीएपीएफ के लिए पुलिस अवसंरचना योजनाओं के तहत 2021 से 2025-26 तक 21,710 करोड़ रुपये का वित्तीय आवंटन निर्धारित किया है।
· सरकार केंद्र प्रायोजित उप-योजनाओं के तहत विभिन्न राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है, जिन्हें 'इंडिया रिजर्व बटालियन / विशिष्ट इंडिया रिजर्व बटालियन' के नाम से जाना जाता है, जिसमें 2021 से 2025 के बीच 350 करोड़ रुपये का वित्तीय आवंटन निर्धारित किया गया है।
· सीएपीएफ और राज्य पुलिस बलों का नियमित रूप से आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इसमें उन्हें उन्नत तकनीकी उपकरण प्रदान करना शामिल है ताकि संचालनात्मक संचार, प्रशिक्षण, पुलिस इकाइयों को सशस्त्र करना, उग्रवादी और कट्टरपंथी समूहों पर निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई, तथा सूचना के बेहतर प्रसार के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय आदि में सुधार हो सके।
यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गयी।
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पीके / केसी / जेके /डीके
(रिलीज़ आईडी: 2201226)
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