मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी फ्रेमवर्क

प्रविष्टि तिथि: 10 DEC 2025 3:40PM by PIB Delhi

(क): सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी फ्रेमवर्क के अंतर्गत, भारत सरकार ने मत्स्य संसाधनों की मजबूत निगरानी करने और समुद्री प्रदूषण को रोकथाम के लिए कई नए प्रावधान किए हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS), डिजिटल प्लेटफार्मों और ओपन डेटा पोर्टलों के माध्यम से संभावित मत्स्यन क्षेत्रों, समुद्री स्थिति का पूर्वानुमान और वास्तविक समय के समुद्री डेटा पर नि:शुल्क  परिचालन सलाह प्रदान करता है, जिससे फिश स्टॉक्स की वैज्ञानिक निगरानी के लिए सहायता प्राप्त होती है। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने PMMSY के अंतर्गत आर्टिफिशियल रीफ की स्थापना, डीप-सी फिशिंग को बढ़ावा देने, मार्केट और कोल्ड-चेन विकास और जलवायु-अनुकूल तटीय मछुआरों के गांव के निर्माण सहित एक लाख फिशिंग वेसेल्स पर ट्रांसपोंडर लगाने के लिए वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम को देश भर में आरंभ किया है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए, यह फ्रेमवर्क प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक की निगरानी, लो-कार्बन फिशरीज़, सुरक्षित इलाकों की स्पैशियल मैपिंग, और कोरल रीफ, मैंग्रोव और वेटलैंड्स की बहाली के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है। INCOIS कोरल ब्लीचिंग अलर्ट सर्विस, वाटर क्वालिटी नौकास्ट, एल्गल ब्लूम एडवाइजरी और ऑनलाइन ऑयल स्पिल एडवाइजरी जैसी प्रणालियों के माध्यम से योगदान देता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के दबाव पर प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करते हैं और एजेंसियों को समय पर कार्रवाई करने में मदद करते हैं। भारत ग्लोलिटर और रेग्लिटर परियोजनाओं और बे ऑफ बंगाल लार्ज मरीन इकोसिस्टम प्रोग्राम जैसी अंतर्राष्ट्रीय पहलों में भी भाग ले रहा है, जिसका उद्देश्य समुद्री प्लास्टिक के कूड़े को कम करना, मत्स्यन के उपकरणों के नुकसान को रोकना और मात्स्यिकी प्रबंधन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण (इकोसिस्टम एप्रोच) को बढ़ावा देना है।

(ख): पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) के कार्यान्वयन के माध्यम से पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और पशुधन स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान कर रहा है, जिसका उद्देश्य जानवरों की बीमारियों के लिए रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण, रोग निगरानी, प्रशिक्षण और जागरूकता, पशु चिकित्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करके पशु स्वास्थ्य के लिए जोखिम को कम करना है। सहायता प्राप्त प्रमुख गतिविधियों में फुट एंड माउथ डिजीज (FMD) ब्रुसेलोसिस, पेस्टे डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (PPR) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) के लिए टीकाकरण शामिल है, जिसके अंतर्गत 100% सहायता प्रदान की जाती है। भारत पशुधन पोर्टल टीकाकरण डेटा और टैगिंग के लिए पशु और मालिक का विवरण अपलोड करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म है। राज्यवार सैंपलिंग योजना सहित सीरम निगरानी और रोग निगरानी के लिए भाकृअनुप–राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान (NIVEDI) बेंगलुरु को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। उप-घटक के अंतर्गत, पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण (ESVHD-MVU), किसानों के दरवाजे पर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (MVUs) की खरीद और कस्टे माईज़ेशन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस संबंध में 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4019 MVUs कार्यरत हैं।

जलीय जीव रोग निगरानी के महत्व के आलोक में, भारत सरकार 2013 से जलीय जीव रोगों के लिए राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (NSPAAD) को कार्यान्वित कर रही है। वर्तमान में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत वित्त पोषित इस कार्यक्रम को 54 NSPAAD सहयोगी केंद्रों, राज्य मत्स्यपालन विभागों और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की भागीदारी के माध्यम से पूरे भारत में कार्यान्वित किया गया है। विगत कुछ वर्षों में, NSPAAD ने जलीय जीव स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं और नैदानिक ​​सुविधाओं का एक मजबूत नेटवर्क स्थापित किया है, जो प्रमुख जलीय जीव  रोगजनकों का शीघ्र पता लगाने, निष्क्रिय रोग निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने, किसानों को वैज्ञानिक सलाह प्रदान करने, भारत के लिए नए कई रोगजनकों की समय पर पहचान करने और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को जलीय पशु रोगों की पारदर्शी रिपोर्टिंग करने में सक्षम बनाता है। किसान-आधारित रिपोर्टिंग को और बेहतर बनाने के लिए, "रिपोर्टफिशडिज़ीज़" मोबाइल एप्लिकेशन हिंदी, अंग्रेजी और 11 क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया गया है। यह ऐप किसानों को बीमारी के मामलों की तुरंत रिपोर्ट करने और विशेषज्ञ मार्गदर्शन तक पहुंचने को सक्षम करता है, जिससे उभरती जलीय जीव  स्वास्थ्य चुनौतियों पर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होती है।

(ग): बिचौलियों की भूमिका को कम करने के लिए, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करने और पारंपरिक मछुआरों, मत्स्य किसानों, उत्पादक संगठनों और मात्स्यिकी क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया है ।

यह जानकारी आज लोकसभा में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय,भारत सरकार के मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने प्रश्न के जवाब में दी।

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जे पी


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