जनजातीय कार्य मंत्रालय
अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करना और उनकी पहचान करना
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 3:05PM by PIB Delhi
राज्यसभा में आज एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने बताया कि किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में परिभाषित करने के लिए निम्नलिखित मापदंड अपनाए जाते हैं: -
* आदिम लक्षणों के संकेत,
* विशिष्ट संस्कृति,
* भौगोलिक अलगाव,
* आम समुदाय से संपर्क में संकोच, और
* पिछड़ापन।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने 15.6.1999 को (जिसे 25.6.2002 और 14.9.2022 को संशोधित किया गया) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सूचियों में शामिल करने, बाहर करने और अन्य संशोधनों के दावों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया निर्धारित की है। इन प्रक्रियाओं के अनुसार, केवल उन्हीं प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और कानून में संशोधन किया जाएगा जिन्हें संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा अनुशंसित और उचित ठहराया गया हो और जिन पर भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सहमति हो। प्रस्तावों पर सभी कार्रवाई इन अनुमोदित प्रक्रियाओं के अनुसार की जाती है। मामले को आगे बढ़ाने के लिए संबंधित राज्य सरकार की सिफारिश आवश्यक है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सूचियों में शामिल करने, बाहर करने और अन्य संशोधनों के दावों पर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की एक प्रति अनुलग्नक के रूप में संलग्न है।
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पीके/केसी/एनएम
(रिलीज़ आईडी: 2201579)
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