सहकारिता मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का विस्तार और विविधीकरण

प्रविष्टि तिथि: 09 DEC 2025 5:54PM by PIB Delhi

(क)      सरकार ने देश में सहकारी आंदोलन को सशक्‍त करने और उसे जमीनी स्‍तर तक सघन करने की योजना को दिनांक 15.2.2023 को अनुमोदित किया । दिनांक 15.11.2025 के अनुसार, इस योजना के अधीन देश भर में कुल 30,083 नए पैक्‍स, डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं और 15,793 डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी समितियों को सशक्‍त किया गया है, जिनका ब्‍योरा क्रमश: संलग्‍नक-I और संलग्‍नक-II पर प्रस्‍तुत है । अब तक 2,55,881 ग्राम पंचायतें (GPs) पैक्‍स द्वारा आच्‍छादित हैं; 87,159 ग्राम पंचायतें डेयरी सहकारी समितियों द्वारा आच्‍छादित हैं और 29,964 ग्राम पंचायतें मात्स्यिकी सहकारी समितियों द्वारा आच्‍छादित हैं ।

(ख)      पैक्‍स को PM-KISAN, PMKSK, और PMBJK के साथ लिंक करने के लिए सरकार ने राज्‍यों/ संघ राज्‍यक्षेत्रों, राष्‍ट्र-स्‍तरीय परिसंघों, राज्‍य सहकारी बैंकों (StCBs), जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs), आदि सहित सभी हितधारकों के परामर्श से पैक्‍स के लिए आदर्श उपविधियां तैयार कर सभी राज्‍यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों को परिचालित की हैं, जो पैक्‍स को 25 से भी अधिक कार्यकलाप करने में सक्षम बनाती हैं, उनके प्रचालनों के शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार लाती हैं । सहकारिता मंत्रालय ने पैक्‍स को किसानों के लिए स्‍थानीय स्‍तर के डिलीवरी-हब्‍स बनाने हेतु प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पैक्‍स) को PM-KISAN और अन्‍य केंद्रीय योजनाओं जैसे PMKSK, और PMBJK के साथ एकीकृत करने के लिए कई उपाय किए हैं । इनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:

1. किसान डेटाबेस के साथ ERP-सक्षम अभिसरण: पैक्‍स कंप्‍यूटरीकरण की केंद्रीय प्रायोजित परियोजना PM-KISAN, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK), ब्‍याज अनुदान, उर्वरक और बीज वितरण, PDS आउटलेट्स, एलपीजी/पेट्रोल/डीज़ल डीलरशिप्‍स, कस्‍टम हाइरिंग, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, कॉमन सेवा केंद्र, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), आदि जैसे राष्‍ट्रीय पोर्टलों के साथ एकीकरण द्वारा एकरूप ERP-आधारित प्‍लेटफॉर्म प्रदान करती है ।

2. बहुक्षेत्रक योजनाओं का लिंकेज: पैक्‍स को अनेक केंद्रीय योजनाओं में भी भाग लेने के लिए सक्षम बनाया गया है, जिनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:

  1. एक ही स्‍थान पर किसानों को उर्वरक, कीटनाशक और अन्‍य विभिन्‍न कृषि निविष्टियां प्रदान करने के लिए पैक्‍स, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में कार्य करेंगे । अब तक 38,330 पैक्‍स को PMKSKs में अपग्रेड किया गया है ।
  2. ग्रामीण जनता को बैंकिंग, बीमा, बिजली बिल भुगतान, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं, कानूनी सेवाएं, आदि जैसी 300 से भी अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने के लिए पैक्‍स, कॉमन सेवा केंद्रों (CSCs) के रूप में कार्य करेंगे । अब तक 51,183 पैक्‍स ने CSC के रूप में कार्य करना आरंभ कर दिया है ।
  3. ग्रामीण जनता को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पैक्‍स, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (PMBJK) के रूप में कार्य करेंगे । अब तक, 799 पैक्‍स को PMBI से स्‍टोर कोड प्राप्‍त हो गए हैं और वे PMBJK के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं।
  4. पैक्‍स को रिटेल पेट्रोल/डीजल आउटलेट्स के लिए पात्र बनाया गया। सरकार ने पेट्रोल/डीजल आउटलेट्स के आबंटन में पैक्‍स को कंबाइन्‍ड कैटेगरी 2 (CC2) में शामिल करने की अनुमति प्रदान कर दी है ।
  5. पैक्‍स को अपने थोक पेट्रोल पंप को रिटेल आउटलेट्स में परिवर्तित करने की अनुमति दी गई । तेल विपणन कंपनियों द्वारा मौजूदा थोक उपभोक्‍ता लाइसेंस प्राप्‍त पैक्‍स को रिटेल आउटलेट्स में परिवर्तित होने के लिए एक बार का विकल्‍प दिया गया है । तेल विपणन कंपनियों द्वारा साझा की गई सूचना के अनुसार, 5 राज्‍यों में थोक उपभोक्‍ता पंप लाइसेंस प्राप्‍त 117 पैक्‍स ने रिटेल आउटलेट्स में परिवर्तित होने की सहमति दी है जिसमें से तेल विपणन कंपनियों द्वारा 59 पैक्‍स कमीशन किए गए हैं ।
  6. अपने कार्यों में विविधीकरण हेतु पैक्‍स को एलपीजी डिस्ट्रिब्‍यूटरशिप के लिए पात्र बनाया गया। अब पैक्‍स एलपीजी डिस्ट्रिब्‍यूटरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं । इससे पैक्‍स को अपने आर्थिक क्रियाकलापों को बढ़ाने और अपनी आय प्रवाह के विविधीकरण का विकल्‍प प्राप्‍त होगा।
  7. पैक्‍स को ग्रामीण क्षेत्रों में नल जलापूर्ति योजनाओं के प्रचालन और रखरखाव (O&M) का कार्य करने के लिए पात्र बनाया गया है । राज्‍यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों से प्राप्‍त सूचना के अनुसार, 11 राज्‍यों/ संघ राज्‍यक्षेत्रों द्वारा पंचायत/गांव के स्‍तर पर O&M सेवाएं प्रदान करने के लिए 763 पैक्‍स की पहचान की गई है/चयनित किए गए हैं ।

(ग)       राष्‍ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्‍स लिमिटेड (NCOL) और राष्‍ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) जैसे संस्‍थानों के माध्‍यम से जैविक उत्‍पादन और मत्‍स्‍यपालन में सहकारी संस्थानों के दायरे को बढ़ाने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने राष्‍ट्र-स्‍तरीय संस्‍थानों के सशक्‍तीकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं । जैविक कृषि की शीर्ष बहुराज्‍य सहकारी समिति के तौर पर स्‍थापित NCOL में अब सदस्‍य के रूप में 10,035 पैक्‍स/सहकारी समितियां हैं और वह संग्रहण, प्रमाणन, परीक्षण, प्रसंस्‍‍करण, ब्रांडिंग और निर्यात सुविधा सहित एंड-टू-एंड सहायता प्रदान करती हैं । NCOL, “भारत ऑर्गेनिक्‍स” ब्रांड के नाम से उत्‍पादों का विपणन करता है और 245 से भी अधिक कीटनाशकों के बैच-परीक्षित 28 प्रमाणित जैविक उत्‍पाद प्रदान करता है तथा प्रापण, प्रमाणन और क्‍लस्‍टर विकास के लिए उसने विभिन्‍न राज्‍यों के साथ साझेदारी व्‍यवस्‍था पर हस्‍ताक्षर किया है । राष्‍ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) को भारत की समर्पित सहकारी निर्यात संस्‍था के रूप में स्‍थापित किया गया है जिसमें बतौर सदस्‍य अब 13,848 पैक्‍स/ सहकारी समितियां हैं और वह 5,397 करोड़ रुपये के मूल्‍य की 13.09 लाख मीट्रिक टन कृषि सामग्री का निर्यात करता है तथा वर्ष 2023-24 में उसने अपनी सदस्‍य सहकारी समितियों को 20% के लाभांश का वितरण किया है । मत्‍स्‍यपालन में मंत्रालय ने नई बहुद्देशीय सहकारी समितियों की स्‍थापना तथा मत्‍स्‍य किसान उत्‍पादक संगठनों (FFPOs) के विस्‍तारण द्वारा सहकारी प्रतिभागिता को सशक्‍त किया है । राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने मछली पकड़ने के गहरे समुद्री जहाजों, समुद्री खाद्य प्रसंस्‍करण अवसंरचना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके तथा 280.65 करोड़ रुपये के अनुमोदित परिव्‍यय से 1,000 मात्स्यिकी सहकारी समितियों को FFPOs में रूपांतरित करने का कार्य आरंभ करके इस पहल को गति देने में सहायता दी है । कुल मिलाकर राज्‍यों के साथ समझौता ज्ञापनों, पैक्‍स नेटवर्कों के साथ एकीकरण तथा निर्यात और जैविक-केंद्रित शीर्ष सहकारी समितियों की स्‍थापना द्वारा समर्थित इन पहलों ने एक व्‍यापक संस्‍थागत संरचना का निर्माण किया है जो जैविक कृषि, मत्‍स्‍यपालन, मूल्‍य वर्धित प्रसंस्‍करण और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजारों में सहकारी प्रतिभागिता को बढ़ाता है ।

(घ)       जमीनी स्‍तर पर प्रभावी कार्यान्‍वयन और राज्‍यों में प्रभावी समन्‍वय एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इन योजनाओं/परियोजनाओं के जमीनी स्‍तर पर निगरानी करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने झारखंड सहित राज्‍यों में बहुस्‍तरीय पद्धति अपनायी है । इस उद्देश्‍य के लिए राष्‍ट्र से लेकर जिला स्‍तर तक, विभिन्‍न स्‍तरों पर समितियों का गठन किया गया है । इनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:

  1. अंतर-मंत्रालयीय समिति (IMC) – माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री की अध्‍यक्षता में;
  2. राष्‍ट्र-स्‍तरीय समन्‍वय समिति (NLCC) – सचिव, सहकारिता मंत्रालय की अध्‍यक्षता में;
  3. राज्‍य सहकारी विकास सम‍िति (SCDC) – संबंधित राज्‍य/संघ राज्‍यक्षेत्र के मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में; और
  4. जिला सहकारी विकास समिति (DCDC) – संबंधित जिलों के जिला मजिस्‍ट्रेट की अध्‍यक्षता में ।

उपर्युक्‍त के अतिरिक्‍त, जिला स्‍तर पर DCDC की उप-समिति के रूप में राज्‍यों द्वारा एक संयुक्‍त कार्य-समिति (JWC) का भी गठन किया जा रहा है । यह समिति संबंधित राज्‍य विभागों के जिला स्‍तर के अधिकारीगण और जिला स्‍तरीय परिसंघों/संगठनों के प्रतिनिधिगण को मिलाकर बनायी गई है । संयुक्‍त कार्य-समिति जमीनी स्‍तर की समिति के रूप में अपनी सेवाएं देगी और नए M-PACS, डेयरी सहकारी समितियों और मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्‍थापना से संबंधित लक्ष्‍यों की प्राप्ति के लिए उत्तरदायी होंगी ।

इसके अलावा, योजना की प्रगति का जायजा लेने और मूल्‍यांकन हेतु मासिक राज्‍य समीक्षा बैठकें और द्वि-मासिक क्षेत्रीय समीक्षा बैठकें की गईं । इसके अतिरिक्‍त, सभी संबंधित हितधारकों के बीच समन्‍वय में सुविधा के लिए सहकारिता मंत्रालय द्वारा एक परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU) भी स्‍थापित की गई है।

ये प्रयास, राष्‍ट्रीय सहकारिता डेटाबेस (NCD) के माध्‍यम से मजूबत रिपोर्टिंग प्रणाली द्वारा समर्थित हैं जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं ।

(ङ)      ग्राम पंचायतों में पैक्‍स के माध्‍यम से किसानों की आय बढ़ाने और उन्‍हें स्‍वावलंबी बनाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं । प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पैक्‍स) की व्‍यवहार्यता बढ़ाने और उन्‍हें जीवंत आर्थिक इकाई बनाने के लिए उनके कार्यकलापों का विविधीकरण हेतु पैक्‍स के लिए आदर्श उपविधियां तैयार की गई हैं जौ पैक्‍स को डेयरी, मात्स्यिकी, पुष्‍पकृषि, गोदामों की स्‍थापना, खाद्यान्‍न एवं उर्वरक का प्रापण, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीज़ल डिस्ट्रिब्‍यूटरशिप्‍स, अल्‍पकालिक और दीर्घकालिक ऋण, कस्‍टम हाइरिंग केंद्र, कॉमन सेवा केंद्र, आदि जैसे 25 से भी अधिक कार्यकलाप करके अपने व्‍यावसायिक कार्यकलापों का विविधीकरण करने में सक्षम बनाती हैं । पैक्‍स को अनेक केंद्रीय योजनाओं में भाग लेने के लिए सक्षम किया जा चुका है जिनका सारांश ऊपर पैरा (ख) में दिया जा चुका है ।

इसके अलावा, सरकार ने कृषि अवसंरचना निधि (AIF), कृषि विपणन अवसंरचना योजा (AMI), कृषि यांत्रिकीकरण पर उपयोजना (SMAM), प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्योग उन्‍नयन योजना (PMFME), आदि सहित भारत सरकार की विभिन्‍न योजनाओं के अभिसरण द्वारा पैक्‍स स्‍तर पर भांडागारों, कस्‍टम हाइरिंग केंद्रों, प्रसंस्‍करण इकाइयों और अन्‍न भंडारण हेतु अन्‍य कृषि अवसंरचनाओं के निर्माण की योजना को अनुमोदित किया है । इससे खाद्यान्‍न की बर्बादी और परिवहन लागत घटेगी और किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त हो सकेगा और पैक्‍स के स्‍तर पर ही उनकी विभिन्‍न कृषि आवश्‍यकताओं की पूर्ति होगी । इस पायलट परियोजना के अधीन 11 राज्‍यों के 11 पैक्‍स में गोदामों का निर्माण हो चुका है । इसके अलावा, सहकारी क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना की विस्‍तारित पायलट परियोजना के अधीन गोदाम निर्माण के लिए देश भर में 500 से भी अधिक पैक्‍स की पहचान की गई है ।

***

संलग्‍नक-I

 

क्रम सं.

राज्‍य/संघ राज्‍यक्षेत्र

स्‍थापित MPACS की संख्‍या

स्‍थापित DCS की संख्‍या

स्‍थापित FCS की संख्‍या

कुल*

 
   

1

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह

1

1

11

13

   

2

आंध्र प्रदेश

-

895

2

897

   

3

अरुणाचल प्रदेश

126

15

20

161

   

4

असम

432

556

75

1,063

   

5

बिहार

56

4,460

2

4,518

   

6

छत्तीसगढ़

321

352

320

993

   

7

गोवा

30

4

3

37

   

8

गुजरात

468

694

22

1,184

   

9

हरियाणा

30

150

6

186

   

10

हिमाचल प्रदेश

102

666

6

774

   

11

जम्‍मू और कश्‍मीर

205

1,266

36

1,507

   

12

झारखंड

44

238

144

426

   

13

कर्नाटक

233

933

42

1,208

   

14

केरल

-

-

-

-

   

15

लद्दाख

3

3

1

7

   

16

लक्षद्वीप

-

-

7

7

   

17

मध्‍य प्रदेश

626

751

203

1,580

   

18

महाराष्‍ट्र

180

1,065

151

1,396

   

19

मणिपुर

97

24

66

187

   

20

मेघालय

237

16

8

261

   

21

मिजोरम

91

2

2

95

   

22

नागालैंड

24

4

18

46

   

23

ओडिशा

1,537

451

51

2,039

   

24

पुड्डूचेरी

4

3

3

10

   

25

पंजाब

-

453

41

494

   

26

राजस्‍थान

1,242

1,928

22

3,192

   

27

सिक्किम

24

57

3

84

   

28

तमिलनाडु

28

806

25

859

   

29

तेलंगाना

-

174

102

276

   

30

दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव

5

-

1

6

   

31

त्रिपुरा

274

1

14

289

   

32

उत्तर प्रदेश

857

3,915

376

5,148

   

33

उत्तराखंड

601

256

119

976

   

34

पश्चिम बंगाल

23

138

3

164

   

35

चंडीगढ़

-

-

-

-

   

36

दिल्‍ली

-

-

-

-

   
   

7,901

20,277

1,905

30,083

   
 

*दिनांक 15.11.2025 के अनुसार

           

संलग्‍नक-II

क्रम सं.

राज्‍य/संघ राज्‍यक्षेत्र

सशक्‍त किए गए DCS की संख्‍या

सशक्‍त किए गए FCS की संख्‍या

कुल*

 
 

1

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह

-

4

4

 

2

आंध्र प्रदेश

106

156

262

 

3

अरुणाचल प्रदेश

-

2

2

 

4

असम

192

63

255

 

5

बिहार

834

12

846

 

6

छत्तीसगढ़

-

217

217

 

7

गोवा

-

3

3

 

8

गुजरात

3,956

21

3,977

 

9

हरियाणा

-

1

1

 

10

हिमाचल प्रदेश

168

9

177

 

11

जम्‍मू और कश्‍मीर

756

1

757

 

12

झारखंड

159

12

171

 

13

कर्नाटक

619

80

699

 

14

केरल

379

45

424

 

15

लद्दाख

-

-

-

 

16

लक्षद्वीप

-

-

-

 

17

मध्‍य प्रदेश

97

163

260

 

18

महाराष्‍ट्र

-

463

463

 

19

मणिपुर

-

155

155

 

20

मेघालय

137

5

142

 

21

मिजोरम

-

1

1

 

22

नागालैंड

-

11

11

 

23

ओडिशा

209

-

209

 

24

पुड्डूचेरी

-

-

-

 

25

पंजाब

607

-

607

 

26

राजस्‍थान

1,001

-

1,001

 

27

सिक्किम

251

1

252

 

28

तमिलनाडु

4,230

3

4,233

 

29

तेलंगाना

175

224

399

 

30

दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव

-

-

-

 

31

त्रिपुरा

-

26

26

 

32

उत्तर प्रदेश

113

-

113

 

33

उत्तराखंड

104

-

104

 

34

पश्चिम बंगाल

-

22

22

 

35

चंडीगढ़

-

-

-

 

36

दिल्‍ली

-

-

-

 
   

14,093

1,700

15,793

 

 

   

*दिनांक 15.11.2025 के अनुसार

         

 

यह जानकारी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

***

AK

 


(रिलीज़ आईडी: 2201723) आगंतुक पटल : 34
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English