विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
संसद प्रश्न: प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न बनने में मदद करने की पहल
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 4:35PM by PIB Delhi
सरकार कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित पूरे देश में अपनी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से नवोन्मेषकों, उद्यमियों तथा स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सक्रिय रूप से सहयोग कर रही है।
सरकार ने अत्याधुनिक और गहन प्रौद्योगिकियों के विकास को सशक्त बनाने तथा स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करने के लिए अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (आरडीआई) योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र को अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (आरडीआई) गतिविधियों में अधिक सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना, परिवर्तनकारी और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना, रणनीतिक महत्व की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण में सहयोग देना तथा गहन प्रौद्योगिकी निधि की स्थापना को बढ़ावा देना है। इस महत्वाकांक्षी पहल का नेतृत्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) नोडल विभाग के रूप में कर रहा है। अगले 6 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, यह योजना कई उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों को लक्षित करती है, जिनमें ऊर्जा सुरक्षा एवं ऊर्जा पारेषण, जलवायु कार्रवाई, क्वांटम कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स व अंतरिक्ष सहित गहन प्रौद्योगिकी; कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसका कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा में उपयोग; साथ ही जैव प्रौद्योगिकी, बायोमैन्युफैक्चरिंग, सिंथेटिक बायोलॉजी, फार्मा, चिकित्सा उपकरण तथा डिजिटल कृषि सहित डिजिटल अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयाम शामिल हैं।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग क्वांटम प्रौद्योगिकियों विशेष रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग तथा क्वांटम सामग्री एवं उपकरण के क्षेत्र में कार्यरत स्टार्टअप्स को सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहा है। इस मिशन का उद्देश्य उभरते क्वांटम स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना, उन्हें उपयुक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, अत्याधुनिक अवसंरचना तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और उद्योग जगत के साथ सहयोग के माध्यम से विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करना है। एनक्यूएम के अंतर्गत अब तक क्वांटम प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में सात स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
विभाग एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) अंतरविषयक साइबर भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) को कार्यान्वित कर रहा है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3660 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी। इस मिशन के तहत, देश भर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (टीआईएच) स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक टीआईएच उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल), रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), साइबर सुरक्षा, क्वांटम प्रौद्योगिकी, फिनटेक आदि में विशेषज्ञता रखता है। इस मिशन के तहत 800 से अधिक स्टार्टअप्स को लाभ हुआ है। कर्नाटक राज्य में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु में रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणाली नवाचार फाउंडेशन के लिए आई-हब और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), बेंगलुरु में आईआईआईटीबी कॉमेट फाउंडेशन की स्थापना की गई है; महाराष्ट्र राज्य में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे में आई-हब क्वांटम प्रौद्योगिकी फाउंडेशन और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे में आईओटी तथा आईओई के लिए टीआईएच फाउंडेशन की स्थापना की गई है; राजस्थान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर में आई-हब दृष्टि फाउंडेशन और बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान पिलानी में बिट्स बायोसाइटोफिल फाउंडेशन की स्थापना की गई है। इन छह टीआईएच ने मिलकर अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास में 160 स्टार्टअप को सहयोग प्रदान किया है।
डीएसटी ने 'एनआईडीएचआई' (नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन्स) कार्यक्रम के माध्यम से स्टार्टअप्स को उनके विचारों से लेकर व्यावसायीकरण तक संपूर्ण सहायता प्रदान की है। इस मिशन में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास जैसे कई कार्यक्रम घटकों को शामिल किया गया है। इनमें प्रारंभिक चरण के नवोन्मेषी विचारों के लिए प्रोटोटाइपिंग अनुदान, प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटरों के माध्यम से मार्गदर्शन और परामर्श सहयोग, स्टार्टअप्स के तेजी से विकास एवं विस्तार के लिए सीड फंडिंग तथा उद्यमों को तेजी से बढ़ाने हेतु त्वरण सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। निधि-प्रयास कार्यक्रम के तहत 2,254 नवप्रवर्तकों/स्टार्टअपों को 173.27 करोड़ रुपये की स्वीकृत धनराशि के साथ सहायता प्रदान की गई है। इन 2254 नवप्रवर्तकों/स्टार्टअपों में से 381 कर्नाटक से, 312 महाराष्ट्र से और 56 राजस्थान से हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) आधारित स्टार्टअप्स को सहयता देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु डीएसटी द्वारा स्थापित शैक्षणिक इनक्यूबेटरों के नेटवर्क को निधि कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 1400 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। डीएसटी से सहायता प्राप्त कार्यक्रमों से 12,000 से अधिक स्टार्टअप लाभान्वित हुए हैं। डीएसटी ने कर्नाटक राज्य में 17, महाराष्ट्र राज्य में 14 और राजस्थान राज्य में 4 इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि स्टार्टअप्स को उनके विचार से लेकर व्यावसायीकरण तक की यात्रा में व्यापक सहायता व सहयोग प्रदान किया जा सके।
उद्योग एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करने में सक्षम रहा है। अकादमिक अनुसंधान और व्यावसायिक उत्पादों के बीच मौजूद अंतर को कम करने के लिए अपनाए गए प्रमुख तंत्रों में से एक है प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) आधारित संरचित समर्थन, जो शोधकर्ताओं को नवोन्मेष को व्यावसायिक रूप में बदलने में मार्गदर्शन व संसाधन प्रदान करता है। नए ढांचे के तहत, एएनआरएफ बुनियादी और प्रारंभिक चरण के विकास से लेकर टीआरएल-4 तक के अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है, जबकि आरडीआई योजना को टीआरएल-4 और उससे ऊपर की परियोजनाओं का समर्थन करने, प्रोटोटाइप को आगे बढ़ाने, पायलट प्रदर्शन करने तथा गतिविधियों को बड़े पैमाने पर करने के लिए अनिवार्य किया गया है। यह समन्वित दृष्टिकोण प्रयोगशाला अनुसंधान से व्यावसायिक रूप से उपयोग योग्य प्रौद्योगिकियों में सुचारू रूप से परिवर्तन को सक्षम बनाता है।
वर्ष 2016 में शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने भारतीय स्टार्टअपों के पंजीकरण के लिए एक मंच प्रदान किया है। 31 अक्टूबर 2025 तक, डीपीआईआईटी द्वारा 1,97,692 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी गई है, जिन्होंने 21.11 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित करने की सूचना दी है। सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत, विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को सहायता देने के लिए लगातार कई प्रयास करती है। प्रमुख योजनाएं, जैसे कि फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स (एफएफएस), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) और क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप्स (सीजीएसएस), स्टार्टअप्स को उनके व्यावसायिक चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करती हैं।
बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट (बिग) योजना और बायोनेस्ट (बायो-इनक्यूबेटर्स नर्चरिंग एंटरप्रेन्योरशिप फॉर स्केलिंग टेक्नोलॉजीज) के तहत बायोटेक स्टार्टअप्स तथा उद्यमियों को प्रारंभिक चरण की फंडिंग प्रदान कर रही है। भारत में एक जीवंत जैव प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में बीआईआरएसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से, इसने जोखिम-आधारित प्रयोगात्मक अनुसंधान को वित्तपोषण प्रदान करने, नवोदित विचारों का प्रोत्साहन करने और विशेष जैव-इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित करने जैसी अनेक गतिविधियाँ की हैं। बायोनेस्ट और ई-युवा केंद्रों ने 2,700 से अधिक इनक्यूबेटर तथा विद्यार्थियों को सहायता प्रदान की है। इन संस्थानों द्वारा 1,300 से अधिक बौद्धिक संपदा (आईपी) पंजीकृत की गई हैं और 800 से अधिक उत्पाद विकसित किए गए हैं, जो बाजार में उतरने के विभिन्न चरणों में पहुंच चुके हैं। इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) इलेक्ट्रॉनिकी और आईसीटी क्षेत्र में डीप टेक स्टार्टअप्स को टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्रेन्योर्स (टीआईडीई) ततः जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप (जीईएनईएसआईएस) योजनाओं के तहत वित्तीय व तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) की स्थापना की है, जो भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे रहा है।
रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) को 2018 में स्टार्टअप्स/एमएसएमई/व्यक्तिगत इनोवेटर्स, अनुसंधान एवं विकास संस्थान और शिक्षा जगत सहित उद्योगों को शामिल करके रक्षा तथा एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया था। आईडीईएक्स विजेताओं (स्टार्टअप्स/एसएमई) को अनुसंधान एवं विकास करने के लिए अनुदान और अन्य सहायता प्रदान करता है, जिसमें भारतीय रक्षा व एयरोस्पेस जरूरतों के लिए क्षमता निहित है।
डीएसटी ने हैदराबाद के टी-हब में एआई/एमएल उत्कृष्टता के लिए निधि केंद्र का समर्थन किया है, जो तेलंगाना सरकार द्वारा स्थापित एक प्रौद्योगिकी केंद्र है। इसी प्रकार, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में जैव प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित किए हैं। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य के बीच इस तरह के सहयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर यूनिकॉर्न कंपनियों के विकास को मजबूत किया है।
सरकार ने राज्यों के साथ समय-समय पर गतिविधियां और कार्यक्रम भी लागू किए हैं, जैसे कि राज्य स्टार्टअप रैंकिंग, राज्य स्टार्टअप नीति, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार आदि, जिन्होंने केंद्र एवं विभिन्न राज्यों के बीच तालमेल स्थापित करने तथा देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले 10 वर्षों के दौरान सरकार द्वारा निर्मित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमशीलता अवसंरचना और सशक्त सहायता तंत्र जैसे कि अनुवादात्मक अनुसंधान केंद्र, स्टार्टअप इनक्यूबेटर, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, निर्माण सुविधाएं, विचार से लेकर अवधारणा के प्रमाण (पीओसी) तक उदार समर्थन, प्रारंभिक निधि से लेकर त्वरण तक, बाह्य निधि जुटाने में सहायता आदि ने विद्यार्थियों एवं नवप्रवर्तकों को उद्यमिता को करियर के रूप में अपनाने और स्वयं के अभिनव उद्यम शुरू करने के लिए निर्बाध अवसर प्रदान किए हैं।
सरकार की तमाम गतिविधियों ने पूंजी तक पहुंच में सुधार, नियामक बाधाओं में ढील और इनक्यूबेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के माध्यम से भारत के स्टार्टअप व नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को काफी मजबूत किया है। इनसे प्रमुख शहरों से परे उद्यमिता को बढ़ावा देकर व्यापक आर्थिक विकास को भी बल मिला है। अपनी यात्रा के दौरान, डीएसटी द्वारा सहायता प्राप्त चार स्टार्टअप यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर चुके हैं। डीएसटी कार्यक्रमों के तहत सहायता प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने वाले स्टार्टअप में क्यूनु लैब्स, क्यूपीआईएआई, एथर एनर्जी, आइडियाफोर्ज, रेजरपे, यूनिफोर, फारआई, लॉरस लैब्स, गपशप, एटमबर्ग, अग्निकुल, ऑफग्रिड एनर्जी लैब्स आदि शामिल हैं।
पीके/केसी/एनके
(रिलीज़ आईडी: 2201829)
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