रेल मंत्रालय
भारतीय रेलवे का किफायती यात्री किराए और माल ढुलाई सेवाओं के लिए प्रयास लगातार जारी
बढ़ती लागत के बावजूद 2018 से माल ढुलाई दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है
पांच साल के अंतराल के बाद 1 जुलाई, 2025 से यात्री किराए तर्कसंगत बनाए गए; 500 किलोमीटर तक सामान्य श्रेणी के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है
भारतीय रेलवे ने यात्रियों के सफर को किफायती बनाए रखने के लिए ₹60,000 करोड़ की सब्सिडी बढ़ाई; अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत पड़ोसी देशों में सबसे किफायती परिवहन उपबल्ध कराता है
भारतीय रेलवे ने 2024-25 में 1,617 मीट्रिक टन माल ढुलाई का लक्ष्य पूरा किया, और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मालवाहक रेलवे बन गया
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 7:37PM by PIB Delhi
भारतीय रेलवे यात्रियों और माल दोनों के लिए किफायती परिवहन सेवाएं प्रदान करने के प्रति प्रयासरत है। यात्री किराया और माल ढुलाई शुल्क को युक्तिसंगत बनाने के लिए कई विकल्पों का मूल्यांकन एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
माल ढुलाई दरों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए, इनपुट लागत में सालों से बढ़ोतरी के बाद भी, 2018 से माल ढुलाई दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया है।
5 वर्ष से अधिक के अंतराल के बाद, 1 जुलाई 2025 से यात्री किराए को युक्तिसंगत बनाया गया। प्रीमियम श्रेणियों के लिए किराए में बढ़ोतरी बेहद कम है, जो प्रति किलोमीटर आधा पैसे से लेकर दो पैसे तक है। किराया संशोधन का विवरण इस प्रकार है:
i) सामान्य श्रेणी में 500 किलोमीटर तक कोई बढ़ोतरी नहीं, उसके बाद प्रति यात्री प्रति किलोमीटर किराए में आधा पैसे की बढ़ोतरी।
ii) सामान्य स्लीपर क्लास और सामान्य फर्स्ट क्लास में प्रति यात्री प्रति किलोमीटर किराए में आधा पैसे की बढ़ोतरी।
iii) मेल एक्सप्रेस के नॉन-एसी श्रेणी में प्रति यात्री प्रति किलोमीटर 1 पैसे की बढ़ोतरी।
iv) आरक्षित एसी श्रेणी में प्रति यात्री प्रति किलोमीटर 2 पैसे की बढ़ोतरी।
कम और मध्यम आय वर्ग के परिवारों के लिए किराया देने की क्षमता बनाए रखने के लिए, एमएसटी (मासिक सीजन टिकट) और उपनगरीय यात्रा के किराए में कोई संशोधन नहीं किया गया है।
माल ढुलाई बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम
भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई और राजस्व बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने के लिए, नई लाइनें बिछाकर, मौजूदा लाइनों को मल्टीट्रैक करके और मौजूदा लाइनों के गेज में बदलाव करके रेल नेटवर्क में बड़ा विस्तार किया गया है। बीते 10 वर्ष में बिछाई गई नई पटरियों का विवरण इस प्रकार है:-
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समय काल
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कमीशन किए गए नए ट्रैक
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2009-14
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7,599 किलोमीटर
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2014-25
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34,428 किलोमीटर
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इसके अतिरिक्त, दिनांक 01.04.25 तक 431 परियोजनाओं (154 नई लाइन, 33 गेज रूपांतरण और 244 दोहरीकरण) को मंजूरी दी गई है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:-
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श्रेणी
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परियोजनाओं की संख्या
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कुल लंबाई (किलोमीटर में)
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मार्च 2025 तक किया गया काम (किलोमीटर में)
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बकाया (किलोमीटर में)
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लागत (करोड़ रुपये में)
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नई लाइन
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154
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16,142
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3,036
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13,105
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3,77,389
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गॉज में बदलाव
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33
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4,180
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2,997
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1,183
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43,820
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डबलिंग/ मल्टी ट्रैकिंग
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244
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15 644
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6,736
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8,909
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2,53,711
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कुल
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431
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35,966
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12,769
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23,197
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6,74,920
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- यार्ड के पुनर्निर्माण, बाईपास/ कॉर्ड लाइनों के निर्माण, रेल फ्लाईओवर आदि के जरिए कार्यान्वयन में आने वाली परेशानियों को दूर करना।
- लुधियाना से सोननगर (1337 किलोमीटर) तक पूर्वी समर्पित माल गलियारा (ईडीएफसी) और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किलोमीटर) तक पश्चिमी समर्पित माल गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। कुल 2843 किलोमीटर में से 2741 किलोमीटर (96.4%) मार्ग चालू और कार्यरत है।
- भारतीय रेलवे ने मिशन मोड में रेलवे लाइनों के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू किया है। अब तक, ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क का लगभग 99.1% भाग इलेक्ट्रिफाइड हो चुका है। 2014 से पहले और बाद के इलेक्ट्रिफिकेशन की तुलना इस प्रकार है:-
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समय
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रूट किलोमीटर
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2014 से पहले
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21,801
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2014-25
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46,900
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- वैगनों और लोकोमोटिवों की खरीद: माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने के लिए, बड़ी संख्या में औद्योगिक वैगनों की खरीद की गई है और लोकोमोटिवों का निर्माण किया गया है। 2014 से 2025 के दौरान, माल ढुलाई क्षमता और गतिशीलता बढ़ाने के लिए लगभग 2 लाख वैगनों की खरीद की गई और 10,000 से अधिक लोकोमोटिव शामिल किए गए।
- सीमेंट, तेल, इस्पात, फ्लाई ऐश, ऑटोमोबाइल आदि के लिए सामान्य काम के लिए वैगनों, विशेष काम के लिए/ उच्च क्षमता वाले वैगनों और ऑटोमोबाइल वाहक वैगनों में निवेश में उद्योग की हिस्सेदारी है। अब तक, लगभग 240 रेक विशेष काम के लिए वैगन, 374 रेक सामान्य काम के लिए वैगन और 48 रेक ऑटोमोबाइल वैगन शामिल किए जा चुके हैं।
- ‘गति शक्ति मल्टी-मोडल कार्गो टर्मिनल (जीसीटी)’ नीति के अंतर्गत अब तक 118 नए जीसीटी चालू किए जा चुके हैं, जिनकी अनुमानित यातायात क्षमता 192 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है। इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2023-24 से माल और पार्सल टर्मिनलों के सुधार के लिए ₹14,500 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
- थोक सीमेंट परिवहन को सरल बनाने के लिए रेलवे सुधारों के अंतर्गत रेलवे की जमीन पर टर्मिनल स्थापित करने हेतु हाल ही में एक “थोक सीमेंट टर्मिनल नीति” शुरू की गई है।
- मांग के अनुरूप रेक/ वैगनों की उपलब्धता बढ़ाना सुनिश्चित करना।
- प्रति वैगन अतिरिक्त यातायात ढोने की क्षमता में बढ़ोतरी। प्रति ट्रेन मालगाड़ियों की क्षमता बढ़ाने के लिए मालगाड़ियों की लंबाई भी बढ़ाई गई है।
- माल ढुलाई कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल परिसंपत्ति की निगरानी और काम में सुधार के लिए किया गया है।
- अधिक हॉर्सपावर वाले लोकोमोटिव को शामिल किया गया है।
- वैगनों और लोकोमोटिव के रखरखाव में सुधार से यातायात इस्तेमाल के लिए लोकोमोटिव और रोलिंग स्टॉक की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई है।
- अधिक यातायात भार ढोने करने के लिए ट्रैक और सिग्नलिंग मानकों में सुधार किया गया है।
- कर्मचारियों और अधिकारियों को नई तकनीक और प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
उपरोक्त उपायों के चलते, माल ढुलाई 2020-21 में 1,233 मीट्रिक टन से बढ़कर 2024-25 में 1617 मीट्रिक टन हो गई है। 2024-25 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 1617 मीट्रिक टन माल का परिवहन किया, जिससे यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मालवाहक रेलवे बन गई है।
यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में प्रश्नों के उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एमएम
(रिलीज़ आईडी: 2201913)
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