सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
केरल में एनएच-66 पर परियोजनाओं में प्रबलित मृदा दीवार के ढहने के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कड़ी कार्रवाई की
प्रविष्टि तिथि:
10 DEC 2025 10:08PM by PIB Delhi
5 दिसंबर, 2025 को कोल्लम जिले के मायलाक्कडु में प्रबलित मृदा दीवार के ढहने की घटना के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) तत्काल और निर्णायक कार्रवाई कर रहा है। कोल्लम-कदंबट्टुकोणम परियोजना के अंतर्गत हुई यह घटना, वाहनों के लिए बने अंडरपास के 9.4 मीटर ऊंचे प्रबलित मृदा दीवार के निर्माण में हुई। प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि इसका कारण गहरी जड़ित अपरूपण/भार वहन क्षमता में कमी है, जिसका अर्थ है कि नींव की मिट्टी भराव का भार वहन करने में बहुत कमजोर थी।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और सख्त कार्रवाई की है। रियायतकर्ता और उसके प्रमोटरों (मेसर्स शिवालया) तथा स्वतंत्र अभियंता (मेसर्स फीडबैक - सत्रा संयुक्त उद्यम) को भविष्य की परियोजनाओं के लिए बोली लगाने से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। उन्हें संभावित प्रतिबंध (रियायतकर्ता के लिए 3 वर्ष तक और स्वतंत्र अभियंता के लिए 2 वर्ष तक) के साथ-साथ आर्थिक दंड के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं। रियायतकर्ता के परियोजना प्रबंधक और स्वतंत्र अभियंता के रेजिडेंट इंजीनियर को परियोजना स्थल से तत्काल हटा दिया गया है।
यद्यपि प्रबलित मृदा दीवारों की तकनीक सुदृढ़ है, फिर भी विफलताओं से एनएच-66 के किनारे इन संरचनाओं/आरएस दीवारों के डिजाइन और निर्माण में प्रयुक्त मिट्टी की भार वहन क्षमता और गुणवत्ता के बारे में गंभीर चिंताएं उत्पन्न होती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एक व्यापक, बहुआयामी पहल शुरू कर रहा है:
- विशेषज्ञ मूल्यांकन:
मायलाक्कडु घटना के बाद डॉ. जिमी थॉमस (आईआईटी-कानपुर) और डॉ. टी.के. सुधीश (आईआईटी-पलक्कड़) सहित एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने 6 दिसंबर, 2025 को घटनास्थल का दौरा किया ताकि विफलता के कारणों की जांच की जा सके और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दिया जा सके। कूरियाड घटना के बाद गठित पिछली विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों पर पहले से ही कार्रवाई की जा रही है।
2. एनएच-66 पर गहन मृदा परीक्षण:
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने केरल में एनएच-66 पर स्थित 18 परियोजनाओं में 378 संरचनाओं/आरएस दीवारों के स्थानों पर कठोर मृदा नमूनाकरण और परीक्षण करने के लिए 18 भू-तकनीकी एजेंसियों को नियुक्त किया है। इसमें वे स्थल शामिल हैं जो पहले से निर्मित हैं, निर्माणाधीन हैं और अभी शुरू होने वाले हैं। एजेंसियां 7-10 दिनों के भीतर कई रिग तैनात करेंगी और उनका लक्ष्य एक महीने के अंदर 100 स्थानों पर और शेष स्थानों पर तीन महीने के अंदर परीक्षण पूरा करना है।
3. डिजाइन समीक्षा और सुधारात्मक कार्रवाई:
इन व्यापक फील्ड और लैब रिपोर्टों के आधार पर, प्रत्येक प्रबलित मृदा दीवार के डिज़ाइन और निर्माण की पुनः जांच की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर, दीवारों को तोड़कर दोबारा बनाने सहित सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रबलित मृदा दीवार को तभी स्वीकार किया जाएगा जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और गुणवत्ता की पुष्टि हो जाएगी। इस समीक्षा के दौरान पाई गई सभी कमियों के लिए जवाबदेही तय की जाएगी।
4. सुरक्षा ऑडिट का दायरा बढ़ाया गया:
नवंबर में अरूर-थुरवूर एलिवेटेड रोड परियोजना पर गर्डर गिरने की एक अलग घटना के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने उस परियोजना पर सुरक्षा ऑडिट करने के लिए आरआईटीईईएस को नियुक्त किया है। अब इन सुरक्षा ऑडिटों का दायरा एनएच-66 पर अन्य परियोजनाओं तक बढ़ाया जाएगा ताकि किसी भी संभावित सुरक्षा संबंधी चिंताओं की पहचान और उनका निवारण किया जा सके।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जनता के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है और आश्वासन देता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 66 कॉरिडोर की दीर्घकालिक अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।
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पीके/केसी/एचएन/केके
(रिलीज़ आईडी: 2202172)
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