रेल मंत्रालय
भारतीय रेल ने 812 मेगावाट सौर ऊर्जा और 93 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं को चालू करके प्रचालन क्षमता बढ़ाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को गति दी; 1,600 मेगावाट की चौबीसों घंटे चलने वाली हाइब्रिड बिजली परियोजना के लिए भी समझौता किया
भारतीय रेल ने 2030 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया, सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से बिजली आवश्यकताओं की पूर्ति जारी
ब्रॉड गेज नेटवर्क का 99.2 प्रतिशत हिस्सा पहले ही विद्युतीकृत; 2014 से अब तक रूट विद्युतीकरण दोगुने से भी अधिक हुआ जो छह दशकों में 21,801 किमी से बढ़कर 2014-25 के बीच 46,900 किमी तक पहुंचा
प्रविष्टि तिथि:
11 DEC 2025 3:09PM by PIB Delhi
भारतीय रेल सुरक्षा, समयबद्धता, विश्वसनीयता और यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकीयों के अंगीकरण के साथ अपनी अवसंरचना और रेलगाड़ियों का निरंतर उन्नयन कर रहा है। ये उन्नयन प्रणाली के आधुनिकीकरण और यात्रियों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए किए जा रहे समन्वित प्रयासों को दर्शाते हैं।
आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने और रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण के साथ, कोयला आधारित इंजनों और डीजल इंजनों के उपयोग में कमी आई है।
भारतीय रेल में रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण का कार्य मिशन मोड में शुरू किया गया है। अब तक, ब्रॉड गेज नेटवर्क का लगभग 99.2 प्रतिशत विद्युतीकृत हो चुका है। शेष नेटवर्क के विद्युतीकरण का कार्य जारी है। 2014-25 के दौरान और 2014 से पहले किए गए विद्युतीकरण का विवरण इस प्रकार है:
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अवधि
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मार्ग किमी
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2014 से पहले (लगभग 60 वर्ष)
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21,801
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2014-25
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46,900
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भारतीय रेल अत्याधुनिक तीन-चरण आईजीबीटी प्रौद्योगिकी आधारित लोकोमोटिव का विनिर्माण और कमीशनिंग कर रही है। इन लोकोमोटिव में रिजेनेरेटिव विशेषताएं हैं जिसके कारण ये ब्रेकिंग के दौरान खपत होने वाली ऊर्जा के एक हिस्से को पुनः उत्पन्न करने में सक्षम हैं और इस प्रकार अधिक ऊर्जा कुशल हैं।
कोयले से चलने वाले इन भाप इंजनों का उपयोग यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त पर्वतीय रेलमार्गों, मौसमी भाप से चलने वाली ट्रेनों और आईसीआरटीसी के सहयोग से किराए पर ली गई रेलगाड़ियों में किया जा रहा है। इनका उपयोग विरासत महत्व वाले रेलवे मार्गों पर किया जाता है।
भारतीय रेल ने कार्यनीतिक विद्युत खरीद योजना के आधार पर सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के संयोजन से कर्षण (ट्रैक्शन) प्रयोजन के लिए अपनी विद्युत शक्ति की आवश्यकता प्रगतिशील तरीके से पूरी करने की योजना बनाई है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
नवंबर 2025 तक, लगभग 812 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र और लगभग 93 मेगावाट के पवन ऊर्जा संयंत्र कमीशन हो चुके हैं, जो भारतीय ऊर्जा क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से चौबीसों घंटे (आरटीसी) मोड के तहत प्राप्त 100 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का प्रवाह भी ट्रैक्शन प्रयोजन के लिए आरंभ हो चुका है।
इसके अतिरिक्त, ट्रैक्शन पावर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरटीसी मोड के तहत 1,500 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को भी शामिल किया गया है। यह सौर, पवन और भंडारण घटकों से युक्त एक हाइब्रिड समाधान है।
वर्ष 2023-24 के दौरान, भारतीय रेल पर कर्षण का व्यय 29,614 करोड़ रुपये था, जिसमें सभी प्रकार के कर्षण शामिल थे।
भारतीय रेल ने अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुसार, पायलट आधार पर अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना आरंभ की है, जिसका उद्देश्य रेलवे में हाइड्रोजन संचालित ट्रेन प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रदर्शित करना है। यह परियोजना वैकल्पिक ऊर्जा से चलने वाली ट्रेनों में उन्नति के प्रति भारतीय रेल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिससे देश के परिवहन क्षेत्र के लिए एक स्वच्छ और हरित भविष्य सुनिश्चित होता है।
2030 तक नेट जीरो कार्बन एमिटर का लक्ष्य अर्जित करने की अपनी रणनीति के तहत, भारतीय रेल ने कार्यनीतिक बिजली खरीद योजना के आधार पर सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के संयोजन से अपनी बिजली की आवश्यकता को धीरे-धीरे पूरा करने की योजना बनाई है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एसकेजे/एसके
(रिलीज़ आईडी: 2202332)
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