पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
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‘एचईएलपी’ सुधारों से भारत के अपस्ट्रीम क्षेत्र का आधुनिकीकरण हुआ

प्रविष्टि तिथि: 11 DEC 2025 6:58PM by PIB Delhi

तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 (ओआरडी अधिनियम) वर्ष 2025 में अधिनियमित होकर लागू हुआ। संशोधित ओआरडी अधिनियम का उद्देश्य निवेशकों के अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना है ताकि व्यापार करने में सुगमता (ईओडीबी) बढ़े। तदनुसार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियमों में संशोधित ओआरडी अधिनियम के प्रावधान दिखते हैं।

 

सरकार ने तेल और गैस क्षेत्र के अपस्ट्रीम क्षेत्र में ईओडीबी को प्रभावित करने वाले मुद्दों का आकलन और समाधान करने के लिए प्रमुख अन्वेषण एवं उत्पादन (ई एंड पी) संचालकों और सरकार के प्रतिनिधियों से युक्त एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया था। इसके फलस्वरूप, सरकार ने कई सुधारों को मंजूरी दी, जिसमें अन्य बातों के अलावा अनुबंध क्षेत्र के भीतर और बाहर वितरण बिंदु, अनुबंध के तहत मौजूदा पी.आई. धारकों के बीच सहभागिता हित (पीआई) का हस्तांतरण और डीएसएफ अनुबंधों में क्षेत्र हस्तांतरण प्रक्रिया आदि शामिल हैं।

 

सरकार ने वर्ष 2016 में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी-हेल्प) शुरू की। इस नीति के तहत, ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) शुरू की गई।
9 बोली दौरों के तहत 3,78,652 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले कुल 172 अन्वेषण ब्लॉक सफल बोलीदाताओं को आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, ओएएलपी दसवां बोली दौर शुरू किया गया जिसमें
1,91,986.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले 25 अन्वेषण ब्लॉक शामिल हैं। एचईएलपी व्यवस्था के तहत एक ही ओएएलपी बोली दौर में प्रस्तावित क्षेत्र के मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा बोली दौर है।

 

एचईएलपी व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

 

  1. रॉयल्टी दरों में कमी,
  2. तेल पर कोई कर नहीं,
  3. एकसमान लाइसेंसिंग प्रणाली,
  4. राजस्व साझाकरण मॉडल,
  5. अनुबंध की पूरी अवधि के लिए सभी संरक्षित क्षेत्रों पर अन्वेषण अधिकार।
  6. प्रारंभिक वाणिज्यिक उत्पादन की स्थिति में रियायती रॉयल्टी दरें,
  7. श्रेणी-II और III बेसिन में आने वाले ब्लॉकों में राजस्व हिस्सेदारी आधारित बोली नहीं होगी, सिवाय वाइंड फॉल लाभ आदि के मामलों में।
  8. श्रेणी II और III बेसिन में आने वाले ब्लॉकों के लिए विस्तारित और चरणबद्ध अन्वेषण, केवल 2डी और 3डी भूकंपीय सर्वेक्षणों के लिए बोली लगाना और अन्य सर्वेक्षणों के साथ सीडब्ल्यूपी का आदान-प्रदान करना प्रमुख अतिरिक्त विशेषताएं हैं।
  9. श्रेणी-II और श्रेणी-III बेसिनों के लिए प्रवर्तक प्रोत्साहन बढ़ाकर 10 अंक कर दिया गया है।

 

घरेलू स्तर पर जलकार्बन संसाधनों की खोज और उत्पादन बढ़ाने के उपायों में शोधन क्षमता का विस्तार करना और तेल एवं गैस के आयात पर निर्भरता कम करना शामिल है, जिनमें अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित उपाय भी शामिल हैं:

 

  1. हाइड्रोकार्बन खोजों के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) व्यवस्था के तहत छूट, विस्तार और स्पष्टीकरण के लिए नीति, 2014;
  2. स्मॉल फील्ड पॉलिसी, 2015;
  3. हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी), 2016;
  4. पीएससी के विस्तार के लिए नीति, 2016 और 2017;
  5. कोल बेड मीथेन (सीबीएम) के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए नीति, 2017;
  6. तेल/गैस की उन्नत पुनर्प्राप्ति विधियों को बढ़ावा देने/प्रोत्साहित करने की नीति, 2018;
  7. मौजूदा अनुबंधों और नामित क्षेत्रों के अंतर्गत सीबीएम, शेल तेल और गैस आदि सहित अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और दोहन के लिए नीतिगत ढांचा, 2018;
  8. 2022 में अपतटीय क्षेत्र में लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर (एसकेएम) के "नो-गो" क्षेत्र को मुक्त किया गया, जो दशकों से अन्वेषण के लिए अवरुद्ध था।
  9. तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम, 2025;

 

एचईएलपी व्यवस्था के तहत प्रस्तावित नीतिगत सुधार और प्रोत्साहन घरेलू उत्पादन को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए ईंधन और तेल उद्योग की क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में योगदान मिलता है।

यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज लोकसभा में लिखित जवाब में दी।

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पीके/केसी/एके/एम


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