जनजातीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने भारत की विविध जनजातीय भाषाई धरोहर का सम्मान करते हुए भारतीय भाषा उत्सव 2025 का आयोजन किया


गुजरात, ओडिशा और झारखंड के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों ने जनजातीय भाषा प्रारंभिक पाठ्यक्रम, कविताएँ, पुस्तकें और शब्दकोश प्रदर्शित किए, आईआईटी दिल्ली की टीम ने भारतीय भाषा उत्सव 2025 में आदिवाणी ऐप का लाइव प्रदर्शन किया

प्रविष्टि तिथि: 11 DEC 2025 7:09PM by PIB Delhi

शिक्षा मंत्रालय ने आज महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय बाल भवन, नई दिल्ली में भारतीय भाषा उत्सव 2025 का आयोजन किया तथा "अनेक भाषाएँ, एक भावना" विषय के तहत भारत की समृद्ध भाषाई विविधता का उत्सव मनाया। जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे भारत की जनजातीय भाषाओं की गंभीरता, जीवंतता और सांस्कृतिक महत्व उजागर हुआ।

 

प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने झारखंड, ओडिशा और गुजरात के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) के जनजातीय भाषा प्रकाशनों को दिखाने के लिए एक विशेष स्टॉल स्थापित किया। इस प्रदर्शनी में शब्दकोश, प्रारंभिक पाठ्यपुस्तकें, कहानी की किताबें और शोध दस्तावेज शामिल थे, जिन्हें इन राज्यों के जनजातीय समुदायों की अनूठी भाषाई पहचान और मौखिक परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया था।

 

जनजातीय कार्य मंत्रालय स्टॉल पर एक प्रमुख आकर्षण आईआईटी दिल्ली की टीम द्वारा 'आदि वाणी' ऐप का लाइव प्रदर्शन था, जो भारत का पहला एआई-संचालित जनजातीय भाषा अनुवादक है। आदि वाणी, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित पहल है, जिसे इस उद्देश्य से तैयार किया गया है कि भारत की जनजातीय भाषाएँ न केवल जीवित रहें, बल्कि विकसित हों। यह हिंदी/अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय में लिखित और वाक् अनुवाद की सुविधा प्रदान करता है, शुरुआती शिक्षार्थियों और छात्रों के लिए आपसी संवाद आधारित शिक्षण उपकरण प्रदान करता है, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थानीय ज्ञान, लोककथाओं और सांस्कृतिक धरोहर को डिजिटल रूप से संरक्षित करता है। यह पहल डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य देखभाल और सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़े राष्ट्रीय प्रयासों के साथ भी सहयोग करती है, ताकि इसकी पहुँच और प्रभाव को बढ़ाया जा सके। अपने पहले चरण में, आदि वाणी संतालि और कुई (ओडिशा), भिली (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड), गोंडी (छत्तीसगढ़) और गारो (मेघालय) का समर्थन करता है, और भविष्य में इसका विस्तार क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और समुदाय की प्रतिक्रिया के आधार पर किया जाएगा। इस प्रदर्शन ने आगंतुकों को मोहित कर दिया और यह दिखाया कि प्रौद्योगिकी जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और प्रचार में कैसे परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है, जिससे उन्हें वास्तविक समय पर अनुवाद के माध्यम से व्यापक उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ बनाया जा सकता है।

 

इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्कूलों ने जीवंत सांस्कृतिक प्रस्तुत किये। ईएमआरएस कलसी (उत्तराखंड) के छात्रों ने एनईएसटीएस के अंतर्गत एक रंगारंग नृत्य और प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जो जनजातीय युवाओं की सांस्कृतिक भावना और सामाजिक जागरूकता को दर्शाता है।

 

एकता की भावना प्रदर्शित करते हुए, छात्रों ने 22 भारतीय भाषाओं में "वन्दे मातरम्" प्रस्तुत किया, जो राष्ट्र को एक साथ बाँधने वाली भाषाई विविधता का प्रतीक है। भारतीय भाषा उत्सव 2025 ने संस्थानों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को एक साझा मंच प्रदान किया, ताकि भारत की बहुभाषी विरासत का जश्न मनाने और उसे मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया जा सके। जनजातीय कार्य मंत्रालय की भागीदारी से और स्पष्ट हुआ कि जनजातीय भाषाएँ, भारत की भाषाई और सांस्कृतिक संरचना का अभिन्न हिस्सा हैं।   

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पीके / केसी / जेके


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