मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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लक्षद्वीप द्वीपसमूह के मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर निवेशकों की बैठक


मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रगति, विकसित भारत 2047 की एक महत्वपूर्ण कड़ी

प्रविष्टि तिथि: 12 DEC 2025 1:50PM by PIB Delhi

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं दुधारू पालन मंत्रालय के अधीन मत्स्य विभाग, लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के सहयोग से, लक्षद्वीप द्वीपसमूह के मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर एक निवेशक सम्मेलन का आयोजन बंगाराम द्वीप, लक्षद्वीप में 13 दिसम्‍बर, 2025 को कर रहा है। इस सम्मेलन में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं दुधारू पालन मंत्रालय एवं पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं दुधारू पालन मंत्रालय एवं पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं दुधारू पालन मंत्रालय एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन, लक्षद्वीप के प्रशासक श्री प्रफुल पटेल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

यह आयोजन निवेशकों को लक्षद्वीप द्वीपसमूह में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के विकास की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा। एक विशेष संवादात्मक सत्र निवेशकों को अपने अनुभव साझा करने और चुनौतियों को उजागर करने में सक्षम बनाएगा, जिससे द्वीपों के लिए आवश्यक लक्षित नीतिगत क्रियाकलापों को सुगम बनाया जा सकेगा।

इस कार्यक्रम में मत्स्य विभाग, एनएफडीबी, एमपीईडीए, ईआईसी, सीएमएफआरआई, सीआईएफटी, सीआईएफनेट, एनसीडीसी, एनसीईएल, एफएसआई, लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और स्थानीय मछुआरा समितियों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग लेंगे। देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 35 प्रमुख निवेशकों के भाग लेने की उम्मीद है, जिनमें ट्यूना, समुद्री शैवाल, गहरे समुद्र में मछली पकड़ना, अपशिष्ट प्रबंधन और सजावटी मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी उद्यमी शामिल हैं।

लक्षद्वीप द्वीपसमूह मत्स्य पालन और जलीय कृषि में जिम्मेदार निवेश के लिए अपार संभावनाएं प्रस्तुत करता है, जहां ट्यूना मछली का सबसे बड़ा हिस्सा (75 प्रतिशत) है, 4200 वर्ग किलोमीटर का लैगून क्षेत्र है और सजावटी मछलियों की समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है। यह क्षेत्र गहरे समुद्र में ट्यूना मछली पकड़ने, ट्यूना प्रसंस्करण और कोल्ड-चेन सुविधाएं स्थापित करने, समुद्री शैवाल की खेती, अपतटीय समुद्री कृषि फार्म और सजावटी मछली उत्पादन इकाइयों के लिए अवसर प्रदान करता है। ये उद्यम पर्यावरण-अनुकूल ट्यूना, उच्च मूल्य वाले समुद्री शैवाल के बीज और उत्पादों, और टिकाऊ रूप से प्राप्त एक्वेरियम प्रजातियों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा कर सकते हैं। इन क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश से काफी लाभ मिलने की उम्मीद है, साथ ही स्थानीय आजीविका में सुधार होगा और एक मजबूत नीली अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान मिलेगा। सरकार जल क्षेत्र पट्टे पर देने, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के समर्थन और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास कर रही है। यह निवेशक सम्मेलन प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत परिकल्पित 1 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के लक्ष्य के अनुरूप है।

संबंधित मंत्रालयों, एजेंसियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और स्थानीय मछुआरा समितियों आदि के प्रतिनिधियों के साथ निवेशकों का यह संवादात्मक सत्र, समग्र सरकारी दृष्टिकोण के माध्यम से मत्स्य पालन और जलीय कृषि के लिए एकीकृत योजना को गति प्रदान करेगा। यह निवेशक सम्मेलन लक्षद्वीप की मत्स्य पालन क्षमता को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे केंद्र शासित प्रदेश को सतत विकास की ओर अग्रसर करने और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में योगदान देने की परिकल्पना की गई है।

निवेश के अवसर

लक्षद्वीप का स्वच्छ समुद्री वातावरण उच्च मूल्य वाले व्यापार में तिहरा लाभ प्रदान करता है। पहला, यहां की पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल ट्यूना मछली पकड़ने की विधियां एक विशिष्ट, प्रीमियम बाजार की नींव रखती हैं, जिसमें मछली पकड़ने से लेकर खाने की थाली तक की पूरी प्रक्रिया को शामिल किया जा सकता है। दूसरा, एटोल द्वीपों के विशाल लैगून, जो असाधारण रूप से स्वच्छ जल से भरे हैं, उच्च श्रेणी के समुद्री शैवाल की खेती और श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन के लिए आदर्श स्थान हैं। तीसरा, इन समृद्ध लैगूनों में विभिन्न प्रकार के सजावटी मत्स्य संसाधन भी पाए जाते हैं। इष्टतम जल गुणवत्ता, उपलब्ध कार्यबल और लागत प्रभावी बीज उत्पादन के साथ, लक्षद्वीप एक समृद्ध सजावटी मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए अद्वितीय रूप से उपयुक्त है।

पृष्ठभूमि

मत्स्य पालन क्षेत्र को एक 'उभरता हुआ क्षेत्र' माना जाता है। देश में 3 करोड़ से अधिक लोगों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले और कमजोर मछुआरों और मछली पालकों की आजीविका को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में 8 प्रतिशत का योगदान देता है, और वैश्विक स्तर पर मत्स्य पालन उत्पादन में भी दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2015 में लक्षित क्रियाकलापों की शुरुआत के बाद से, भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत 38,572 करोड़ रुपये के कुल निवेश को मंजूरी दी है या घोषित किया है। परिणामस्वरूप, कुल मछली उत्पादन बढ़कर 197 लाख टन हो गया है। इस क्षेत्र में 8.74 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर देखी जा रही है। समुद्री खाद्य निर्यात से प्राप्त मूल्य भी बढ़कर 62,400 करोड़ रुपये हो गया है और मत्स्य विभाग का लक्ष्य 2030 तक भारत के कुल समुद्री खाद्य निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना है, जिसमें 30 प्रतिशत मूल्यवर्धित उत्पाद शामिल होंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट घोषणा (2025) के एक महत्वपूर्ण खंड में कहा गया था कि: भारत मत्स्य उत्पादन और मत्स्यपालन में विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है। समुद्री खाद्य पदार्थों का निर्यात 60 हजार करोड़ रुपये का है। समुद्री क्षेत्र की अपार संभावनाओं को उजागर करने के लिए, हमारी सरकार भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र और खुले समुद्रों से मत्स्य पालन के सतत दोहन के लिए एक अनुकूल ढांचा तैयार करेगी, जिसमें अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह निवेशक सम्मेलन लक्षद्वीप द्वीपों में निवेशकों के लिए मूल्यवान अवसर प्रस्तुत करता है।

भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने लक्षद्वीप के लिए 19.20 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत से 16 गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों के बेड़े को मंजूरी दी है। कई प्रकार के गियर (पोल-एंड-लाइन, लॉन्गलाइन और ट्रोल लाइन) से सुसज्जित, साथ ही ऑनबोर्ड चिल्ड/फ्रोजन स्टोरेज और उन्नत नेविगेशनल सुविधाओं से युक्त ये जहाज, ईआईएस (विशेष आर्थिक क्षेत्र) में टूना और टूना जैसी मछलियों के लिए लंबे समय तक मछली पकड़ने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इस पहल से लक्षद्वीप की पारंपरिक निर्वाह ट्यूना मछली पकड़ने की प्रणाली एक संगठित, बड़े पैमाने पर, निर्यात-उन्मुख उद्यम में परिवर्तित हो जाएगी।

मत्स्य पालन विभाग मत्स्य पालन और जलीय कृषि में वृद्धि लाने के लिए संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाने के प्रयासों को तेज कर रहा है। इन्हीं प्रयासों के अनुरूप, मत्स्य पालन विभाग ने सितंबर 2024 में लक्षद्वीप को एक समर्पित समुद्री शैवाल क्लस्टर के विकास के लिए अधिसूचित किया है। इसके अलावा, लगभग 300 प्रजातियों वाले सजावटी मत्स्य पालन में प्रजनन और उत्पादन इकाइयों की स्थापना की संभावनाएं हैं, जो सतत रूप से प्राप्त एक्वेरियम प्रजातियों की वैश्विक मांग के अनुरूप हैं।

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पीके/केसी/एसकेएस/एसएस


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