महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है


ऑनलाइन सुरक्षा और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई पहल की गई हैं

प्रविष्टि तिथि: 12 DEC 2025 4:38PM by PIB Delhi

सरकार बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इस संबंध में कई उपाय किए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचित किया है कि उसने उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और संरक्षण को मजबूत करने के लिए कई पहलें की हैं, यह मानते हुए कि डिजिटल उपकरण और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, शिक्षा, संचार और मनोरंजन के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ, हानिकारक सामग्री के संपर्क में आने, साइबर बुलिंग और गोपनीयता उल्लंघन आदि जैसे जोखिमों का कारण भी बन सकते हैं। इनमें शामिल हैं :

 

i. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (“मध्यस्थ नियम, 2021”) मध्यस्थों को गैर कानूनी और हानिकारक सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने, समयबद्ध शिकायत निवारण तंत्र बनाए रखने, ऐसी जानकारी को समयबद्ध तरीके से हटाने या डिलीट करने को सुनिश्चित करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सूचना और सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य करते हैं। गैर कानूनी जानकारी में ऐसी कोई भी जानकारी शामिल है जो अन्य बातों के अलावा, अश्लील, पोर्नोग्राफिक, बाल यौन शोषण से संबंधित, किसी अन्य की निजता का उल्लंघन करने वाली, लिंग के आधार पर अपमानजनक या उत्पीड़न करने वाली, नस्लीय या जातीय रूप से आपत्तिजनक या हिंसा भड़काने के इरादे से धर्म या जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाली या बच्चों के लिए हानिकारक हो।

 

ii. मध्यस्थ नियम, 2021 के तहत सोशल मीडिया सहित सभी मध्यस्थों पर उचित सावधानी बरतने का दायित्व निर्धारित किया गया है। इस दायित्व के अंतर्गत मध्यस्थों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित प्रयास करने होंगे कि उनके उपयोगकर्ता ऐसी कोई भी जानकारी होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, प्रसारित, संग्रहीत, अपडेट या साझा करें जो बच्चों के लिए हानिकारक हो या किसी कानून का उल्लंघन करती हो। मध्यस्थों को किसी भी कानून का उल्लंघन करने वाली जानकारी को न्यायालय के आदेश या संबंधित सरकार या उसकी अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी नोटिस के माध्यम से सूचना मिलने पर, तुरंत हटाना होगा।

 

iii. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 लागू हो चुका है, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान करता है। इसके तहत डेटा फिड्यूशरी को किसी भी बच्चे के व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने से पहले माता-पिता की सत्यापित सहमति प्राप्त करना अनिवार्य है। यह अधिनियम डेटा फिड्यूशरी को बच्चों की ट्रैकिंग या व्यवहार निगरानी करने या बच्चों को लक्षित विज्ञापन देने से भी रोकता है।

 

iv. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है, जो साइबर स्पेस के सुरक्षित और भरोसेमंद उपयोग, ऑनलाइन सुरक्षा और साइबर स्वच्छता पर केंद्रित है।

 

2. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने निम्नलिखित शोध अध्ययन किए हैं/दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं :

 

i. बच्चों द्वारा मोबाइल फोन और इंटरनेट सुविधा वाले अन्य उपकरणों के उपयोग के प्रभाव (शारीरिक, व्यवहारिक और मनो-सामाजिक)” उक्त शोध अध्ययन के निष्कर्ष संबंधित मंत्रालयों, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और महिला एवं बाल विकासमंत्रालय शामिल हैं और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के साथ साझा किए गए। अध्ययन रिपोर्ट यहां उपलब्ध है:

 https://ncpcr.gov.in/uploads/165650458362bc410794e02_effect1.PDF

 

ii. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने वर्ष 2021 में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा पर एनसीपीसीआर के नियमावली मेंसाइबर सुरक्षापर एक अनुभाग शामिल किया है, जो वर्ष 2017-18 में प्रकाशित हुई थी। उक्त नियमावली को आगे प्रसार के लिए शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ भी साझा किया गया था।

 

iii. “ऑनलाइन सुरक्षित रहना” - बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों और आम जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए दिशानिर्देश और मानक सामग्री वर्ष 2017 में जारी की गई थी। आयोग ने इस विषय पर संबंधित हितधारकों के लिए समय-समय पर संवेदीकरण और जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया। दिशानिर्देश यहां उपलब्ध हैं :

 https://ncpcr.gov.in/public/uploads/16613370496305fdd946c31_being-safe-online.pdf

 

iv. आयोग ने विद्यालयों में बदमाशी और साइबर बदमाशी की रोकथाम के लिए भी दिशानिर्देश तैयार किए और वर्ष 2024-25 में इस विषय पर 25 जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए। दिशा-निर्देश यहां उपलब्ध हैं :

 https://ncpcr.gov.in/uploads/1714382687662f675fe278a_preventing-bullying-and-cyberbullying-guidelines-for-schools-2024.pdf

 

v. आयोग ने साइबर सुरक्षा पर सूचना एवं संचार शिक्षा (आईईसी) सामग्री विकसित की है, जो यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

 

vi. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा तदर्थ समिति को सिफारिश - राज्यसभा ने सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री के बढ़ते खतरे और बच्चों तथा समाज पर इसके व्यापक प्रभाव की जांच के लिए एक तदर्थ समिति का गठन किया। आयोग ने इंटरनेट/वेब पेजों पर अश्लील साइटों के प्रसार के मामले में उचित जांच करने के बाद, जिसमें बच्चों के लिए ऑनलाइन पीछा करना, उत्पीड़न, यौन शोषण आदि जैसे संबंधित जोखिमों की जानकारी भी शामिल थी, तदर्थ समिति को अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

 

vii. अश्लील सामग्री के कारण नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराधों पर बैठक : अश्लील सामग्री के संपर्क में आने से कथित तौर पर प्रभावित होकर नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराधों के बढ़ते मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एनसीपीसीआर कार्यालय में 05.08.2024 को एक बैठक आयोजित की गई। इसमें गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी), विधि एवं न्याय मंत्रालय (विधायी विभाग), दूरसंचार विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

 

viii. बाल अधिकारों पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ बैठक : बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार- विमर्श करने के लिए 13.08.2024 को एनसीपीसीआर कार्यालय में मेटा, गूगल, यूट्यूब, स्नैपचैट, शेयरचैट, रेडिट, बम्बल आदि सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई।

 

3. शिक्षा मंत्रालय ने 14 जुलाई, 2020 को प्रज्ञाता दिशानिर्देश जारी किए, जिनका उद्देश्य आयु- उपयुक्त स्क्रीन समय सीमा की अनुशंसा करके छात्रों की सुरक्षा और शैक्षणिक कल्याण सुनिश्चित करना है। ये दिशानिर्देश बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी में माता-पिता की भागीदारी के महत्व पर भी बल देते हैं। इंटरनेट के उपयोग के बारे में खुलकर विमर्श को बढ़ावा देते हैं और ऑनलाइन गतिविधियों को ऑफलाइन खेल और शारीरिक व्यायाम के साथ संतुलित करने की बात करते हैं।

 

4. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने विशेषकर महामारी के बाद के दौर में, अत्यधिक डिजिटल गतिविधियों के शारीरिक, मानसिक, शैक्षणिक और सामाजिक प्रभावों को कम करने के लिए कई सक्रिय पहल की हैं। इनमें स्क्रीन टाइम को कम करते हुए संरचित और सुरक्षित डिजिटल शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रज्ञाता दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन और छात्रों में स्वस्थ ऑनलाइन आदतों को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक साइबर सुरक्षा पुस्तिका का प्रकाशन शामिल है। सीबीएसई ने उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सीडैक) के सहयोग से नियमित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं, जिनमें साइबर स्वास्थ्य और संतुलित स्क्रीन उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जागरूकता बढ़ाने के लिए, विद्यालयों को साइबर जागरूकता दिवस मनाने और साइबर क्लब स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो छात्रों को विवेक सम्मत प्रौद्योगिकी उपयोग को बढ़ावा देने वाली चिंतनशील गतिविधियों में शामिल करते हैं। इसके अतिरिक्त, उचित ऑनलाइन व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल शिष्टाचार दिशानिर्देश पेश किए गए हैं और सामाजिक संपर्क और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के माध्यम से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष जोर दिया गया है।

 

 

5. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने "कोविड-19 के समय में सुरक्षित ऑनलाइन शिक्षा" विषय पर एक पुस्तिका जारी की है। यह पुस्तिका यहाँ उपलब्ध है।

 https://ncert.nic.in/pdf/announcement/Safetolearn_English.pdf

 

6. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त पहल स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम, स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देकर उनकी वृद्धि, विकास और शैक्षिक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करता है। प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षकों को 'स्वास्थ्य एवं कल्याण राजदूत' के रूप में चुना और प्रशिक्षित किया जाता है। ये शिक्षक बच्चों की आयु के अनुरूप, सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील, गतिविधि-आधारित कक्षा सत्र प्रति सप्ताह एक घंटे तक संचालित करते हैं ताकि आनंददायक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। चयनित 11 विषयों में से इंटरनेट, गैजेट्स और मीडिया का सुरक्षित उपयोग एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे छात्रों को मीडिया और इंटरनेट का प्रभावी और सुरक्षित रूप से उपयोग करने के लिए ज्ञान और कौशल विकसित करने के उद्देश्य से शामिल किया गया है।

 

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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पीके/ केसी/ जेएस


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