पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
दिल्ली-एनसीआर के लिए आगामी समीक्षा बैठकों की श्रृंखला के हिस्से के रूप में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गाजियाबाद और नोएडा की वायु प्रदूषण कार्य योजनाओं की उच्च-स्तरीय समीक्षा की अध्यक्षता की
श्री भूपेंद्र यादव ने वायु गुणवत्ता नियंत्रण कार्य योजनाओं के जमीनी स्तर पर कड़ाई से कार्यान्वयन का आह्वान किया और अनुपालन न करने पर शून्य सहनशीलता का निर्देश दिया
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के विरूद्ध लड़ाई जीतने की कुंजी के रूप में जन भागीदारी पर जोर दिया गया
प्रविष्टि तिथि:
15 DEC 2025 3:59PM by PIB Delhi
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने गाजियाबाद और नोएडा में वायु प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से बनाई गई कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। एनसीआर में शहर-विशिष्ट कार्य योजनाओं पर समीक्षा बैठकों की श्रृंखला के हिस्से के रूप में यह पहली समीक्षा थी, जिसका समापन आने वाले दिनों में राज्य-स्तरीय समीक्षा के साथ होगा। यह समीक्षा निर्धारित प्रारूप में की जा रही है, जैसा कि भूपेंद्र यादव ने 3 दिसंबर, 2025 को हुई पिछली समीक्षा बैठक में कहा था ताकि प्रगति का आकलन किया जा सके और जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को बेहतर किया जा सके।

दोनों शहरों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई पर विस्तृत प्रस्तुतियां दी गईं। कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा निम्नलिखित प्रमुख मापदंडों के आधार पर की गई:
- वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए स्मार्ट यातायात प्रबंधन प्रणालियों को अपनाना;
- औद्योगिक इकाइयों द्वारा निर्धारित प्रदूषण मानकों का अनुपालन;
- वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्थिति और चार्जिंग बुनियादी ढांचे की उपलब्धता;
- संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और पार्किंग सुविधाओं को सुदृढ़ करना;
- निर्माण एवं विध्वंस (सी एंड डी) अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू)/पुराने अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए ढांचागत संवर्धन;
- धूल को कम करने के लिए सड़कों का पूर्णतः पक्कीकरण/टाइलिंग करना;
- यांत्रिक सड़क सफाई मशीनों (एमआरएसएम) की तैनाती और एंटी-स्मॉग गन/वॉटर स्प्रिंकलर के उपयोग की स्थिति;
- पगडंडियों और खुले क्षेत्रों को हरा-भरा करना;
- जन भागीदारी पहल जिसमें सूचना एवं संचार (आईईसी) गतिविधियां और ऐप आधारित शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं।

मंत्री महोदय ने शेष औद्योगिक इकाइयों में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) की स्थापना के संबंध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से अद्यतन जानकारी प्राप्त की। उन्होंने स्थापना के लिए किए जा रहे निरीक्षण और सहायता की स्थिति का भी जायजा लिया। उन्होंने ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली की स्थापना के लिए 31 दिसंबर, 2025 की समय सीमा का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया और अनुपालन न करने वाली इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शहरी क्षेत्रों के आसपास के प्रदूषण फैलाने वाले और नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों का निरीक्षण करने और आवश्यक सुधारात्मक उपाय करने का भी निर्देश दिया गया।
श्री यादव ने दिल्ली-एनसीआर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से अनुरोध किया कि वे शहर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उपयोग किए जाने वाले मापदंडों को और बेहतर बनाएं और आगामी दिनों में दिल्ली-एनसीआर की समग्र प्रगति की समीक्षा के लिए उन्हें संकलित करें। उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों को धन का तर्कसंगत आवंटन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के मापदंडों को उन्नत करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री भूपेंद्र यादव ने कार्य योजनाओं और हरित गतिविधियों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन में जन प्रतिनिधियों और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर भी बल दिया ताकि प्रदूषण नियंत्रण एक सच्चा जनभागीदारी आंदोलन बन सके।
विशिष्ट सुझाव देते हुए, श्री भूपेंद्र यादव ने नगर निगम अधिकारियों को हरियाली बढ़ाने के प्रयासों के अंतर्गत गर्मी प्रतिरोधी और कम पानी की आवश्यकता वाली स्वदेशी किस्मों की झाड़ियों और घासों के रोपण हेतु संबंधित वन विभागों के साथ साझेदारी करने की सलाह दी। उन्होंने विभिन्न सरकारी और नगर निगम एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन योजनाएं तैयार करने का भी आह्वान किया ताकि अलग-थलग दृष्टिकोण और संसाधनों के दोहराव से बचा जा सके। शहरी स्वच्छता और बेहतर शहरी नियोजन के लिए शहरी खुले स्थानों के उपयोग हेतु एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का अनुरोध किया गया।

श्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली-एनसीआर में लोकप्रिय मार्गों और प्रमुख यातायात गलियारों की पहचान करने के लिए एक अध्ययन करने का सुझाव दिया, जिसके बाद कम से कम इन प्रमुख मार्गों पर संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नगरपालिका कार्य योजनाएं न केवल वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप होनी चाहिए, बल्कि भविष्य के लिए भी तैयार होनी चाहिए, जिसमें बढ़ते हुए ठोस अपशिष्ट और निर्माण एवं विध्वंस कचरे के प्रसंस्करण के लिए शहरी स्थलों की अग्रिम पहचान शामिल हो।
बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष; सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीएसपीसीबी) के प्रतिनिधि, जिला अधिकारी और नगर आयुक्त (गाजियाबाद) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (नोएडा प्राधिकरण) उपस्थित थे।

पीके/केसी/एचएनएसके
(रिलीज़ आईडी: 2204160)
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