सहकारिता मंत्रालय
सहकार डिजीपे और डिजीलोन प्लेटफॉर्म
प्रविष्टि तिथि:
16 DEC 2025 5:00PM by PIB Delhi
शहरी सहकारी बैंकों के अम्ब्रेला संगठन (UO) के रूप में स्थापित नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NUCFDC) ने दिनांक 10 नवंबर, 2025 को आयोजित सहकार कुंभ के दौरान प्लेटफॉर्म-सहकार डिजीपे (शहरी सहकारी बैंकों के लिए यूपीआई-आधारित डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म) और सहकार डिजीलोन (डिजिटल ऋण सक्षम मंच) की शुरुआत की है। इस प्लेटफॉर्म को आरबीआई द्वारा अनिवार्य किए गए तकनीकी, साइबर-सुरक्षा, ऑनबोर्डिंग और उपभोक्ता संरक्षण मानक प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों (UCB) को, चाहे उनका आकार कुछ भी हो, लागत प्रभावी साझा केंद्रीकृत अवसरंचना पर आधुनिक, अनुपालन डिजिटल भुगतान और ऋण प्रणाली अपनाने में सक्षम बनाना है। प्लेटफॉर्म के विवरण इस प्रकार हैः
- "सहकार डिजीपे- यूपीआई स्विच" का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) को यूपीआई नेटवर्क से जोड़ना है। यह प्रणाली उन्नत धोखाधड़ी रोकथाम और जोखिम नियंत्रण तंत्र से लैस है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान में तेजी लाना और सेवा मूल्य निर्धारण में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।
- "सहकार डिजी लोन" सेवा का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए ऋण प्रक्रिया को सरल, अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाना है, इससे बैंकों को ऋण संवितरण और जोखिम प्रबंधन में अधिक दक्षता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
सहकारी बैंकों में वित्तीय धोखाधड़ी से जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:
- विनियमित संस्थाओं यानी सहकारी बैंक के लिए धोखाधड़ी प्रबंधन पर मास्टर निर्देश 2024 जारी किए गए हैं और इसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग, शासन तंत्र, प्रारंभिक चेतावनी तंत्र के कार्यान्वयन, कर्मचारियों की जवाबदेही, तृतीय पक्षकार की जिम्मेदारी का निर्धारण और बाहरी और आंतरिक संपरीक्षकों की भूमिका शामिल है;
- त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) फ्रेमवर्क में चिह्नित किए गए शहरी सहकारी बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी वित्तीय स्थिति को बहाल करने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए समयबद्ध तरीके से उपचारात्मक उपाय शुरू करें और कार्यान्वित करें;
- भारतीय रिजर्व बैंक ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC) के माध्यम से जमा बीमा के रूप में बैंकों (सहकारी बैंकों सहित) के खाताधारकों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा तंत्र लागू किया है I निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC) सहकारी बैंकों सहित बीमित बैंकों में प्रति जमाकर्ता 5,00,000 रुपये तक सभी प्रकार की जमा (मूलधन और ब्याज सहित) सुनिश्चित करता है;
- आरबीआई ने "आरबीआई कहता है" के माध्यम से विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी और उनके तौर-तरीकों जैसे पहलुओं पर जागरूकता सामग्री/उपयोगी जानकारी जारी की है;
नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NUCFDC) के माध्यम से कई पहल की जा रही हैं-जैसे साझा डिजिटल भुगतान प्रणाली, डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म, साइबर सुरक्षा सहायता और केंद्रीकृत क्लाउड अवसरंचना-ताकि सबसे छोटा यूसीबी भी बिना किसी अत्यधिक लागत के आधुनिक विनियामक और ग्राहक आवश्यकताओं को पूरा कर सके। इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, सहकारी बैंकों की संरचना और कार्यप्रणाली को सशक्त करने और उन्हें अन्य वाणिज्यिक बैंकों के समकक्ष लाने के लिए, वित्तीय सेवा विभाग और भारतीय रिज़र्व बैंक की सहायता से कई पहलें की गई हैं। जिनका विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।
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संलग्नक
सहकारी बैंकों की संरचना और कार्यप्रणाली को सशक्त करने और उन्हें अन्य वाणिज्यिक बैंकों के बराबर लाने के लिए वित्तीय सेवा विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक की सहायता से की गई पहलें निम्नलिखित हैं :
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) को अब अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए नई शाखाएं खोलने की अनुमति है।
- सहकारी बैंक अब वाणिज्यिक बैंकों की तरह बकाया ऋणों का एकमुश्त निपटान करने में सक्षम हैं।
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) को दिए गए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय-सीमा दी गई है।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) को अपने ग्राहकों को डोर-स्टेप बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी है।
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के साथ नियमित बातचीत के लिए आरबीआई में एक नोडल अधिकारी नामांकित किया गया है I
- आरबीआई ने ग्रामीण सहकारी बैंकों (RCBs) और शहरी सहकारी बैंकों (UCBs के लिए वैयक्तिक आवासन ऋण सीमा को दोगुना से अधिक कर दिया है।
- RCBs अब वाणिज्यिक रियल एस्टेट - रिहायशी आवासन क्षेत्र को ऋण देने में सक्षम होंगे, जिससे उनके व्यवसाय में विविधता आएगी।
- सहकारी बैंकों को CGTMSE के सदस्य ऋण देने वाले संस्थानों [MLIs] के रूप में शामिल किया गया है।
- सहकारी बैंकों को आधुनिक 'आधार सक्षम भुगतान प्रणाली' (AePS) में शामिल करने के लिए लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की संख्या से जोड़कर कम कर दिया गया है।
- शहरी सहकारी बैंकों के लिए अनुसूचन मानदंडों की अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) लक्ष्यों को पूरा करने वाले UCBs के लिए बुलेट पुनर्भुगतान योजना के तहत स्वर्ण ऋण के लिए मौद्रिक सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 4 लाख कर दिया है।
- शहरी सहकारी बैंक (UCB) क्षेत्र के लिए नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NUCFDC) नामक एक अम्ब्रेला संगठन (UO) की स्थापना की गई है, जो शहरी सहकारी बैंकों को आवश्यक आईटी अवसरंचना और प्रचालन सहायता प्रदान करेगा।
- प्राथमिकता क्षेत्र दिशा-निर्देशों के तहत कृषि सहकारी समितियों (डेयरी) की सीमा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दी गई है I
- ग्रामीण सहकारी बैंकों (RCBs) को प्रौद्योगिकीय सेवाएं प्रदान करने और उन्हें मजबूत करने के लिए, नाबार्ड ने आरबीआई के अनुमोदन से सहकार सारथी (साझा सेवा इकाई) की स्थापना की है।
- शहरी सहकारी संस्थानों को ऋण सीमा में 50% की वृद्धि करके राहत दी गई है, जिसे 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया गया है ताकि सहकारी बैंकों के निदेशक मंडल (BoD) का कार्यकाल संविधान के अनुसार निर्धारित किया जा सके (अधिकतम 10 लगातार वर्ष)।
- ग्रामीण सहकारी बैंकों को आरबीआइ की लोकपाल योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है I
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए PSL लक्ष्य 75 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया हैI
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए दुर्बल वर्ग की 12% उप-सीमा को आसान किया गया है, और महिलाओं के लिए 2 लाख रुपये का लक्ष्य हटा दिया गया है।
- ग्रामीण सहकारी बैंकों (RCBs) को अब स्वचालित मार्ग के माध्यम से (अधिकतम 10) शाखाएँ खोलने की अनुमति दी गई है।
- शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) और ग्रामीण सहकारी बैंकों (RCBs) को आधुनिक बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने के लिए वित्तीय मानदंडों में छूट दी गई है।
- वित्तीय स्थिरता निगरानी (FSWM) मानदंडों के तहत जुर्माना खंड से छूट दी गई है।
यह जानकारी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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AK
(रिलीज़ आईडी: 2204700)
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