श्रम और रोजगार मंत्रालय
कॉन्सेंट द्वारा आयोजित श्रम एवं रोजगार शिखर सम्मेलन-2025 में सोलह केंद्रीय ट्रेड यूनियन चार श्रम संहिताओं के समर्थन में एकजुट हुईं
ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों ने देश भर के श्रमिकों में श्रम संहिता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और गलत सूचनाओं का सक्रिय रूप से मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जताई है
केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के की सरकार की पहलों में श्रमिकों का कल्याण केंद्रीय महत्व रखता है
डॉ. मांडविया ने कहा, कि चार श्रम संहिताएं न्यूनतम मजदूरी, अनिवार्य नियुक्ति पत्र, 40 करोड़ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और महिलाओं के लिए समान अवसर की गारंटी देती हैं
डॉ. मनसुख मांडविया ने ट्रेड यूनियनों से जुड़े श्रमिकों को "श्रम शक्ति सम्मान" से सम्मानित किया।
प्रविष्टि तिथि:
16 DEC 2025 4:56PM by PIB Delhi

आज नई दिल्ली में आयोजित श्रम एवं रोजगार शिखर सम्मेलन-2025 में सोलह केंद्रीय ट्रेड यूनियनें चार श्रम संहिताओं के समर्थन में एकत्रित हुईं और सर्वसम्मति से देश भर के श्रमिकों के बीच श्रम संहिताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके कार्यान्वयन से संबंधित गलत सूचनाओं का खंडन करने का संकल्प लिया। केंद्रीय ट्रेड यूनियन परिसंघ (कॉन्सेंट) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने यह सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला कि श्रम संहिताओं के इच्छित लाभ देश के सभी श्रमिकों तक पहुंचें।

इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार एवं युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने किया। 21 नवंबर को अधिसूचित चार श्रम संहिताओं पर चर्चा हुई, जिसमें देश भर से 200 से अधिक ट्रेड यूनियन नेताओं, ट्रेड यूनियनों से जुड़े श्रमिकों, नियोक्ता संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों और सामाजिक सुरक्षा संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मनसुख मांडविया ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार की पहलों में श्रमिकों का कल्याण हमेशा से ही प्रमुख केंद्र रहा है। उन्होंने श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता देने के लिए श्रम संहिताओं को प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की और संहिताओं के मसौदा तैयार करने में सरकार और ट्रेड यूनियनों के बीच हुए व्यापक संवाद की ओर ध्यान दिलाया, ताकि प्रावधानों को बनाते समय श्रमिकों की चिंताओं को ध्यान में रखा जा सके।
डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “श्रम संहिता सभी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देती है, नियुक्ति पत्र को अनिवार्य बनाती है और 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करती है। यह सभी महिलाओं के लिए समान अधिकार और समान अवसर सुनिश्चित करती है। संहिता यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी नियोक्ता या व्यक्ति कर्मचारियों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकता।”
श्रम संहिताएं श्रमिकों के हितों को बनाए रखने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो अनुकूल वातावरण बनाएंगी, उस पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने ट्रेड यूनियनों को अपने सुझाव साझा करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया और उनसे श्रमिकों को इन संहिताओं की क्षमता के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया, जिससे उनके जीवन में बदलाव आ सकता है।

इस शिखर सम्मेलन में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (एनएफआईटीयू), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी (टीयूसी), एचएमकेपी, बीआरएमजीएसयू, एनएलओ-आईएनटीयूसी, एफएफआर, एआईबीईयू, एनएफएफडब्ल्यूईएससीआई, एचएमकेयू, केएलयू और एफएसयूआई सहित कुल 16 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भाग लिया। डॉ. मनसुख मांडविया ने ट्रेड यूनियनों से जुड़े श्रमिकों को उनके योगदान के सम्मान में "श्रम शक्ति सम्मान" से सम्मानित किया।
एनएफआईटीयू के अध्यक्ष और कॉन्सेंट के संयोजक डॉ. दीपक जायसवाल ने शिखर सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। बीएमएस के अध्यक्ष श्री हिरणमय पंड्या, बीएमएस के महासचिव श्री रविंद्र हेमते, स्कोप के महानिदेशक श्री अतुल सोबती, एलएनसीटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री जैननारायण चौकसे, एसोचैम के प्रतिनिधि श्री मनोज शर्मा और टीयूसीसी के महासचिव श्री एसपी तिवारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
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पीके/केसी/पीएस
(रिलीज़ आईडी: 2204786)
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