सहकारिता मंत्रालय
डेयरी, मत्स्य पालन और कृषि सहकारी आधारित आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन
प्रविष्टि तिथि:
17 DEC 2025 1:05PM by PIB Delhi
ग्रामीण डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त करने के लिए कार्यान्वित की गई योजनाएं निम्नानुसार हैं:
- डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम:
- पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) की राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) के घटक क और ख योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यकलाप ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त बनाने में मदद कर रहे हैं।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) का घटक ख 9 राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य संगठित बाजार तक किसानों की पहुँच बढ़ाकर, डेयरी प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन अवसरंचना को उन्नयन करके और उत्पादकों के स्वामित्व वाले संस्थानों की क्षमता बढ़ाकर दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री बढ़ाना है।
- इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर दुग्ध प्रापण अवसरंचना को सशक्त करने, विपणन और आईसीटी अवसरंचना, के लिए सहयोग, उत्पादकता वृद्धि, प्रतिभागी संस्थानों की दुग्ध प्रसंस्करण और विनिर्माण सुविधाओं को सशक्त बनाने, किसानों, कर्मचारियों, अधिकारियों और दुग्ध संघों के निदेशक मंडल के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- परियोजना का कुल परिव्यय 1568.28 करोड़ रुपये है, जिसमें जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) से ODA ऋण के रूप में 924.56 करोड़ रुपये, भारत सरकार की अनुदान सहायता के रूप में 475.54 करोड़ रुपये और राज्य/सहभागी संस्थान (PI) के योगदान के रूप में 168.18 करोड़ रुपये शामिल हैं।
- श्वेत क्रांति 2.0 :
श्वेत क्रांति 2.0 दिनांक 25 दिसंबर 2024 को सहकारिता मंत्रालय की एक सहकारी-नेतृत्व वाली पहल के रूप में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के समन्वय से शुभारंभ किया गया है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य सहकारी कवरेज का विस्तार करना, रोजगार सृजित करना और डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को सशक्त करना है।
श्वेत क्रांति 2.0 की परिकल्पना वित्तीय वर्ष 2024-25 से वित्तीय वर्ष 2028-29 तक पाँच वर्ष की अवधि में 75,000 नई बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियाँ (M-DCS) स्थापित करने और 46,000 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त करने की है। पाँचवें वर्ष के अंत तक, डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दुग्ध प्रापण 1000 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुँचने का अनुमान है।
यह पहल (श्वेत क्रांति 2.0) मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) के अंतर्गत वित्त पोषित की जा रही है, जिसे श्वेत क्रांति के लक्ष्यों के साथ संरेखित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही हैः
- गाँव स्तर पर दुग्ध प्रापण प्रणाली की स्थापना
- गुणवत्तापूर्ण दुग्ध प्रापण के लिए दुग्ध शीतलन सुविधाएँ
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
इसके अतिरिक्त, देश में डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए निम्नलिखित योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं:
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) और पूर्ववर्ती डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF))
भारत सरकार के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने डेयरी क्षेत्र में अवसरंचना विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्रक योजना "डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF) योजना" को वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 की अवधि के लिए कार्यान्वित किया था, जिसे बाद में पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) में विलय कर दिया गया था। जहाँ डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF) के अंतर्गत 2.5% ब्याज अनुदान था, वहीं पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) में 3% ब्याज अनुदान का प्रावधान है।
- डेयरी कार्यकलापों में लगी हुई डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) का समर्थन – कार्यशील पूंजी ऋण के लिए ब्याज अनुदान (SDCFPO)
डेयरी सहकारी समितियों को तरलता समस्याओं से उबारने में मदद करने के लिए, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में, मौजूदा केंद्रीय क्षेत्रक योजना – "डेयरी कार्यकलापों में लगी हुई डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों का समर्थन (SDC&FPO)" योजना के तहत घटक – ख के रूप में "कार्यशील पूंजी ऋणों पर ब्याज अनुदान का घटक प्रस्तुत किया है।
इस योजना के अंतर्गत, उत्पादक-स्वामित्व वाले संस्थानों (POIs) को कार्यशील पूंजी ऋणों पर 2% प्रति वर्ष का ब्याज अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा, शीघ्र और समय पर पुनर्भुगतान के लिए, पात्र संगठन/उत्पादक-स्वामित्व वाले संस्थान (POIs) जैसे दुग्ध परिसंघों, दुग्ध संघों, किसान स्वामित्व वाले दुग्ध उत्पादक संगठनों को ऋण पुनर्भुगतान/ब्याज सेवा अवधि के अंत में अतिरिक्त 2% प्रति वर्ष ब्याज अनुदान देय है।
मात्स्यिकी और कृषि सहकारी समितियों के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार किया गया है, जिसका विवरण निम्नलिखित है:
(i) वर्तमान में, भारत सरकार मात्स्यिकी क्षेत्र के लिए क्षेत्र-विशिष्ट योजनाएँ लागू कर रही है, जिनके नाम हैं: मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PMMKSSY), इन योजनाओं के अंतर्गत सहकारी समितियाँ पात्र लाभार्थी हैं। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 के दौरान 6,000 नई मात्स्यिकी सहकारी समितियों (FCS) की स्थापना की सुविधा प्रदान कर रहा है, जिसमें प्रत्येक नवगठित मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्थापना, रखरखाव, सदस्यों के लिए प्रशिक्षण 3.00 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। 34 राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों को शामिल करते हुए 3.00 लाख रुपये प्रत्येक के वित्तीय अनुदान से कुल 1,225 नवस्थापित मात्स्यिकी सहकारी समितियों को सहायता प्रदान की गई है।
(ii) राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) सहकारी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करता रहा है। दिनांक 25.11.2025 तक, एनसीडीसी ने देश भर में सहकारी समितियों के विकास के लिए संचयी रूप से 4,67,455.66 करोड़ रुपये संवितरित किए हैं।
(iii) राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (NCCT) और NCDC द्वारा अपनी राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी लिनाक के माध्यम से, कृषि, मत्स्य पालन और संबद्ध सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों से जुड़े व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
भारत सरकार ने अगले पांच वर्षों में देश की सभी पंचायतों और गांवों को कवर करने के उद्देश्य से नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/ मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को अनुमोदित किया है। इस पहल को नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB), राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) और राज्य/संघ राज्यक्षेत्र सरकारों द्वारा समर्थित किया गया है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, कुल 30,083 नए पैक्स, डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं; और 15.11.2025 तक देश भर में 15,793 डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी समितियों को सशक्त किया गया है। इन नई पंजीकृत प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पैक्स) / डेयरी सहकारी समितियों (DCS) / मात्स्यिकी सहकारी समितियों (FCS) को निम्नलिखित के रूप में विभिन्न सहायता उपाय प्रदान किए गए हैं:
- नवपंजीकृत पैक्स के सदस्यों, सचिवों और बोर्ड सदस्यों के लिए क्षमता-निर्माण कार्यक्रम राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (NCCT) और नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से संचालित किए जाते हैं।
- पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना के अंतर्गत, नए सॉफ्टवेयर के अंगीकरण और उसका प्रबंधन करने में पैक्स की सहायता करने के लिए कार्यान्वयन के भाग के रूप में क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
- डेयरी सहकारी समितियों (प्रशिक्षण, पशु स्वास्थ्य, प्रजनन, पशु आहार एवं चारा, कोल्ड-चेन और डिजिटल उपकरण) के लिए एनडीडीबी से सहयोग।
- मात्स्यिकी सहकारी समितियों के लिए राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) से सहयोग—जिसमें प्रशिक्षण, केज कल्चर, बायोफ्लॉक अपनाना, अवसंरचना अनुदान तथा क्लस्टर-आधारित आर्द्रभूमि प्रबंधन शामिल है। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत, वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 के दौरान 6,000 नई मात्स्यिकी सहकारी समितियों (FCS) की स्थापना की सुविधा प्रदान कर रहा है, इनमें से प्रत्येक नवगठित मात्स्यिकी सहकारी समिति को स्थापना, रखरखाव और सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए 3.00 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 34 राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों को शामिल करते हुए 3.00 लाख रुपये प्रत्येक के वित्तीय अनुदान से कुल 1,225 नवस्थापित मात्स्यिकी सहकारी समितियों को सहायता प्रदान की गई है।
यह जानकारी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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AK
(रिलीज़ आईडी: 2205065)
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