सहकारिता मंत्रालय
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बिहार में सहकारी समितियों का पुनर्गठन

प्रविष्टि तिथि: 17 DEC 2025 1:16PM by PIB Delhi

सरकार ने बिहार राज्य सहित देश भर में सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने और ग्रामीण आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कई कदम उठाए हैं। बिहार राज्य सहित देश भर में  सहकारी संरचना का विस्तार करने और किसानों के लिए ऋण, भंडारण और विपणन सुविधाओं तक पहुंच को आसान और अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से 2 लाख नए बहुउद्देशीय पैक्स (M-PACS), डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को मंजूरी दी गई। बिहार ने दिनांक 15 नवंबर 2025 तक 4,518 सहकारी समितियों के गठन के साथ महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। बिहार केंद्र प्रायोजित PACS कंप्यूटरीकरण परियोजना में भी एक सक्रिय भागीदार है, जिसमें 4,495 PACS में से 4,460 पहले से ही ERP -आधारित कॉमन राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर ऑनबोर्ड किए गए हैं, जो  DCCBs और StCBs के साथ दक्षता, जवाबदेही और लिंकेज़ में सुधार करते  है। बिहार PACS के लिए आदर्श उपविधियों को अपनाने जैसे बड़े सहकारी सुधारों का भी हिस्सा है, जो उन्हें कृषि-इनपुट आपूर्ति, भंडारण, प्रापण, डेयरी, मात्स्यिकी और आवश्यक ग्रामीण सेवाओं सहित 25 से अधिक विविध व्यावसायिक कार्यकलापों को शुरू करने के लिए सशक्त बनाता है। PACS को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK), ब्याज अनुदान, उर्वरक और बीज वितरण, PDS आउटलेट, एलपीजी/पेट्रोल/डीजल डीलरशिप, कस्टम हायरिंग, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर आदि जैसी योजनाओं से लाभ पहुंचाने के लिए हब के रूप में विकसित किया गया है और राज्य विशिष्ट पोर्टल जैसे, भूलेख पोर्टल (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में), -केवाईसी और -उपार्जन (मध्य प्रदेश), -क्रॉप, CCRC (आंध्र प्रदेश) और अन्य राज्यों की अन्य योजनाओं और सहकारी बैंकिंग प्रणालियों के साथ एकीकरण। बिहार में PACS को किसानों के लिए बहु-सेवा केंद्रों में परिवर्तित करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदम इस प्रकार हैं:

  • बिहार में राज्य योजना के तहत, पूरे राज्य में PACS में 7,221 गोदामों का निर्माण किया गया है, जिससे 17.14 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता का निर्माण हुआ है, जिससे भौतिक अवसंरचना को सशक्त किया गया है। वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 2.49 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता वाले 278 गोदामों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, सहकारिता विभाग, बिहार सरकार द्वारा विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना (WLGSP) के तहत 1,33,500 मीट्रिक टन क्षमता वाले 36 PACS को चिह्नित किया गया है।
  • 5256 PACS कॉमन सेवा केंद्रों के रूप में कार्य कर रहे हैं जो बैंकिंग शिक्षा, डिजी पे, आईआरसीटीसी, बिजली बिल, केवीके फसल स्वास्थ्य देखभाल आदि पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
  • 12 PACS ने पेट्रोल/डीजल रिटेल आउटलेट्स के लिए CC2/ओपन श्रेणी में आवेदन किया है, और 05 PACS का चयन तेल विपणन कंपनियों द्वारा किया गया है।
  • प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रूप में PACS से प्राप्त 412 आवेदनों में से 30 PACS को ड्रग लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं और वर्तमान में 21 जन औषधि केंद्र PACS में प्रचालित हैं।
  • 2271 PACS के पास उर्वरक लाइसेंस है, जिनमें से 1681 PACS को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में अपग्रेड किया गया है। ये केंद्र मृदा परीक्षण, प्रशिक्षण आदि जैसी अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • वित्तीय समावेशन कोष के तहत, नाबार्ड और बिहार राज्य सहकारी बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 785 माइक्रो-एटीएम के लिए 1.76 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2025-26 में 239 माइक्रो-एटीएम के लिए 53.77 लाख रुपये की राशि मंजूर की है। इसके अलावा, किसानों सहित ग्रामीण आबादी में वित्तीय साक्षरता के प्रसार के लिए FLAP आयोजित करने के लिए DCCBs को 390 वित्तीय साक्षरता जागरूकता कार्यक्रम (FLAPs) आयोजित करने के लिए 22.11 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, FIF (वित्तीय समावेशन कोष) के तहत वित्तीय साक्षरता का संचालन करने के लिए DCCBs को 7.53 लाख रुपये की अनुदान सहायता के साथ 130 FLAPs स्वीकृत किए गए हैं।
  • राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) के अनुसार, देश में कस्टम हायरिंग सेंटर के रूप में काम करने वाले 7,398 PACS में से 2,661 केंद्र बिहार में काम कर रहे हैं।

राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (NCCT) और RICMs तथा  ICMs के इसके नेटवर्क के माध्यम से कार्यान्वित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का उद्देश्य सहकारी संस्थानों में शासन, पारदर्शिता और सदस्य भागीदारी को सशक्त करना है। इन कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप कई राज्यों में परिचालन दक्षता और पेशेवर क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से, NCCT संस्थानों ने 15,919 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से 9,82,787 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है। बिहार राज्य के संबंध में, NCCT के अधीन RICM पटना ने सहकारी क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को आच्छादित करते हुए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में 43,290 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है। NCCT ने PACS सदस्यों को 300 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने के लिए CSC पोर्टल में ऑनबोर्ड PACS के सचिवों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए हैं। इसके तहत 2024-25 में बिहार में 57 कार्यक्रम संचालित किए गए और 2096 PACS  सचिवों को प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण के माध्यम से कई PACS ने मापन योग्य लाभ, बढ़ी हुई सेवा प्रदाय, संख्या में वृद्धि और युवाओं और महिलाओं के बेहतर समावेश की सूचना प्रदान की गई।

कृषि अवसंरचना कोष (AIF), कृषि विपणन अवसंरचना (AMI), कृषि  यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन (SMAM) जैसी योजनाओं के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सरकारी सब्सिडी PACS स्तर पर अन्न भंडारण के लिए गोदामों, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य कृषि-अवसंरचना के निर्माण के लिए खाद्यान्न की बर्बादी और परिवहन लागत को कम करेगी, किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने और PACS स्तर पर विभिन्न कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।

इसके अलावा, NCDC समय-समय पर संशोधित अधिसूचित वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को आच्छादित करते हुए अपनी निगम-प्रायोजित योजनाओं के तहत सहकारी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। हाल के वर्षों में, NCDC ने महिला सशक्तीकरण, सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पर विशेष जोर देने के साथ सहकारी क्षेत्र की उभरती जरूरतों के अनुरूप क्षेत्र-विशिष्ट योजनाएं और केंद्रित उत्पाद पेश किए हैं।

प्रशिक्षण और सब्सिडी के संयुक्त प्रभाव के परिणामस्वरूप बेहतर पारदर्शिता, बेहतर सेवा प्रदाय और सहकारी कार्यकलापों  में सदस्यों की उच्च भागीदारी हुई है।

सहकारिता मंत्रालय ने अपनी स्थापना के बाद से ही सहकारी समितियों की वित्तीय स्थिति में सुधार, उनकी दक्षता बढ़ाने और उनके कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए "सहकार से समृद्धि" की परिकल्पना के साथ कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। पर्याप्त प्रगति के बावजूद, सहकारी समितियों को सीमित पेशेवर प्रबंधन क्षमता, किफायती ऋण तक अपर्याप्त पहुंच, अवसंरचना परियोजनाओं को शुरू करने में वित्तीय बाधाओं और बाजार संबंधों में सुधार की आवश्यकता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्दों को हल करने के लिए, राष्ट्रीय सहकारिता नीति (NCP) 2025 सुलभ वित्त, बहु-क्षेत्रीय विस्तार और प्रौद्योगिकी-संचालित पारदर्शिता पर केंद्रित दस साल के रोडमैप की रूपरेखा तैयार करती है। ₹1 करोड़ से ₹10 करोड़ के बीच आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार को 12% से घटाकर 7% करने, न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) को 18.5% से घटाकर 15% करने और 31 मार्च, 2024 से पहले स्थापित नई विनिर्माण सहकारी समितियों के लिए रियायती 15% कर दर शुरू करने जैसे उपायों के माध्यम से वित्तीय स्थिरता को और सशक्त किया जा रहा है। प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) और प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (PCARDBs) के लिए, नकद जमा, भुगतान, ऋण और ऋण चुकौती की अनुमेय सीमा को प्रति सदस्य 20,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे उनका प्रचलनात्मक लचीलापन आसान हो गया है।

अवसंरचना के विकास के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, जिसमें कार्यशील PACS के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,925.39 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय शामिल है। कृषि विपणन अवसंरचना (AMI) योजना के तहत, PACS गोदामों के लिए मार्जिन मनी आवश्यकताओं को 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है, सब्सिडी दरों को 25% से बढ़ाकर 33.33% कर दिया गया है, और आंतरिक सड़कों और तौल पुलों जैसी सहायक सुविधाओं के लिए कुल स्वीकार्य सब्सिडी के एक तिहाई के बराबर अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जाती है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को 190 करोड़ रुपये और मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों (FFPOs) को 98 करोड़ रुपये के संवितरण की सुविधा प्रदान की है। NCDC को 2,000 करोड़ रुपये के सरकारी अनुदान के माध्यम से वित्तीय स्थिरता को और सशक्त किया जा रहा है, जिससे सहकारी ऋण के लिए 20,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकें, साथ ही 29,050 सहकारी समितियों के लिए 24,000 करोड़ रुपये की नई NCDC योजना भी इसमें शामिल है।

सहकारी बैंकों को वन टाइम निपटान अपनाने की अनुमति देने, CGTMSE -आधारित संपार्श्विक-मुक्त ऋण, और साझा प्रौद्योगिकीय सेवाएं प्रदान करने के लिए सहकार सारथी के सृजन सहित बैंकिंग सुधार, वित्तीय लचीलेपन में सुधार कर रहे हैं। BBSSL, NCOL और NCEL जैसे राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी संघों के माध्यम से सहकारी राजस्व धाराओं में विविधता लाने के प्रयास और सहकारी नेतृत्व को पेशेवर बनाने के लिए त्रिभुवन सहकारी  यूनिवर्सिटी (TSU) की स्थापना, देश भर में सहकारी समितियों की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और शासन को और अधिक सशक्त कर रहे हैं।

इन उपायों का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाना, राजस्व धाराओं में विविधता लाना और बिहार सहित सहकारी समितियों की दीर्घकालिक संधारणीयता सुनिश्चित करना है।

यह जानकारी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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AK


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