विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) – वर्षांत समीक्षा 2025
सीएसआईआर-सीआरआरआई की स्टील स्लैग तकनीक का उपयोग करके विश्व की पहली पोर्ट सड़क विकसित
उत्तर प्रदेश में 200 किमी से ज्यादा सड़क निर्माण के लिए 8 खण्डों में एमएसएस+ तकनीक का उपयोग
20-मिनट में सड़क के गड्ढों की मरम्मत करने की तकनीक “इकोफिक्स” का दिल्ली में प्रदर्शन, पूर्वोत्तर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अमेरिका में सड़क के गड्ढों की मरम्मत में सहायता के लिए तैयार
सीएसआईआर-सीआरआरआई ने एंड-ऑफ –लाइफ प्लास्टिक टेक्निकल टेक्स्टाइल का उपयोग कर भारत का प्रथम सड़क परीक्षण शुरु किया
सीएसआईआर-एनबीआरआई ने पिंक बॉलवॉर्म के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वाली विश्व की प्रथम जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम)कपास विकसित की
पश्मीना शॉलों में अवैध शाहतूश की पहचान के लिए दुनिया का प्रथम डीएनए परीक्षण विकसित
सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिए त्वरित परीक्षण किट विकसित
सीएसआईआर-एएमपीआरआई ने भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमता बढ़ाने के लिए स्वदेशी एसओडीएआर प्रणाली विकसित की
पीएमएवाई –जी के समर्थन में सीएसआईआर-सीबीआरआई द्वारा विकसित भारत का प्रथम 3डी-प्रिंटेड ग्रामीण आवास
भारत की प्रथम जलवायु-प्रतिरोधी इमारतों का चार स्थानों पर अनावरण
सीएसआईआर-एनआईआईएसटी द्वारा विकसित भारत का प्रथम स्वचालित जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट उपचार रिग एम्स, नई दिल्ली में स्थापित किया गया
हिमाचल प्रदेश में हींग (फेरुला एसाफोएटिडा) का पहला पुष्पन सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार- 2025 के लिए तीन विषयों में सीएसआईआर के विजेता
प्रविष्टि तिथि:
16 DEC 2025 5:56PM by PIB Delhi
वर्ष के दौरान हासिल की गई प्रमुख वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियाँ
सीएसआईआर-सीआरआरआई की स्टील स्लैग तकनीक का उपयोग करके विश्व की पहली पोर्ट सड़क विकसित
सीएसआईआर-सीआरआरआई की स्टील स्लैग सड़क तकनीक के आधार पर गुजरात के हजीरा में एक निजी बंदरगाह के भीतर विश्व की पहली स्टील स्लैग सड़क विकसित की गई है। इस सड़क के निर्माण में औद्योगिक स्टील स्लैग अपशिष्ट का उपयोग किया गया है, जिससे यह टिकाऊ, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल बनी है, और यह भारत के ‘अपशिष्ट से संपदा’ तथा हरित आधारभूत संरचना मिशनों के अनुरूप है।

सीएसआईआर-सीआरआरआई ने उत्तर प्रदेश में टिकाऊ सड़क निर्माण के लिए एमएसएस+ तकनीक का उपयोग किया
सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा विकसित पर्यावरण-अनुकूल एमएसएस+ (मॉडिफाइड मिक्स सील सरफेसिंग प्लस) तकनीक का उपयोग उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (यूपीआरआरडीए) द्वारा राज्य में हरित सड़कों के निर्माण के लिए किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत उत्तर प्रदेश में 200 किलोमीटर से अधिक सड़क के निर्माण के लिए इस तकनीक को अपनाया गया है। यह तकनीक एग्रीगेट और बिटुमेन को गर्म किए बिना सभी मौसमों में सड़क निर्माण की सुविधा प्रदान करती है, और इससे बनी सड़कें परंपरागत हॉट मिक्स सड़कों की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली साबित हुई हैं।
सीएसआईआर-सीआरआरआई की 20-मिनट में सड़क के गड्ढों की मरम्मत करने की तकनीक “इकोफिक्स” का दिल्ली में प्रदर्शन, असम पीडब्ल्यूडी, कर्नाटक, अमरावती में सड़क के गड्ढों की मरम्मत में सहायता के लिए तैयार
सीएसआईआर-सीआरआरआई ने दिल्ली सचिवालय सड़क पर अपनी स्वदेशी तकनीक ‘इकोफिक्स’ का प्रदर्शन किया। यह तकनीक लोहे और स्टील स्लैग का उपयोग करके केवल 20 मिनट में ही गड्ढों की मरम्मत कर देती है। इकोफिक्स तकनीक पानी भरे गड्ढों में भी उपयोग की जा सकती है और इसे लगाने के तुरंत बाद सड़क पर वाहन चलाना संभव होता है। कर्नाटक की सभी सड़कों पर गड्ढों की मरम्मत के लिए ‘इकोफिक्स’ तकनीक को अपनाने के लिए राज्य सरकार ने सीएसआईआर-सीआरआरआई और मेसर्स रामुका ग्लोबल सर्विसेज के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। असम के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने भी इकोफिक्स का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है और इसे गुवाहाटी में गड्ढों की मरम्मत के लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। इस तकनीक का उपयोग अमरावती में पर्यावरण-अनुकूल और गड्ढा-मुक्त सड़कों के निर्माण के लिए किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इकोफिक्स तकनीक को अमेरिका और ओमान में भी अपनाया जा चुका है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट दंतक और सीएसआईआर-सीआरआरआई ने थिंफू, भूटान में एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें सीएसआईआर-सीआरआरआई की पर्यावरण-अनुकूल सड़क निर्माण तकनीकों जैसे रेजुपेव, स्टील स्लैग रोड और इकोफिक्स को प्रस्तुत किया
सीएसआईआर-सीआरआरआई ने एंड-ऑफ –लाइफ प्लास्टिक टेक्निकल टेक्स्टाइल का उपयोग कर भारत का प्रथम सड़क परीक्षण शुरु किया
सीएसआईआर-सीआरआरआई ने बीपीसीएल और एनएचएआई के सहयोग से डीएनडी -फरीदाबाद-केएमपी एक्सप्रेसवे पर एंड-ऑफ –लाइफ प्लास्टिक पर आधारित जियोसेल सड़क विकसित की है। इस तकनीक में परंपरागत रूप से आईआरसी मानकों से बाहर रखे जाने वाले बहु-परत वाले अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग सड़क की उपसतह में टिकाऊपन बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में अवसंरचना में सर्कुलर इकॉनोमी को बढ़ावा देते हुए लगभग 30 टन एंड-ऑफ –लाइफ प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया।
बीआरओ ने भूटान में ऊँचाई वाले इलाकों में सड़क बनाने के लिए सीएसआईआर-सीआरआरआई की रेजुपेव तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया
सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा विकसित रेजुपेव तकनीक का भूटान के ऊंचाई वाले इलाकों में बीआरओ ने सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया। इस तकनीक से बहुत ज़्यादा ठंड की चुनौतियों से निपटते हुए न्यूनतम तापमान पर सड़क बनाई जा सकती है। इसे भूटान में चलेला पास और फुंटशोलिंग-थिम्पू सड़कों पर दिखाया गया। यह नवाचार दुर्गम इलाकों में टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल सड़कें सुनिश्चित करता है।
सीएसआईआर-सीआरआरआई ने टिकाऊ सड़क पुनर्चक्रण के लिए रिजुबिट का उद्घाटन किया
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने सीएसआईआर -केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीआरआरआई) के रिजुबिट का उद्घाटन किया। रिजुबिट एक देशी पुनरुत्थान एजेंट है, जो पुरानी बिटुमेन सड़कों को बहाल और पुनर्चक्रित करता है। इसके उपयोग से सड़क को फिर से बिछाने का खर्च 66% तक कम हो जाता है और आयात पर निर्भरता घटती है। यह एजेंट सड़क पुनर्चक्रण को आयातित एडिटिव्स की तुलना में केवल एक-तिहाई लागत में सक्षम बनाता है, जिससे नए कच्चे माल पर निर्भरता कम होती है और भारत के 45 लाख टन वार्षिक बिटुमेन आयात का बोझ घटता है।

पिंक बॉलवॉर्म के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वाली विश्व की प्रथम जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम)कपास का विकास
सीएसआईआर–राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई), लखनऊ ने दुनिया की प्रथम जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम)कपास विकसित की है, जो पिंक बॉलवर्म नामक अत्यंत विनाशकारी कीट के प्रति पूरी तरह प्रतिरोधी है। यह कीट भारत, अफ्रीका और एशिया में कपास की फसल को गंभीर नुकसान पहुँचाता है। सीएसआईआर-एनबीआरआई का यह नवाचार किसानों की आजीविका की रक्षा करता है और वैश्विक स्तर पर कीट-प्रतिरोध के लिए एक नया मानक स्थापित करता है।

सीएसआईआर- सीसीएमबी ने पश्मीना शॉलों में अवैध शाहतूश की पहचान के लिए दुनिया का प्रथम डीएनए परीक्षण विकसित किया
सीएसआईआर- सीसीएमबी ने हेयर शाफ्ट माइक्रोफाइबर का उपयोग करके शाहतूश की पहचान के लिए एक विशिष्ट, गैर-विनाशकारी डीएनए परीक्षण विकसित किया है। यह परीक्षण कानूनन मान्य पश्मीना ऊन और अवैध शाहतूश ऊन के बीच स्पष्ट अंतर करने में सहायक है। यह तकनीक माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का उपयोग करती है और अत्यधिक प्रसंस्कृत शॉल पर भी प्रभावी ढंग से कार्य करती है। परीक्षण के लिए ऊन के नमूने अब बर्लिन और हैदराबाद के संग्रहालयों सहित विश्व के विभिन्न स्थानों से प्राप्त होने लगे हैं। कश्मीर के बुनकरों को सहायता देने के उद्देश्य से सीएसआईआर- सीसीएमबी, सीएसआईआर - आईआईआईएम के सहयोग से श्रीनगर में एक परीक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
सीएसआईआर- सीसीएमबी ने सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिए त्वरित परीक्षण किट विकसित की
सीएसआईआर- सीसीएमबी ने सिकल सेल एनीमिया (एससीए) के प्रारंभिक परीक्षण के लिए अपनी तरह का पहला सटीक, त्वरित और किफायती मॉलिक्यूलर परीक्षण विकसित किया है। यह परीक्षण रोग की प्रारंभिक और सटीक पहचान को संभव बनाता है, जो इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नवाचार सिकल सेल एनीमिया से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम है, विशेष रूप से उन वंचित क्षेत्रों में जहाँ इस रोग की व्यापकता अधिक है। इस परीक्षण की लागत 100 रुपये से भी कम है, जो इसे विशेष रूप से उल्लेखनीय बनाती है।
जनजातीय स्वास्थ्य देखभाल: सीएसआईआर- सीसीएमबी द्वारा सिकल सेल एनीमिया के लिए 20 लाख से अधिक जनजातीय लोगों का प्रारंभिक परीक्षण:
सीएसआईआर के सिकल सेल एनीमिया मिशन के अंतर्गत, प्रारंभिक परीक्षण, औषधि विकास और जीनोम-आधारित समाधानों से जुड़ी पहलों के माध्यम से 20 लाख से अधिक जनजातीय लोगों की जाँच की जा चुकी है। सीएसआईआर- सीसीएमबी द्वारा विकसित सिकल सेल एनीमिया निदान किट केवल सूखे रक्त की एक बूंद से कार्य करती है और इसे भारत में वर्ष 2026 में लॉन्च किया जाना प्रस्तावित है। सीएसआईआर का सिकल सेल एनीमिया मिशन, वर्ष 2047 तक भारत से सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने के लक्ष्य वाले राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन को समर्थन प्रदान करता है।
सीएसआईआर- सीसीएमबी, टाटा स्टील फाउंडेशन और एनएचएम झारखंड ने बड़े पैमाने पर सिकल सेल एनीमिया के प्रारंभिक परीक्षण पहल को लागू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। झारखंड के में कोल्हान क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रारंभिक परीक्षण के लिए आवश्यक अवसंरचना के साथ पूर्वी सिंहभूम जिले के खासमहल जिला अस्पताल में एक परीक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षण के लिए सीएसआईआर- सीसीएमबी की अटल टिंकरिंग लैब द्वारा विकसित किफायती और त्वरित आणविक परीक्षण पद्धति डीबीएस-पीसीआर का उपयोग किया जाएगा।

सीएसआईआर - एएमपीआरआई ने भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमता बढ़ाने के लिए स्वदेशी एसओडीएआर प्रणाली विकसित की
सीएसआईआर - एएमपीआरआई, भोपाल ने एक स्वदेशी एसओडीएआर (ध्वनि पहचान और रेंजिंग) प्रणाली विकसित की है। यह तकनीक निचले वायुमंडल में हवा के प्रोफ़ाइल, तापमान तथा वायुमंडलीय सीमा परत में होने वाले विक्षोभ की निगरानी को सशक्त बनाती है। यह एसओडीएआर प्रणाली भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी),नई दिल्ली में स्थापित की गई है तथा पूर्वानुमान और अनुसंधान के लिए एसओडीएआर डेटा साझा करने हेतु आईएमडी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
सीएसआईआर-सीबीआरआई में भारत का प्रथम 3D कंक्रीट-प्रिंटेड ग्रामीण आवास
माननीय मंत्री डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ने रुड़की स्थित सीएसआईआर-सीबीआरआई द्वारा विकसित भारत के प्रथम 3D कंक्रीट-प्रिंटेड ग्रामीण आवास का उद्घाटन किया। यह नवाचार किफायती, टिकाऊ तथा आपदा-प्रतिरोधी ग्रामीण आवास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

सीएसआईआर-सीबीआरआई ने भारत की पहली जलवायु-प्रतिरोधी इमारत का अनावरण किया
रुड़की स्थित सीएसआईआर -सीबीआरआई ने भारत की पहली जलवायु-प्रतिरोधी इमारत (सीआरबी) का अनावरण किया, जिसे पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने और थर्मल कम्फर्ट को बेहतर बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। सीएसआईआर -सीबीआरआई की इन-हाउस तकनीकों से निर्मित यह संरचना पारंपरिक इमारतों की तुलना में 40 से 60 प्रतिशत तक कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। इस इमारत को बाल विद्या मंदिर को सौंप दिया गया है, जहाँ यह डेटा निगरानी और संकलन के लिए एक परीक्षण स्थल के रूप में कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र-विशिष्ट सतत अवसंरचना विकसित करने की मिशन-मोड परियोजना के तहत लेह और चेन्नई में भी प्रोटोटाइप जलवायु-प्रतिरोधी इमारतों का अनावरण किया गया।
सीएसआईआर-एनआईआईएसटी द्वारा विकसित भारत के प्रथम स्वचालित जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट उपचार रिग का एम्स, नई दिल्ली में शुभारंभ
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, ने एम्स, नई दिल्ली में ‘सृजनम्’—भारत के प्रथम स्वदेशी स्वचालित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार संयंत्र—का शुभारंभ किया। सीएसआईआर –राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-एनआईआईएसटी) द्वारा विकसित यह संयंत्र बिना दहन के जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को कीटाणुरहित करने में सक्षम है। यह प्रतिदिन लगभग 400 किलोग्राम अपशिष्ट का सुरक्षित उपचार कर सकता है और पर्यावरणीय प्रभाव को उल्लेखनीय रूप से कम करता है। यह पहल भारत के ‘अपशिष्ट से संपदा दृष्टिकोण को समर्थन देती है तथा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अपशिष्ट निपटान व्यवस्था को सुदृढ़ करती है। साथ ही, यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा चिन्हित प्रतिदिन 743 टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की चुनौती से निपटने में सहायक है।

सीएसआईआर- आईएचबीटी ने हिमाचल प्रदेश में सफलतापूर्वक हींग (फेरुला एसाफोएटिडा) का पहला पुष्पन प्राप्त किया
भारत में पहली बार सीएसआईआर- आईएचबीटी में हींग (फेरुला एसाफोएटिडा) का पुष्पन हुआ, जिससे देशी उत्पादन को बढ़ावा मिला। सीएसआईआर- आईएचबीटी द्वारा आईसीएआर-एनबीपीजीआर के माध्यम से अक्टूबर 2020 में हींग के बीज ईरान और अफगानिस्तान से भारत के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रों में लाए गए । पांच वर्षों के पौधारोपण के बाद हींग के फूल आने पर अनुसंधान जारी है, जिसमें इसके सतत बीज उत्पादन चक्र, पुष्प संरचना और प्रजनन व्यवहार का अध्ययन किया जा रहा है, ताकि दीर्घकालिक अनुकूलन सुनिश्चित किया जा सके।

सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने भारत में डोजर पुश खनन पद्धति के पहले परीक्षण विस्फोट के साथ उपलब्धि हासिल की
सीएसआईआर -केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीआईएमएफआर) ने भारत में पहली बार उन्नत डिजिटल तकनीकों के समन्वय के साथ डोजर पुश खनन पद्धति का पहला परीक्षण विस्फोट सफलतापूर्वक संपन्न किया। सीएसआईआर-सीआईएमएफआर द्वारा विकसित इस तकनीक का उद्देश्य खनन प्रक्रियाओं में सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाना है। यह परीक्षण छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर जिले के उदयपुर ब्लॉक में मसर्स अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड द्वारा संचालित पीईकेबी (परसा पूर्व और कांटा बासन) कोयला खदान में किया गया। सफल परीक्षण का संचालन भारत की प्रमुख निजी खनन कंपनियों में से एक अदानी नेचुरल रिसोर्सेज ने किया।
सीएसआईआर- सीडीआरआई ने ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) के उपचार में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की
सीएसआईआर के केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- सीडीआरआई) के शोधकर्ताओं ने ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) के मेटास्टेसिस में एक प्रमुख कारक के रूप में एंजाइम एसीएसएल4 की पहचान की है, जो इस तेजी से फैलने वाले कैंसर उपप्रकार के लिए एक नए चिकित्सीय लक्ष्य प्रस्तुत करता है। इस अध्ययन में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ और आईआईएसईआर पुणे के सहयोग से टीएनबीसी सेल लाइनों, माउस मॉडल और मानव ऊतक नमूनों पर प्रयोग किए गए। इससे कैंसर के फैलने में एसीएसएल4 की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
सीएसआईआर - सीडीआरआई ने मलेरिया के लिए नवीन पैरासाइट वैक्सीन विकसित किया
सीएसआईआर -केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर - सीडीआरआई) ने एक नवीन संपूर्ण परजीवी वैक्सीन विकसित किया है, जो मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी के सभी अणुओं को लक्षित करता है और प्रीक्लिनिकल परीक्षणों में 100% प्रभावकारिता दिखा चुका है। इस वैक्सीन में परजीवी के दो जीन (एससीडी और एससीओटी1) को हटाया गया है, जिससे यह केवल यकृत को संक्रमित कर सकता है, लेकिन रक्त प्रवाह में प्रवेश नहीं कर पाता, जिससे मलेरिया नहीं फैलता। पशुओं पर सफल परीक्षणों के बाद, सीएसआईआर - सीडीआरआई मानव मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम का उपयोग करते हुए क्लिनिकल परीक्षण करने की योजना बना रहा है और आशा है कि यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यकता—90% से अधिक संक्रमण की रोकथाम करने वाली वैक्सीन—को पूरा कर सके।
मिग-29 में सीएसआईआर -एनसीएल द्वारा उन्नत ऑक्सीजन जेनरेशन प्रणाली
सीएसआईआर – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर -एनसीएल), पुणे ने लड़ाकू विमान मिग-29 के ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जेनरेशन सिस्टम (ओबीओजीएस) में जिओलाइट सामग्री को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया, जिससे पायलटों के लिए निरंतर ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित हुई।। सीएसआईआर -एनसीएल टीम ने नमी से होने वाली जिओलाइट की खराबी को रोकने के लिए इस प्रकिया को बेहतर बनाया, जिससे पहले ऑक्सीजन का उत्पादन कम हो जाता था। सीएसआईआर -एनसीएल ने स्वदेशी जिओलाइट सामग्री भी सफलतापूर्वक विकसित की है, जिससे मिग-29 ऑक्सीजन प्रणाली के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम हुई है।
सीएसआईआर –एनएएल, डीआरडीओ और इसरो उन्नत सतत ट्राइसोनिक विंड टनल के निर्माण के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं
सीएसआईआर -केंद्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाएँ (सीएसआईआर –एनएएल), डीआरडीओ और इसरो सहयोग कर एक अत्याधुनिक सतत ट्राइसोनिक विंड टनल (सीटीडब्ल्यूटी) विकसित कर रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे उन्नत सुविधाओं में से एक होगी। इस सुविधा में दो टनल होंगे: 2.5m x 2.5m कंटिन्यूअस टाइप विंड टनल (Mach 0.1–1.8) और 1.75m x 1.75m ब्लोडाउन टाइप विंड टनल (Mach 1.6–4)। इस परियोजना से विदेशी विंड टनलों पर निर्भरता कम होगी, राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और लागत में कमी आएगी। इसके 2031 तक पूर्ण होने की आशा है, और यह भारत की एयरोस्पेस क्षमताओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान में सहायक होगा।
सीएसआईआर-सीसीएमबी ने दार्जिलिंग चिड़ियाघर में भारत का पहला जू़ बायो बैंक स्थापित किया
सीएसआईआर -केंद्रीय कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीएसआईआर-सीसीएमबी) के सहयोग से भारत का पहला जू बायो बैंक दार्जिलिंग के पद्मजा नायडु हिमालयन चिड़ियाघर में चालू हो गया है। यह सुविधा विशेष रूप से लुप्तप्राय या मृत जानवरों से कोशिका, ऊतक और प्रजनन नमूनों को संग्रहित और उन्हें क्रायोजेनिक स्टोरेज का इस्तेमाल करके -196°C पर सुरक्षित रखती है। इस पहल का उद्देश्य आनुवंशिक विविधता बनाए रखना और लुप्तप्राय प्रजातियों को पुनर्जीवित करने में संभावित सहायता प्रदान करना है।
सीएसआईआर -एनसीएल और ब्रिटेन के सीपीआई ने फार्मा उद्योग की स्थिरता के लिए ‘लिविंग लेब्रोरेट्री ’ की शुरुआत की
सीएसआईआर -एनसीएल और ब्रिटेन के सेंटर फॉर प्रोसेस इनोवेशन (सीपीआई) ने पुणे में ‘लिविंग लेब्रोरेट्री’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य फार्मास्युटिकल निर्माण प्रक्रिया को डिकार्बोनाइज करना है। यह पहल उत्सर्जन और खतरनाक अपशिष्ट में कमी लाने के लिए सॉल्वेंट-फ्री और सतत निर्माण को बढ़ावा देती है। स्थिरता के इस प्रयास में प्रमुख फार्मा कंपनियाँ जैसे सन फार्मा और आरती इंडस्ट्रीज साझेदार हैं। यह भारत- ब्रिटेन सहयोग भारत के फार्मा उद्योग को वैश्विक स्थिरता और नियामक मानकों को पूरा करने में सहायता देता है।
सीएसआईआर -एनएएल ने सोलर वॉटर हीटिंग दक्षता बढ़ाने के लिए नालसन-एनजी™ तकनीक का हस्तांतरण किया
सीएसआईआर -केंद्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (सीएसआईआर -एनएएल) ने मेसर्स सुप्रीम सोलर को नालसन-एनजी™ तकनीक हस्तांतरित की है, जो बड़े पैमाने पर सोलर वॉटर हीटर अनुप्रयोगों के लिए है। नालसन-एनजी™ जल-आधारित, गैर-विषाक्त सौर अवशोषक कोटिंग है, जिसमें सूर्य की रोशनी को गर्मी में बदलने की उच्च दक्षता है। यह तकनीक प्रत्येक घर में सालाना लगभग 2,000 किलोवाट घंटा बिजली की बचत और 1–2 टन CO₂ उत्सर्जन कमी में मदद करती है। मेसर्स सुप्रीम सोलर ने प्रारंभ में 4 मीटर लंबी स्प्रे पाइरोलिसिस प्रणाली स्थापित की है, और यह भारत की पहली रोल-टू-रोल कोटिंग सुविधा है, जिसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांगों को पूरा करने के लिए बढ़ाया जा रहा है।
सीएसआईआर-सीएलआरआई ने अपशिष्ट और स्मार्ट सामग्री का उपयोग जलवायु-अनुकूल 'कूल लेदर' विकसित किया
सीएसआईआर-सीएलआरआई और मिस्र के डीआरसी ने गर्म जलवायु के लिए तापमान को नियंत्रित करने वाला चमड़ा बनाया है। इस चमड़े में तापमान के अनुसार अनुकूलन करने की क्षमता के लिए फेज़ चेंज सामग्री होती है। स्मार्ट लेदर स्थिरता को नेक्स्ट-जेन मटीरियल साइंस इनोवेशन के साथ जोड़ता है। इस टेक्नोलॉजी का संभावित उपयोग फैशन, वाहन, फर्नीचर और सुरक्षा गियर में किया जा सकता है। है।
सीएसआईआर-सीईईआरआई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एएनआरएफ के एमएएचए-ईवी मिशन का नेतृत्व करेगा
सीएसआईआर-सीईईआरआई को राष्ट्रीय स्थिरता और अगली पीढ़ी के मोबिलिटी लक्ष्यों का समर्थन करते हुए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन - एमएएचए-ईवी इनिशिएटिव के तहत 7 उच्च प्रभाव वाले ई-नोड्स में से चुना गया है। इस मिशन के लक्षित अनुसंधान क्षेत्र - ट्रॉपिकल ईवी बैटरी, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर हैं।
सीएसआईआर-एनएएल के एचएपी प्रोटोटाइप ने सीमा निगरानी के लिए ज़रूरी परीक्षण पास कर लिया
सीएसआईआर-एनएएल द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित किए गए हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म (एचएपी) ने प्रमाणित ऑटोपायलट प्रणाली के साथ मॉनसून-पूर्व परीक्षण उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी कीं। इस प्रणाली ने बादलों के नीचे बेहतर ऊर्जा दक्षता के साथ 24,000 फुट की ऊँचाई हासिल की। विकसित किया गया प्रोटोटाइप सीमा पर निगरानी कर सकता है, मौसम विज्ञान में मदद कर सकता है और भीड़ की निगरानी कर सकता है। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने ऐसे हाई-एल्टीट्यूड सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई है। एचएपी के असैन्य इस्तेमाल में 5G रिले और मानसून बादल अध्ययन शामिल हैं।
सीएसआईआर-सीआईएमएपी ने लुप्तप्राय आयुर्वेदिक जड़ी- बूटी के संरक्षण के लिए नई किस्म तैयार की
सीएसआईआर-सीआईएमएपी ने ‘सीआईएम-रोइ गोल्ड ’ नाम की एक किस्म तैयार की है, जो लुप्तप्राय जड़ी-बूटी पृश्निपर्णी (यूरारिया पिक्टा) की ज़्यादा उपज देने वाली किस्म है। इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल च्यवनप्राश और दशमूलारिष्ट जैसी खास आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। विकसित की गई नई किस्म में रोइफोलिन की मात्रा (1.0–1.5%) ज़्यादा है और इसमें बहुत अच्छे औषधीय गुण हैं। इस पहल से औषधीय विरासत के संरक्षण और वाणिज्यिक खेती को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने मिजोरम के रॉकफॉल क्षेत्रों का आकलन किया
सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के भू-तकनीकी विशेषज्ञों ने पुकपुई फॉल्स के निकट हाल ही में हुई मौतों के बाद आइजोल के अत्यधिक जोखिम वाले चट्टाने गिरने वाले क्षेत्र या रॉकफॉल क्षेत्र का आकलन किया। संयुक्त निगरानी में आइजोल के निकटवर्ती न्गेज़ेल, मेल्थम और हलीमेन जैसे चट्टाने गिरने की आशंका वाले हिस्सों को कवर किया गया। आकलन का उद्देश्य आपदा प्रबंधन और भूवैज्ञानिक दलों की मदद से बचाव की रणनीतियाँ तैयार करना था।
सीएसआईआर-सीआईएमएपी ने सोरायसिस के इलाज के लिए सोरियासिम क्रीम तैयार की
सीएसआईआर-सीआईएमएपी ने सोरायसिस के लिए लैवेंडर-आधारित हर्बल क्रीम सोरियासिम तैयार की है। यह क्रीम 0.1% मोमेटासोन के बराबर असर दिखाती है, जो एक मानक स्टेरॉयड इलाज है और लैवेंडर तेल से फाइटोमॉलिक्यूल्स का इस्तेमाल करके स्टेरॉयड के साइड इफ़ेक्ट से बचाती है। प्रीक्लिनिकल परीक्षण ने सुरक्षा, असर और पीएएसआई स्कोर में पर्याप्त कमी की पुष्टि की है।
कच्छ में पाए जाने वाले खनिज पर सीएसआईआर-एनजीआरआई के सहयोगपूर्ण अध्ययन से मंगल ग्रह की घटनाओं की समयरेखा निर्धारित करने में मदद मिलेगी
सीएसआईआर-एनजीआरआई के शोधकर्ता, फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, आईआईटी गांधीनगर और आईआईटी खड़गपुर के साथ मिलकर, गुजरात के कच्छ और मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले खनिज जारोसाइट का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि मंगल ग्रह की घटनाओं की समयरेखा निर्धारित की जा सके। जारोसाइट के नमूनों से निकलने वाली रोशनी को मापकर, इसका उद्देश्य मंगल ग्रह की भौगोलिक घटनाओं, जैसे पानी की मौजूदगी और ज्वालामुखी गतिविधि की समयरेखा निर्धारित करना है। यह तरीका मौजूदा क्रेटर-काउंटिंग तरीकों की तुलना में ज़्यादा सटीक समयरेखा निर्धारित करने की तकनीक दे सकता है, जिससे मंगल ग्रह के इतिहास के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी।
सीएसआईआर-एनईईआरआई और आईआईटी-हैदराबाद ने गोदावरी के तेलंगाना खंड में गंभीर प्रदूषण वाले क्षेत्रों की पहचान की
सीएसआईआर-एनईईआरआई और आईआईटी-हैदराबाद के अध्ययन से गोदावरी नदी में खतरनाक प्रदूषण का पता चला है। औद्योगिक गंदगी और सीवेज बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड को सुरक्षित लिमिट से ज़्यादा बढ़ा देते हैं। सीएसआईआर-एनईईआरआई ने जल शक्ति मंत्रालय के तहत पुनुरुद्धार योजना बनाने के लिए 3 साल के अध्ययन की शुरुआत की है।
सीएसआईआर-सीडीआरआई ने स्तन कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के लिए लक्षित नैनोपार्टिकल प्रणाली विकसित की
सीएसआईआर-सीडीआरआई ने स्तन कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के लिए लक्षित नैनोपार्टिकल प्रणाली विकसित की है, जिससे दवा का असर बेहतर होगा और स्वस्थ कोशिकाओं के लिए विषाक्तता भी कम होगी। यह प्रणाली कीमोथेरेपी को ठीक से पहुंचाने के लिए डबल-शेल मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल करती है, जो एक सामान्य कीमोथेरेपी दवा ‘डॉक्सोरूबिसिन’ को लक्षित करती है, जिससे इसका बेहतर असर होता है। यह स्तन कैंसर के मरीज़ों के लिए सुरक्षित और ज़्यादा असरदार इलाज का तरीका उपलब्ध कराती है।
सीएसआईआर-सीएलआरआई ने तेज़ी से घाव भरने के लिए सिल्क-कोलेजन जेल बनाया
सीएसआईआर-सीएलआरआई ने तेज़ी से घाव भरने के लिए फोटो-एक्टिवेटेड सिल्क फाइब्रोइन और कोलेजन जैसा प्रोटीन हाइड्रोजेल (पीएएससीएच) बनाया है। पीएएससीएच, रेशम के कीड़ों के कोकून से मिलने वाले सिल्क फाइब्रोइन और लैब में बने कोलेजन जैसे प्रोटीन (सीएलपी-बीएस) का मिश्रण है। यह दृश्यमान नीली रोशनी और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) का इस्तेमाल करके, हानिकारक रसायनों के बिना एक स्थिर जेल बनाता है, जो छिद्रयुक्त और लचीला जेल बनाता है जो सूजन को कम करते हुए कोशिका गति और ऊतक मरम्मत को बढ़ावा देता है। इसे डायबिटीज के घावों और जलने के घावों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सीएसआईआर-एनपीएल का ट्रेडमार्क और स्वदेशी परमाणु घड़ियों के माध्यम से जीपीएस-स्वतंत्र आईएसटी
सीएसआईआर के नाम पर ट्रेडमार्क
सीएसआईआर ने अपने नाम पर “भारतीय मानक समय (आईएसटी)” के लिए सफलतापूर्वक ट्रेडमार्क हासिल किया है, जिससे देश के समय मानक की आधिकारिक पहचान और स्वामित्व कायम हुआ है।
भारत इस तकनीक के माध्यम से जीपीएस अवरुद्ध परिस्थितियों को भी संभाल सकता है
भारत सभी कानूनी, डिजिटल और प्रशासनिक गतिविधियों में भारतीय मानक समय (आईएसटी) अपनाने जा रहा है, इसलिए सीएसआईआर-एनपीएल और इसरो पांच परमाणु घड़ी आधारित क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाएँ स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं, जो अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में होंगी। इस पहल से विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल सुरक्षा, सटीकता और कार्यकुशलता बढ़ेगी, और विदेशी समय स्रोतों पर निर्भरता समाप्त होगी।
लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए वाइल्डलाइफ डीएनए बायोबैंक
सीएसआईआर-सीसीएमबी की मदद से दिल्ली का चिडि़याघर, एशियाई शेर, बंगाल टाइगर और भारतीय गैंडे जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के डीएनए को सुरक्षित रखने के लिए एक बायोबैंक बना रहा है। सीसीएमबी –लाकोन्स देश भर के चिडि़याघर के कर्मचारियों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दे रहा है।
सीएसआईआर - आईआईसीटी ने फसल के अवशेषों से पर्यावरण के अनुकूल चारा और ईंधन बनाया
यह तकनीक लिग्निन निष्कर्षण या डेलिग्निफिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करके चावल के भूसे को जानवरों के पौष्टिक चारे में बदलती है, मीथेन उत्सर्जन को कम करती है और चारे का स्वाद 20% से 60% तक बढ़ा देती है। पायलट प्लांट प्रति टन चावल के भूसे से 140kg कम्प्रेस्ड बायो-गैस बनाता है और एक कीमती उप-पदार्थ के तौर पर फर्मेंटेड ऑर्गेनिक खाद भी बनाता है।
विकसित भारत @2047 के तहत वादे के अनुरूप सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई ने किसानों की मदद के लिए 60 टन कैप्पाफाइकस के बीज वितरित किए
सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई ने मंडपम के मरीन एल्गल रिसर्च स्टेशन पर एक पिरयोजना के खत्म होने के अवसर पर लाभार्थियों को 60 टन कैप्पाफाइकस अल्वारेज़ी के बीज वितरित किए । यह बीज तमिलनाडु के तट पर लाल समुद्री शैवाल की खेती को फिर से शुरू करने और महिला किसानों को मज़बूत बनाने में मदद करते है। उमयालपुरम के पास बनाए गए सीड बैंक के ज़रिए कुल 278 टन ताज़ा, अच्छी क्वालिटी के बीज तैयार किए गए और लाभार्थियों को वितरित किए गए।
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई और मैकडॉनल्ड्स इंडिया ने प्रोटीन से भरपूर वेज स्लाइस लॉन्च किया
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई और मैकडॉनल्ड्स ने फास्ट फूड में प्रोटीन बढ़ाने के लिए 100% वेज ‘प्रोटीन प्लस स्लाइस’ को सह -विकसित किया है। ‘प्रोटीन प्लस स्लाइस’ सोया और मटर से बना है; इसमें प्याज, लहसुन, कृत्रिम रंग या फ्लेवर नहीं हैं और इसे सुरक्षित, पौष्टिक खाने के विकल्प के लिए एफएसएसएआई की ‘ईट राइट इंडिया’ पहल का समर्थन मिला है।

सीएसआईआर-सीएफटीआरआई का मोटे अनाज का बन मैकडॉनल्ड्स के मैन्यू में शामिल
मैकडॉनल्ड्स इंडिया ने सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की स्वदेशी खाद्य तकनीक का इस्तेमाल कर मोटे अनाज का बर्गर शुरु किया है। माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने “विदेशी से स्वदेशी की ओर” के प्रमाण के रूप में इस पहल को सराहा है । यह माननीय प्रधानमंत्री की वैश्विक पहल से प्रेरित भारत के मिलेट मिशन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो स्वाद और पोषण के साथ-साथ मोटे अनाज के स्थानीय किसानों की सहायता की है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने भारत के पहले जैव-प्रमाणित शहद का उत्पादन किया : कश्मीर में सीएसआईआर-आईआईआईएम के पुलवामा फील्ड स्टेशन ने भारत का पहला जैव-प्रमाणित लैवेंडर शहद बनाया है, जो कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर उगाई जाने वाली एक प्रीमियम लैवेंडर प्रजाति लैवेंडुला एंगुस्टिफोलिया से मिलता है।
सीएसआईआर - सीसीएमबी ने यूनिवर्सल प्राइमर तकनीक से वन्यजीव अपराध पहचान को उन्नत बनाया
सीएसआईआर - सीसीएमबी में डीएनए फोरेंसिक पर आधारित यूनिवर्सल प्राइमर टेक्नोलॉजी (यूपीटी) का इस्तेमाल वन्यजीव अपराध को सुलझाने के लिए किया गया है। इसके लिए इसने छोटे, अपघटित जैविक नमूनों से प्रजातियों की पहचान की जाती है। यूपीटी का 12 देशों में पेटेंट है और अब यह वन्यजीव अपराध पहचान में ग्लोबल गोल्ड स्टैंडर्ड है। सीएसआईआर - सीसीएमबी माइक्रोसैटेलाइट और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का इस्तेमाल करके तस्करी किए गए जानवरों की भौगोलिक उत्पत्ति का भी पता लगाता है।
चिकनगुनिया के लिए सीएसआईआर - सीसीएमबी -एआईसी उन्नत स्वदेशी एमआरएनए वैक्सीन
सीएसआईआर - सीसीएमबी में अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी) देश में बनी एमआरएनए -बेस्ड चिकनगुनिया वैक्सीन का बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू करने के लिए तैयार है। प्रयोगशाला अध्ययनों में पाया गया है कि जानवरों में मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई है और वायरस लोड में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली है।
सीएसआईआर-एनएएल ने एनजे-100: यूएवी और क्रूज़ मिसाइलों के लिए देसी छोटा गैस टर्बाइन इंजन बनाया
सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित एनजे -100, 100 केजीएफ थ्रस्ट प्रदान करता है और इसे टैक्टिकल यूएवी और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स के लिए बनाया गया है। छोटा गैस टर्बाइन इंजन ज़्यादा थ्रस्ट-टू-वेट रेश्यो, कॉम्पैक्टनेस और फ्यूल एफिशिएंसी के लिए डिज़ाइन किया गया है। नया NJ-100, पहले के NJ-5 इंजन के फ़्लाइट-टेस्टेड यूएवी मॉडल में सफल ट्रायल के बाद बनाया गया है। यह मॉड्यूलर, कस्टमाइज़ेबल प्रोपल्शन सॉल्यूशन को इनेबल करके यह रणनीतिक स्वायत्तता का समर्थन करता है।
सीएसआईआर-सीएसआईओ, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत चंडीगढ़ में भारत का पहला ऑप्टो-माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक रिसर्च सेंटर बनाएगा
सीएसआईआर-सीएसआईओ के ऑप्टो-माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक रिसर्च सेंटर की नींव 5 अगस्त 2025 को रखी गई थी। इस सेंटर का उद्देश्य सेमीकंडक्टर पैकेजिंग में स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाना है। शुरुआती चरण में स्मार्ट उपकरण के लिए मिनी-डिस्प्ले असेंबली, उनके परीक्षण और पैकेजिंग पर ध्यान दिया जाएगा; और दीर्घकालिक लक्ष्य पूरी तरह से स्वदेशी हेड-अप डिस्प्ले टेक्नोलॉजी विकसित करना है।
उत्तरकाशी बाढ़ में तलाश और बचाव के कार्यों के लिए सीएसआईआर-एनजीआरआई के ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल
सीएसआईआर-एनजीआरआई ने उत्तरकाशी में अचानक आई बाढ़ में मिट्टी और मलबे के ढेर में दबे लोगों का पता लगाने के लिए अपनी एडवांस्ड ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। इस टेक्नोलॉजी ने 2.5-3 मीटर की गहराई पर 20 ज़रूरी जगहों की पहचान करने में मदद की, जिससे इलाके में विशेष बचाव अभियान का मार्गदर्शन किया गया। इस अभियान ने एनडीआरएफ, सेना और एसडीआरएफ के बचाव कार्यों में मदद की।
सीएसआईआर- सीआईएमएपी ने मिलावट का पता लगाने के लिए एआई-आधारित समाधान विकसित किया
सीएसआईआर- सीआईएमएपी ने हल्दी, अश्वगंधा और तुलसी जैसे औषधीय पौधों में मिलावट का पता लगाने के लिए एआई-आधारित समाधान विकसित किया है। यह मशीन लर्निंग-गाइडेड तकनीक खास केमिकल फिंगरप्रिंटिंग के लिए एआई को हाई-रिज़ॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री के साथ जोड़ती है। यह तरीका पौधे की भौगोलिक उत्पत्ति, किस्म, पौधे के हिस्सों और नमूने में मिलावट की पहचान करने में 98% से ज़्यादा सटीकता का दावा करता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नियामकों, उ़द्योग जगत और निर्यातकों द्वारा उत्पाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है।
सीएसआईआर-सीसीएमबी ने तेज़ी से फैलने वाले स्तन कैंसर से निपटने के लिए स्मार्ट एजेंट बनाए
सीएसआईआर-सीसीएमबी ने आईआईएसईआर कोलकाता के साथ मिलकर मेटल-बेस्ड एंटी-कैंसर एजेंट बनाए हैं जो तेज़ी से फैलने वाले तथा उपचार-प्रतिरोधी स्तन कैंसर कोशिकाओं को खास तौर पर लक्ष्य करके उन्हें खत्म कर सकते हैं। ये एजेंट दो अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं, जिनमें अनोखा सेल-डेथ पाथवे - फेरोप्टोसिस भी शामिल है। यह सफलता ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर के इलाज के लिए अच्छा विकल्प देती है, जो सबसे मुश्किल और अंतिम अवस्था के कैंसर प्रकारों में से एक है, और इसमें उन कैंसरों के लिए भी क्षमता है जिन पर पारंपरिक इलाज का असर नहीं होता।
विशाखापत्तनम में सीएसआईआर-एनएमएल टेक्नोलॉजी से परिचालित नया ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण संयंत्र
विशाखापत्तनम में आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन (एएमटीजेड) परिसर में एक नए ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण संयंत्र का उद्घाटन किया गया, जिसमें सीएसआईआर-एनएमएल की स्वदेशी ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। यह सुविधा कीमती धातुओं और बिक्री योग्य उत्पादों की रिकवरी में मदद करती है, जिससे ज़ीरो-वेस्ट सिद्धांतों और सतत विकास को बढ़ावा मिलता है।
सीएसआईआर-सीजीसीआरआई ने ऊतक पुनर्जनन के लिए इलेक्ट्रोस्पन बायोएक्टिव ग्लास (ईबीजी) बनाया
सीएसआईआर-सीजीसीआरआई ने उन्नत ऊतक पुनर्जनन के लिए इलेक्ट्रोस्पन बायोएक्टिव ग्लास (ईबीजी) बनाया है, जो घाव की देखभाल के संबंध में एक बड़ी सफलता है। ईबीजी ड्रेसिंग ने डायबिटिक पैर के बड़े अल्सरों को एक हफ़्ते के अंदर ठीक करने की क्षमता दिखाई है, और आवारा जानवरों पर पूर्व नैदानिक परीक्षणों में बिना निशान के रिकवरी देखी गई है। यह कम लागत वाली, देसी टेक्नोलॉजी महंगी फार्मास्यूटिकल ड्रेसिंग का एक सस्ता विकल्प प्रदान करती है, और इंसानों पर इस्तेमाल के लिए फार्मास्यूटिकल साझेदार के साथ इसके अभी क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में सीएसआईआर प्रौद्योगिकी पर आधारित मॉडल रेज़िलिएंट विलेज का विकास
भूस्खलन की आशंका वाले हिमाचल प्रदेश के सोलन क्षेत्र में अधोसंरचना को फिर से बनाने के लिए बद्दी के सिल/सुनानी में मॉडल रेज़िलिएंट विलेज के विकास की परियोजना शुरू की गई। यह परियोजना सीएसआईआर, हिमाचल प्रदेश सरकार, बाल रक्षा भारत और ज़ी एंटरटेनमेंट का साझा प्रयास है, जो आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करती है। मॉडल रेज़िलिएंट विलेज का पहला चरण औपचारिक रूप से सोलन के जिला अधिकारी (डीएम) को सौंप दिया गया है। सीएसआईआर - सीबीआरआई ने समुदाय के लिए साक्ष्य-आधारित लचीलापन उपायों को मुमकिन बनाने के लिए क्षेत्र जाँच, भू-तकनीकी अध्ययन और भूमि या ज़मीन में होने वाली हलचल के विश्लेषण सहित पूरी तकनीकी मदद दी। खास बात यह है कि कार्यान्वयन भागीदार बाल रक्षा भारत को 12 सितंबर 2025 को बी वोकल कोलैबोरेटिव सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) अवार्ड्स 2025 में विजेता (संरक्षक श्रेणी) के तौर पर सम्मानित किया गया है, जो इस पहल के सहयोगपूर्ण प्रभाव को दिखाता है।

सीएसआईआर-सीआईएमएफआर नियंत्रित ब्लास्टिंग टेक्नोलॉजी ने नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनएमआईए) का निर्माण सक्षम बनाया
सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने एनएमआईए के लिए 92 मीटर ऊंची उल्वे पहाड़ी को समतल करने और उल्वे नदी का रास्ता मोड़ने में मदद की। सुपर-कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग से 62 मिलियन क्यूबिक मीटर चट्टान हटाई गई और आस-पास के गांवों और हाई-टेंशन लाइनों को सुरक्षित रखा गया।
सीएसआईआर-एनजीआरआई ने रेत के बांधों में क्वार्ट्ज़ “क्लॉक” का इस्तेमाल कर पुराने भूकंपों को डिकोड किया
सीएसआईआर-एनजीआरआई के शोधकर्ताओं ने रेत के बांधों से क्वार्ट्ज़ के कणों में ल्यूमिनेसेंस सिग्नल का इस्तेमाल करके पुराने भूकंपों के समय का पता लगााय। ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस (ओएसएल) ने पिछली भूकंपीय गतिविधियों का सटीक समय बताया। पूर्वोत्तर भारत के रेत के बांधों पर किए गए अध्ययन ने पुराने भूकंपों के समय का पता लगाया।
सीएसआईआर-सीबीआरआई ने अत्यधिक -ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिए सोलर एसी-कम-वॉटर हीटर विकसित किया
सीएसआईआर -केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) ने एक हाइब्रिड सौर प्रणाली डिज़ाइन की है, जो पानी गर्म करने और कमरों को ठंडा करने का कार्य करती है, और यह अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। यह प्रणाली 70% तक ऊर्जा बचत प्राप्त करती है और इसकी लागत लगभग 75,000 रूपये है, जो समान तकनीकों की तुलना में लगभग 40% कम है। इस प्रणाली को हिमाचल प्रदेश के कल्पा और लेह (12,000 फुट की ऊँचाई पर) सफलतापूर्वक स्थापित किया जा चुका है, जहाँ यह –40°C तक के तापमान में भी प्रभावी ढंग से कार्य कर रही है।
सीएसआईआर-एनईआईएसटी ने भारत की पहली स्वदेशी कैफीन-रहित ब्लैक टी बनाई
सीएसआईआर-एनईआईएसटी, जोरहाट ने ब्लैक टी के लिए भारत की पहली स्वदेशी कैफीन-रहित प्रक्रिया विकसित की, जिससे 95% से ज़्यादा कैफ़ीन हटा दिया गया। यह तकनीक नई दिल्ली में सीएसआईआर के 84वें स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में मेसर्स जालान इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (असम) और मेसर्स गंगवाल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड (मुंबई) को हस्तांतरित की गई। असम डिब्रूगढ़ के साउथ जालान नगर टी एस्टेट में भारत की पहली कैफीन-रहित ब्लैक टी फ़ैक्टरी लगाएगा।
सीएसआईआर-आईजीआईबी ने सिकल सेल बीमारी के लिए भारत की पहली स्वदेशी सीआरआईएसपीआर जीन थेरेपी विकसित की
सीएसआईआर-आईजीआईबी ने सिकल सेल बीमारी के लिए भारत की पहली देसी सीआरआईएसपीआर –आधारित थेरेपी बीआईआरएसए 101 बनाई। यह कामयाबी ज़रूरतमंद जनजातीय आबादी के लिए किफायती जीन एडिटिंग सॉल्यूशन देती है। प्रौद्योगिकी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) को हस्तांतरित किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर, कम लागत में नैदानिक उपयोग संभव हुआ।
प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय आयोजन, कार्यक्रम और लॉन्च
मुंबई में भारत के अपनी तरह के प्रथम ‘सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स’ का शुभारंभ
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई में भारत के पहले ‘सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स’ का आभासी रूप से उद्घाटन किया, जो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस कॉम्प्लेक्स का उद्देश्य उद्योग जगत के बीच सहयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना है, इसके लिए सीएसआईआर और आईआईटी बॉम्बे और एनआरडीसी जैसे संस्थानों के बीच 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस सुविधा में 24 इनक्यूबेशन लैब और ऑफिस स्पेस शामिल हैं, जिन्हें स्टार्टअप, एमएसएमई और डीप-टेक कंपनियों की सहायता करने और अलग-अलग क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-एनईआईएसटी में इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन कॉम्प्लेक्स (आईआईसीओएन) का उद्घाटन किया।
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने असम के जोरहाट में सीएसआईआर - उत्तर पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-एनईआईएसटी) में इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन कॉम्प्लेक्स (आईआईसीओएन) का उद्घाटन किया। यह पूर्वोत्तर भारत में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आईआईसीओएन सुविधा उद्यमियों और किसानों की सहायता करने, कारोबार के जोखिम कम करने और उत्पादन रणनीतियों को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए 27 उन्नत प्रौद्योगिकियों की पेशकश करती है।
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-सीजीसीआरआई द्वारा आयोजित आईसीजी 2025 का उद्घाटन किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कोलकाता के बिस्वा बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में XXVII इंटरनेशनल कांग्रेस ऑन ग्लास (आईसीजी) 2025 का उद्घाटन किया, जिसमें 2014 से भारत के प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास पर ज़ोर दिया गया। सीएसआईआर-सीजीसीआरआई द्वारा आयोजित इस आयोजन में 550+ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें 150 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी और आईसीजी अध्यक्ष हिरोयुकी इनौए शामिल थे। माननीय मंत्री ने भारत की वैज्ञानिक स्वायत्तता और अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, ऑप्टिक्स और रक्षा में स्ट्रेस्ड ग्लास की भूमिका पर ज़ोर दिया, और इसे अपार वाणिज्यिक क्षमता वाला परिवर्तनकारी पदार्थ करार दिया।
सीएसआईआर-टीकेडीएल ने फिलीपींस के बौद्धिक संपदा कार्यालय को पहुँच प्रदान की
फिलीपींस के बौद्धिक संपदा कार्यालय (आईपीओपीएचएल) ने सीएसआईआर की पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) तक विशेष पहुँच प्राप्त की है। उसे यह पहुँच 20 जनवरी 2025 को एक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद प्राप्त हुई, जो सीएसआईआर-टीकेडीएल की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ। इस कार्यक्रम में भारत और फिलिपींस के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस समझौते के तहत आईपीओपीएचएल को भारतीय पारंपरिक दवा से जुड़े पेटेंट आवेदनों की जाँच करने की अनुमति मिलेगी, जिससे गलत पेटेंट मंजूरी को रोका जा सकेगा। इस समझौते के साथ ही आईपीओपीएचएल उन 16 अन्य राष्ट्रीय पेटेंट कार्यालयों में शामिल हो गया है जिन्हें टीकेडीएल तक पहुँच प्राप्त है। इससे भारत के पारंपरिक ज्ञान की वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी।
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने जम्मू में राष्ट्रीय स्टार्टअप महोत्सव का आयोजन किया
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने जम्मू में राष्ट्रीय स्टार्टअप महोत्सव का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया और इस क्षेत्र में स्टार्टअप के विकास को रेखांकित किया। इसमें पूरे भारत से 50 से ज़्यादा स्टार्टअप ने हिस्सा लिया, जिसमें स्थानीय युवाओं, महिलाओं और किसानों के सशक्तिकरण पर खास ध्यान दिया गया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी की प्रौद्योगिकी पर आधारित भारत का पहला ग्रीन स्टीविया प्रसंस्करण संयंत्र हिमाचल प्रदेश के ऊना में शुरू हुआ
आरजे सेंट्स ने सीएसआईआर-आईएचबीटी की प्रौद्योगिकी पर आधारित एक अनोखा ग्रीन स्टीविया प्रसंस्करण संयंत्र हिमाचल प्रदेश के ऊना में शुरू किया। यह संयंत्र स्टीविया की सूखी पत्तियों को स्टीवियोल ग्लाइकोसाइड पाउडर में प्रोसेस करता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए प्राकृतिक, कम कैलोरी वाला स्वीटनर है।
माननीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-आईएमटेक और सीएसआईआर-आईएचबीटी में सूक्ष्मजीव और जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति की समीक्षा की
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर – सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएमटेक) के सूक्ष्मजीव भंडार की समीक्षा की तथा जैव प्रौद्योगिकी और औद्योगिक प्रगति में सूक्ष्मजीवी प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ज़ोर दिया। सीएसआईआर-आईएमटेक के माइक्रोबियल टाइप कल्चर कलेक्शन (एमटीसीसी) में 14,000 से ज़्यादा सूक्ष्मजीवी उपभेद हैं, जो अनुसंधान, स्वास्थ्य सेवा और नियामक निकायों का समर्थन करते हैं। माननीय मंत्री ने सीएसआईआर-आईएचबीटी की नई अनुसंधान सुविधा का आभासी रूप से उद्घाटन करते हुए पालमपुर में एक ईएमबीओ वर्कशॉप, एक उद्योग-किसान-शिक्षा जगत की बैठक और एक ट्यूलिप गार्डन भी लॉन्च किया।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई के ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर रोड शो को हरी झंडी दिखाई
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सीएसआईआर-सीएमईआरआई के ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर के रोड शो को हरी झंडी दिखाई। ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर रोड शो दिल्ली से जम्मू और फिर त्रिवेंद्रम तक यात्रा करेगा, जिसमें पूरे भारत में 12 प्रमुख स्थानों पर हितधारक शामिल होंगे।

सीएसआईआर सलाहकार बोर्ड की बैठक
सीएसआईआर सलाहकार बोर्ड की बैठक 22 मार्च 2025 को प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला की अध्यक्षता में हुई। सीएसआईआर सलाहकार बोर्ड, जिसमें जाने-माने वैज्ञानिक, प्रमुख उद्योगपति और नीति निर्माता शामिल हैं, सीएसआईआर के अनुसंधान को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। चर्चा प्रौद्योगिकी विकास, नवाचारों के व्यावसायीकरण, संस्थानों के बीच सहयोग, तथा मानव संसाधन रणनीतियों को सुदृढ़ बनाने पर केंद्रित रही। बोर्ड ने सीएसआईआर की हाल की उपलब्धियों की प्रशंसा की और भविष्य की कोशिशों को उभरते उभरते राष्ट्रीय और वैश्विक रुझानों के साथ जोड़ने पर ज़ोर दिया।
सीएसआईआर ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया
सीएसआईआर ने 8 मार्च 2025 को माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की गरिमापूर्ण मौजूदगी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों (सीएसआईआर - सीएमईआरआई का ई-ट्रैक्टर, सीएसआईआर - आईआईसीटी की एजीआर टेक्नोलॉजी और सीएसआईआर - आईआईआईएम के लैवेंडर उत्पादों) की महिला उद्यमियों ने कामयाबी की दास्तान के बारे में चर्चा की और सीएसआईआर की महिला कर्मचारियों ने ‘महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा विकसित की गई सीएसआईआर प्रौद्योगिकी’ पर एक स्किट प्रदर्शित की। इस कार्यक्रम के दौरान चंद्रयान-3 मिशन की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्रीमती कल्पना कलाहस्ती को सम्मानित किया गया।

विश्व-स्तरीय प्रायोगिक नमक संयंत्र हेतु सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई के एकीकृत नमक प्रौद्योगिकी एवं उन्नत अनुसंधान केंद्र (सीआई-स्टार्स) का उद्घाटन
भावनगर में सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई में अत्याधुनिक प्रायोगिक नमक संयंत्र सुविधा के लिए एकीकृत नमक प्रौद्योगिकी एवं उन्नत अनुसंधान केंद्र (सीआई-स्टार्स) का उद्घाटन किया गया। 168 एकड़ से ज़्यादा में फैली यह विश्व-स्तरीय सुविधा का उद्देश्य नवीन और उन्नत प्रौद्योगिकियों के ज़रिए नमक के उत्पादन को अनुकूलित करना है। यह नमक का उत्पादन बढ़ाने, संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने और जलवायु के असर को कम करने के उद्देश्य से नई प्रौद्योगिकी प्रदर्शित करने के एक मंच के तौर पर काम करती इस सुविधा में सटीक नियंत्रित ब्राइन (नमकीन पानी) प्रवाह, प्रभावी वर्षा जल प्रबंधन, खनिजों की पुनःप्राप्ति, और सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग के लिए अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं। प्रयोगशाला द्वारा अपने स्थापना दिवस समारोह के दौरान की गई घोषणा के अनुसार, इस सुविधा से उत्पादित नमक की पहली खेप सीएसआईआर के कर्मचारियों को वितरित की जाएगी।
सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर में बायोचार यूनिट का आरंभ
माननीय कपड़ा मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने ग्रामीण जैव-अर्थव्यवस्था और टिकाऊ प्रौद्योगिकी का समर्थन करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी में बायोचार और कंपोस्ट बूस्टर यूनिट का उद्घाटन किया।

माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने भारत में व्यक्तिगत चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर- आईजीआईबी में नेशनल बायोबैंक लॉन्च किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर- आईजीआईबी में 10,000 भारतीयों के जीनोमिक, नैदानिक और जीवनशैली से संबंधित डेटा के साथ नेशनल बायोबैंक का उद्घाटन किया। बायोबैंक भारत के व्यक्तिगत, जीन-आधारित निदान और उपचार रणनीतियों की ओर बढ़ने में मदद करता है और कैंसर, डायबिटीज और दुर्लभ विकारों जैसी बीमारियों के जल्द निदान और उनसे बेहतर ढंग से निपटने में मदद करेगा। बायोबैंक सीएसआईआर की फेनोम इंडिया अध्ययन का मुख्य आधार है जो भूगोल और जातीयता के अनुसार स्वास्थ्य को ट्रैक करता है।
सीएसआईआर ने स्कूली विद्यार्थियों के लिए माननीय प्रधानमंत्री के ‘वैज्ञानिक के रूप में एक दिन’ के आह्वान का शुभारंभ किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के ‘वैज्ञानिक के रूप में एक दिन’ (ओडीएएस) कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसका उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाना और उन्हें अनुसंधान प्रयोगशाला में प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करना है। एक हफ़्ते तक चले इस कार्यक्रम में भारत भर में 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में लगभग 14,000 विद्यार्थियों ने असल मायनों में विज्ञान का अनुभव किया। सीएसआईआर -जिज्ञासा के तहत ओडीएएस पहल, मन की बात में माननीय प्रधानमंत्री के विज़न से प्रेरित है, जिसमें विद्यार्थियों को वैज्ञानिक की ज़िंदगी को खुद अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

सीएसआईआर - सीजीसीआरआई ने उद्योग साझेदारी पर फोकस के साथ 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर - सीजीसीआरआई के प्लैटिनम जुबली समारोह में शिरकत की और भारत की प्रगति में संस्थान के वैज्ञानिक नेतृत्व और भूमिका की प्रशंसा की। सीएसआईआर - सीजीसीआरआई के प्लैटिनम जुबली समारोह ने ग्लास और सिरेमिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोगशाला द्वारा राष्ट्र के लिए किए गए 75 वर्षों के योगदान को चिह्नित किया।
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लैवेंडर फेस्टिवल 2025 का उद्घाटन किया
लैवेंडर फेस्टिवल 2025 का उद्घाटन माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने 1 जून को जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह में किया। इसमें दर्शाया गया कि किस प्रकार सीएसआईआर-आईआईआईएम की लैवेंडर खेती ने इस इलाके को एक फलते-फूलते ग्रामीण स्टार्टअप हब में बदल दिया, जिसमें 50 डिस्टिलेशन यूनिट कई राज्यों को सप्लाई कर रही हैं और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के शिष्टमंडल को प्रेरित कर रही हैं।
सीएसआईआर प्रयोगशालाओं ने हैदराबाद, जम्मू और लखनऊ में स्टार्टअप कॉन्क्लेव – 2025 का आयोजन किया
- माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 22 और 23 अप्रैल को हैदराबाद में सीएसआईआर-आईआईसीटी में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, यानी सीएसआईआर-आईआईसीटी, सीएसआईआर-एनजीआरआई और सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा आयोजित किए गए स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव हैदराबाद 2025 (एससीएच-2025) का उद्घाटन किया। कॉन्क्लेव का उद्देश्य एक मज़बूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बनाना, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना था। कॉन्क्लेव की थीम " इनोवेशन को बढ़ावा देना, इकोसिस्टम को जोड़ना " थी, जिसमें आज की ज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप्स की परिवर्तनकारी भूमिका को शामिल किया गया था।
- महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस और माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई में सीएसआईआर स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया। इसे सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, यानी सीएसआईआर-एनआईओ, सीएसआईआर-एनसीएल और सीएसआईआर-एनईईआरआई ने मिलकर 21-22 मई 2025 को आयोजित किया था। कॉन्क्लेव में समुद्री रोबोटिक्स, समुद्री जैवविनिर्माण और पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में नवाचार पर बात की गई। शार्क टैंक शैली की पिचिंग, नवाचार प्रदर्शन, और स्टार्टअप, फंडर्स तथा नीति निर्माताओं की गहन भागीदारी के साथ, यह कॉन्क्लेव प्रौद्योगिकी-आधारित उद्यमिता में क्रांतिकारी बदलाव के लिए मंच तैयार करने वाला साबित हुआ।
- उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 14 सितंबर 2025 को लखनऊ में सीएसआईआर स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया। इसका आयोजन सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, यानी सीएसआईआर-एनबीआरआई, सीएसआईआर-आईआईटीआर, सीएसआईआर-सीआईएमएपी और सीएसआईआर-सीडीआरआई ने किया था। कॉन्क्लेव का उद्देश्य एक मज़बूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बनाना, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना था। दो दिन के कॉन्क्लेव में, शोध संस्थानों, स्टार्टअप और नीति निर्माताओं ने मिलकर यह दिखाया कि कैसे हर्बल फॉर्मूलेशन प्रयोगशालाओं से बाज़ार तक पहुँच रहे हैं और भारत को हर्बल स्वास्थ्य देखभाल नवाचार के का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में तेजी लाने में मदद कर रहे हैं।
सीएसआईआर ने 84वां स्थापना दिवस मनाया
सीएसआईआर ने 26 सितंबर 2025 को अपना 84वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह मौजूद थे। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के पीएसए प्रो. ए. के. सूद और दूसरे गणमान्य हस्तियाँ भी मौजूद थी। यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन के पूर्व निदेशक डॉ. सेतुरामन पंचनाथन ने स्थापना दिवस पर भाषण दिया। इस अवसर पर सीएसआईआर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कमिटमेंट्स 2030 जारी किया गया।
समारोह के दौरान, सीएसआईआर ने 24-26 सितंबर 2025 तक दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में एक मॉडल सुपर स्टोर और प्रदर्शनी लगाई, जिसमें सीएसआईआर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके बनाए गए बाजार के लिए तैयार उत्पादों की एक बड़ी रेंज दिखाई गई। सुपर स्टोर का उद्घाटन 24 सितंबर 2025 को माननीय डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया, जिससे लोगों को विज्ञान को रोज़मर्रा की ज़िंदगी के करीब लाने वाले उत्पादों को अनुभव करने और खरीदने का अवसर मिला।


सीएसआईआर-आईएचबीटी ने दिल्ली में एनडीएमसी के देसी ट्यूलिप उगाने के अभियान में सहायता दी
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) इस सर्दी के मौसम में 50,000 से ज़्यादा देसी ट्यूलिप लगाने वाली है, जिनमें से 21,000 ट्यूलिप बल्ब सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने विकसित किए हैं। इस पहल का उद्देश्य बाहर से लाए गए ट्यूलिप बल्ब पर निर्भरता कम करना और स्थानीय प्रजनन को बढ़ावा देना है।
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान सीएसआईआर-एनआईआईएसटी में नवाचार केंद्र का उद्घाटन किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान सीएसआईआर-एनआईआईएसटी में नवाचार केंद्र और गोल्डन जुबली बिल्डिंग का उद्घाटन किया और नवाचार पर आधारित अर्थव्यवस्था और निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी की अपील की। सीएसआईआर-एनआईआईएसटी ने विद्युत स्वास्थ्य भी लॉन्च किया, जो मानव ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने वाला एक पेडल-असिस्टेड सिस्टम है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने कठुआ में उत्तर भारत का पहला बायोनेस्ट इनक्यूबेटर लॉन्च किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कठुआ के घट्टी में औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी पार्क में सीएसआईआर-आईआईआईएम के बायोनेस्ट इनक्यूबेटर का उद्घाटन किया। यह इनक्यूबेटर जैव प्रौद्योगिकी, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और इससे जुड़े नवाचार क्षेत्रों में स्टार्टअप को बढ़ावा देगा। यह सुविधा हर साल 25 स्टार्टअप की उन्नत अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना और मेंटरशिप प्रोग्राम के साथ सहायता करती है।
मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए भारत की तैयारियों को मजबूती प्रदान करने के लिए बेंगलुरु में सीएसआईआर-इसरो स्पेस मीट 2025 का आयोजन
सीएसआईआर और इसरो ने मानव अंतरिक्ष उड़ान अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए स्पेस मीट 2025 का आयोजन किया। सीएसआईआर -एनएएल ने इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जिसमें भारत के क्रू मिशन को सपोर्ट करने वाली एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला गया। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रशिक्षण, मिशन की तैयारी और मानव-केंद्रित अनुसंधान के बारे में अपने अनुभव साझा किए। ईएसए और जेएएक्सए के वैश्विक विशेषज्ञों ने फिज़ियोलॉजी और सहयोगात्मक अंतरिक्ष विज्ञान पर चर्चा को बेहतर बनाया। इस कार्यक्रम ने भारत के दीर्घकालिक अंतरिक्ष लक्ष्यों के लिए मल्टी-एजेंसी सहयोग को मज़बूत किया।
समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
सीएसआईआर-एनएएल ने उन्नत हवाई गतिशीलता नवाचार को बढ़ावा देने के लिए टाटा एलेक्सी के साथ साझेदारी की
सीएसआईआर –राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनएएल) और टाटा एलेक्सी ने यूएवी, अर्बन एयर मोबिलिटी (यूएएम), और ईवीटीओएल एयरक्राफ्ट इनोवेशन पर मिलकर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी सीएसआईआर-एनएएल की वैमानिकी विशेषज्ञता और टाटा एलेक्सी की एआई/एमएल, इलेक्ट्रिफिकेशन, सेंसर फ्यूजन और सर्टिफिकेशन प्रोसेस में क्षमता का लाभ उठाती है। मुख्य प्रौद्योगिकियों में एयरोडायनामिक डिज़ाइन, स्वायत्त प्रणालियाँ और सुरक्षित संचार शामिल हैं, जो मानव चालित और मानव-रहित दोनों का समर्थन करती हैं।
सीएसआईआर-एसईआरसी ने एमएसएमई को सिक्योरिटी बूथ टेक्नोलॉजी हस्तांतरित की
सीएसआईआर की "100 डेज़, 100 टेक्नोलॉजी" पहल के हिस्से के तहत, सीएसआईआर - संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र (सीएसआईआर-एसईआरसी) ने सहगल डोर्स को एक हाई-वेलोसिटी मल्टी-हिट रेजिस्टेंट मूवेबल प्रोटेक्टिव बूथ टेक्नोलॉजी हस्तांतरित की है। सिक्योरिटी बूथ में मॉड्यूलर स्टील फाइबर-रीइन्फोर्स्ड सीमेंटिशियस कम्पोजिट पैनल हैं, जो 7.62 एपी प्रोजेक्टाइल के खिलाफ एनआईजे लेवल-III सुरक्षा प्रदान करते हैं। त्वरित असेंबली, आसान मरम्मत और गतिशीलता के लिए डिज़ाइन किया गया यह बूथ देश भर में महत्वपूर्ण स्थानों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
सीएसआईआर-एनएएल और बीईएल ने एयरोस्पेस और रक्षा नवाचार के लिए साझेदारी की
सीएसआईआर-एनएएल ने एयरो इंडिया 2025 के दौरान लॉइटरिंग म्यूनिशन और हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म स्टेशनों के लिए एकीकृत एयर स्पेस प्रबंधन और सेंसर डेवलपमेंट पर सहयोग के लिए बीईएल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए । इस साझेदारी का उद्देश्य उन्नत अनुसंधान एवं विकास के ज़रिए स्वदेशी एयरोस्पेस और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है। समझौता ज्ञापन से सैन्य और असैन्य एयरोस्पेस एप्लीकेशन दोनों को फायदा पहुंचाने वाले नवाचार को बढ़ावा मिलने की आशा है।
सीएसआईआर-एनजीआरआई और सीएसआईआर - एनआईओ ने रूस के पैसिफिक ओशनोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर काम किया
सीएसआईआर के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईओ) और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) ने समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग के लिए रूस के वी.आई. इल'इचेव पैसिफिक ओशनोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी सतत विकास, समुद्र के प्रदूषण से निपटने, जलवायु परिवर्तन का समाधान करने और इंटीग्रेटेड समान्वित सैंपलिंग और उन्नत भूवैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से समुद्री संसाधन अन्वेषण को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देती है। यह सहयोग आपसी आर्थिक और वैज्ञानिक हितों के लिए विशेषज्ञता साझा करके क्षमता निर्माण और कौशल विकास को बढ़ाएगा।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने चेन्नई की नागरिक एजेंसियां के साथ मिलकर मैनुअल तरीके से नाली की सफाई की जगह बेहतर मैकेनिकल प्रणाली लाने पर काम किया
सीएसआईआर-सीएमईआरआई चेन्नई की नागरिक एजेंसियों के साथ मिलकर मैनुअल तरीके से नाली की सफाई की जगह बेहतर मैकेनिकल प्रणाली लाने पर काम कर रहा है। संस्थान ने एक पेटेंटेड ड्रेन क्लीनिंग मशीन बनाई है जो 300एमएम व्यास और 100एम लंबाई तक के सीवर ब्लॉकेज को ठीक कर सकती है। इस नई प्रणाली का उद्देश्य शहरी सफाई में सुरक्षा, कुशलता और सुलभता बढ़ाना है, और हाथ से गंदगी साफ करने की लंबे समय से चली आ रही समस्या का हल निकालना है।
सीएसआईआर-एनएएल ने हंसा – 3 (एनजी) प्रशिक्षक विमान के वाणिज्यिक विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए
सीएसआईआर-एनएएल ने भारत में हंसा – 3 (एनजी) प्रशिक्षक विमान के वाणिज्यिक विनिर्माण के लिए एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस अवसर पर माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और माननीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री के. राममोहन नायडू मौजूद थे। स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्माण किए गए सीएसआईआर के हंसा – 3 (एनजी) टू-सीटर प्रशिक्षक विमान की प्रौद्योगिकी का लाइसेंस मेसर्स पायनियर क्लीन एम्प्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। यह पहली बार होगा जब देश में विकसित किया गया विमान भारत में बनाया जाएगा। सीएसआईआर-एनएएल को 114 हंसा– 3 (एनजी) विमान के लिए आशय (एलओआई) मिले हैं।
सीएसआईआर-आईएमएमटी ने एल्युमीनियम अपशिष्ट से बैटरी-ग्रेड ग्रेफाइट की पुन: प्राप्ति के लिए वेदांता एल्युमीनियम के साथ मिलकर कार्य किया
सीएसआईआर-आईएमएमटी और वेदांता एल्युमीनियम ने एल्युमीनियम अपशिष्ट से बैटरी-ग्रेड ग्रेफाइट की पुन: प्राप्ति के लिए मिलकर कार्य करते हुए 99% शुद्ध ग्रेफाइट निकालने में सक्षम तकनीक का इस्तेमाल किया। यह प्रकिया ग्रेफाइट की पुन: प्राप्ति के लिए स्पेंट पॉट लाइनिंग और शॉट ब्लास्ट डस्ट का इस्तेमाल करती है। यह पहल भारत की सर्कुलर इकॉनमी और स्थिरता के लक्ष्य में सहायता प्रदान करती है और आयातित ग्रेफाइट पर 70% से ज़्यादा निर्भरता कम करने के लक्ष्य को पूरा करती है।
पूर्वोत्तर विनिर्माण के लिए वीगन लेदर प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण
सीएसआईआर-एनआईआईएसटी ने पौधों पर आधारित वीगन लेदर प्रौद्योगिकी को डीएसटी के उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं प्रसार केंद्र (नेक्टर) को वीगन लेदर यूनिट बनाने के लिए हस्तांतरित किया। यह यूनिट कृषि-अपशिष्ट को टिकाऊ चमड़ा उत्पाद में बदलेगी, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों में किसानों, एमएसएमई और महिलाओं के एसएचजी को मज़बूती मिलेगी।
केरल में पट्टे पर ली गई ज़मीन पर प्रमुख नवाचार केंद्र
केरल मंत्रिमंडल ने 215 करोड़ रुपये की लागत से नवाचार, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता केंद्र की स्थापना के लिए सीएसआईआर-एनआईआईएसटी को 90 साल के लिए बिना किसी वित्तीय ज़िम्मेदारी के 10 एकड़ ज़मीन पट्टे पर दी। इस परियोजना का उद्देश्य अंतरर्विषयक अनुसंधान और औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
सीएसआईआर-आईएमएमटी और डीबीटी-आईएलएस ने समुद्री जैवविनिर्माण सुविधा के लिए मिलकर काम किया; माननीय केंद्रीय मंत्री ने शिलान्यास किया
माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, ने सीएसआईआर-आईएमएमटी में समुद्री जैवविनिर्माण सुविधा का शिलान्यास किया, जिसे डीबीटी के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) के साथ मिलकर बनाया गया है। माननीय मंत्री ने सीएसआईआर-आईएमएमटी में पीएमएन फेज II, वर्टिकल शाफ्ट पायलट प्लांट एंड सस्टेनेबल रीसाइक्लिंग सेंटर का भी उद्घाटन किया।
सीएसआईआर को 2277.397 करोड़ रुपये की योजना को कैबिनेट की मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 सितंबर 2025 को पंद्रहवें वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26) के लिए 2277.397 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ “क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास” पर डीएसआईआर/सीएसआईआर की योजना को मंजूरी दी। सीएसआईआर द्वारा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, राष्ट्रीय महत्व/प्रतिष्ठित संस्थानों और विश्वविद्यालयों में लागू की गई इस योजना का उद्देश्य चार उप-योजनाओं : (i) डॉक्टरेट और पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप (ii) एक्स्ट्राम्यूरल रिसर्च /एमेरेटस साइंटिस्ट /भटनागर फेलोशिप; (iii) उत्कृष्टता को प्रोत्साहन और मान्यता प्रदान करने के लिए पुरस्कार ; और (iv) ज्ञान साझा करने के लिए यात्रा और संगोष्ठी अनुदान - के ज़रिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित उच्च-गुणवत्ता वाले मानव संसाधनों का विस्तार करना और अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम को मज़बूत बनाना है ।
पुरस्कार और सम्मान
सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू को चौथे भारत उद्यामिता शिखर सम्मेलन में ‘भारत इनक्यूबेटर अवॉर्ड 2025’ प्राप्त हुआ
सीएसआईआर-आईआईआईएम के टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) को नई दिल्ली में चौथे भारत भारत उद्यामिता शिखर सम्मेलन में नवाचार को बढ़ावा देने और स्टार्ट-अप्स को सहायता प्रदान करने में शानदार भूमिका निभाने के लिए सम्मानित किया गया। इनक्यूबेटर ने 125 से ज़्यादा स्टार्ट-अप्स की मदद की है, जिनमें से 20+ ने कृषि प्रौद्योगिकी, पोषण, स्वास्थ्य सेवा, फाइटोफार्मा, एरोमा और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र में वाणिज्यिक उत्पादों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2025 से सम्मानित सीएसआईआर के विजेता
सीएसआईआर के दो वैज्ञानिकों, डॉ. एस. वेंकट मोहन (निदेशक, सीएसआईआर-एनईईआरआई) और डॉ. के. थंगराज (उत्कृष्ट वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीसीएमबी) को क्रमशः पर्यावरण विज्ञान और जैविक विज्ञान विषय में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार – विज्ञान श्री 2025 प्रदान किया गया। साथ ही, सीएसआईआर की एरोमा मिशन टीम को कृषि विज्ञान विषय के तहत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार – विज्ञान टीम अवार्ड 2025 के लिए चुना गया।

पीके/केसी/आरके
(रिलीज़ आईडी: 2206069)
आगंतुक पटल : 31
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