खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
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पीएमएफएमई योजना के सामने आई हुई चुनौतियां


पीएमएफएमई योजना के माध्यम से भारत के सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मजबूत बनाया जा रहा है

पीएमएफएमई योजना, भारत के सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को सुदृढ़ बना रही है

प्रविष्टि तिथि: 18 DEC 2025 2:07PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री जी की ओर से सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) को जून 2020 में केंद्र प्रायोजित योजना के तौर पर शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश के उन सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की मदद करना है जो प्रमुख तौर पर अनौपचारिक क्षेत्र में हैं और आमतौर पर क्रेडिट, प्रौद्योगिकी अपग्रेडेशन, मार्केटिंग लिंक और क्षमता निर्माण तक पहुंच की कमी से जूझते हैं। योजना के घटकों को सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की ओर से सामना की जाने वाली इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार किया गया है। मांग आधारित योजना होने के चलते, सबसे बड़ी चुनौती संभावित उद्यमियों की ओर से पर्याप्त संख्या में पूर्ण आवेदन प्राप्त करना और कार्यान्वयन बैंकों द्वारा उनकी मंजूरी सुनिश्चित करना है। खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं के लिए मॉडल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) की सलाह से तैयार की गई हैं और सभी की सुविधा के लिए योजना पोर्टल पर उपलब्ध हैं। राज्य के कार्यान्वयन विभागों/ एजेंसियों ने जिलों में पर्याप्त संख्या में जिला संसाधन व्यक्तियों (डीआरपी) की नियुक्ति की है, जिससे आवेदकों को आवेदन प्रक्रिया में मार्गदर्शन और सहायता दी जा सके, जो पूरी तरह से ऑनलाइन और सुगम है। इस योजना के कार्यान्वयन में कुल 12 राष्ट्रीय, 20 निजी और 165 अन्य बैंक भागीदार हैं, जिससे जनता को बड़े स्तर पर इसका लाभ मिल सके। आवेदकों को राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों (एसएलटीआई) के माध्यम से उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और ऐसे संस्थानों का एक समूह बनाया गया है जिसमें मास्टर ट्रेनर, जिला स्तरीय ट्रेनर और निजी प्रशिक्षण भागीदार शामिल हैं। उद्यमिता विकास के साथ ही, ये प्रशिक्षण कार्यक्रम आवेदकों को उचित परियोजना निर्माण में मदद करते हैं, जिससे बैंकों की ओर से परियोजना स्वीकृति की संभावना बढ़ जाती है। बजट का एक प्रतिशत राज्य स्तर पर उपयुक्त संचार माध्यमों के माध्यम से योजना के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने हेतु आवंटित किया गया है। योजना के प्रदर्शन में सुधार के लिए राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश सरकारों और भागीदार बैंकों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं।

पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत, स्वीकृत 76 इनक्यूबेशन केंद्रों में से 21 केंद्र कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और उनके संघों/ सहकारी समितियों/ सरकारी एजेंसियों को खाद्य प्रसंस्करण लाइन के साथ-साथ साझा इंफ्रास्ट्रक्चर/ वैल्यू चेन/ इनक्यूबेशन सेंटर लगाने के लिए पात्र परियोजना लागत के 35% की दर से अधिकतम 3 करोड़ रुपये की सीमा तक साझा सुविधा केंद्र (सीएफसी) की स्थापना के लिए मदद प्रदान की जाती है। सीएफसी की पर्याप्त क्षमता अन्य इकाइयों और आम जनता की ओर से किराये के आधार पर उपयोग के लिए उपलब्ध है।

यह योजना सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण में लगे लाभार्थियों के लिए उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) प्रशिक्षण प्रदान करती है। गुणवत्ता और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए, मास्टर प्रशिक्षकों को राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम), कुंडली और एनआईएफटीईएम, तंजावुर की ओर से प्रशिक्षित किया जाता है और खाद्य उद्योग क्षमता एवं कौशल पहल (एफआईसीएसआई) द्वारा प्रमाणित किया जाता है। ये मास्टर प्रशिक्षक, बदले में, जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करते हैं, जो एफआईसीएसआई द्वारा प्रमाणित होते हैं। इस योजना के अंतर्गत केवल प्रमाणित प्रशिक्षकों को ही प्रशिक्षण देने की अनुमति है।

राज्य स्तर पर, प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों (एसएलटीआई) की ओर से आयोजित और समन्वित किए जाते हैं, जबकि प्रशिक्षण के संचालन की निगरानी राज्य नोडल एजेंसी (एसएनए) की ओर से नियुक्त जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा की जाती है। इसमें प्रशिक्षण के संचालन का सत्यापन और लाभार्थियों का आंतरिक मूल्यांकन शामिल है, जिससे सीखने के परिणामों और प्रशिक्षण की प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके। इसके साथ ही, प्रशिक्षण मॉड्यूल और लाभार्थियों की उपस्थिति को मिलाकर सभी प्रशिक्षण संबंधी जानकारी समर्पित ऑनलाइन प्रशिक्षण पोर्टल पर रखी जाती है, और रिकॉर्ड के सफल अपडेशन और सत्यापन के बाद भागीदारी प्रमाण पत्र डिजिटल रूप से जारी किए जाते हैं।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एनआईएफटीईएम-कुंडली और एनआईएफटीईएम-तंजावुर की ओर से अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के सुझावों के साथ तैयार किया गया है, जिससे गुणवत्ता और प्रासंगिकता सुनिश्चित हो सके। राज्यों और अन्य हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, प्रशिक्षण सामग्री को वर्तमान जरूरतों और उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुसार लगातार अपडेट किया जाता है। एनआईएफटीईएम देश भर के सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के लिए नई खाद्य प्रौद्योगिकियों और संबंधित विषयों पर राष्ट्रीय स्तर के ऑनलाइन वेबिनार भी आयोजित करता है।

31 अक्टूबर 2025 तक, एनआईएफटीईएम ने लाभार्थियों के संपोषित शिक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए 779 ओडीओपी प्रशिक्षण मॉड्यूल, 199 प्रस्तुतियां, 192 वीडियो, 190 डीपीआर और 198 पुस्तिकाएं/ पाठ्यक्रम सामग्री तैयार की हैं।

इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों से मिले प्रस्तावों और व्यवहार्यता के आधार पर, उच्च मांग वाले ओडीओपी क्लस्टरों में इनक्यूबेशन सुविधाओं का विस्तार करना है। इसके साथ ही, यह योजना प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, उत्पाद विकास और परीक्षण सेवाओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और उद्योग निकायों के साथ सहयोग को प्रोत्साहन देती है।

यह जानकारी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/एमएम


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