विद्युत मंत्रालय
विश्वसनीय नवीकरणीय भविष्य को सशक्त बनाने के लिए ऊर्जा भंडारण क्षमताओं का विकास और उनका इस्तेमाल करना
प्रविष्टि तिथि:
18 DEC 2025 4:36PM by PIB Delhi
नवीकरणीय ऊर्जा की अनियमितता दूर करने और ग्रिड की स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत सरकार ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) और पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएँ (पीएसपी)सहित ऊर्जा भंडारण की तकनीकों के विकास और इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत, नियामक, मांग-पक्ष और आपूर्ति-पक्ष से संबंधित सिलसिलेवार समन्वित उपाय किए हैं। इस संबंध में किए गए उपायों का विवरण निम्नलिखित है।
भारत सरकार अपनी ऊर्जा-परिवर्तन रणनीति के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा के उच्च अनुपात वाले देशों की वैश्विक श्रेष्ठ पद्धतियों का सहारा ले रही है। अंतरराष्ट्रीय अनुभव दर्शाते हैं कि पंप्ड-हाइड्रो स्टोरेज, बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) और उन्नत ग्रिड-प्रबंधन प्रणालियाँ नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनशीलता और अनियमितता को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन पद्धतियों के अनुरूप, भारत में ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ जैसे कि फ्रीक्वेंसी कंट्रोल, वोल्टेज रेगुलेशन, पीक शिफ्टिंग, कंजेशन मैनेजमेंट और अलग-अलग टाइम स्केल पर ब्लैक-स्टार्ट सपोर्ट जैसे विविध टाइम स्केल पर सहायक ग्रिड सेवाएँ प्रदान करने के लिए तैयार की जा रही हैं।
तदनुसार, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सहायक सेवाएँ) विनियम, 2022 के अंतर्गत, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को निर्धारित शर्तों के अधीन सेकेंडरी रिज़र्व सहायक सेवाएँ और टेर्शियरी रिज़र्व सहायक सेवाएँ प्रदान करने का पात्र बनाया गया है, जिससे रीयल-टाइम ग्रिड स्थिरता और विश्वसनीय प्रणालीगत संचालन सुनिश्चित होता है। इसके अलावा, नवीकरणीय संसाधनों की निगरानी, पूर्वानुमान और समय निर्धारण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) स्थापित किए गए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा की अस्थिरता को प्रबंधित करने के लिए ऑटोमेटिक जनरेशन कंट्रोल (एजीसी) का उपयोग आपूर्ति और मांग के संतुलन के लिए किया जा रहा है।
सरकार ने आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण क्षमता के इस्तेमाल के लिए एक योजना की रूपरेखा तैयार की है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने नवीकरणीय ऊर्जा का विश्वसनीय एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए 2029-30 तक लगभग 336 जीडब्ल्यूएच और 2031-32 तक लगभग 411 जीडब्ल्यूएच ऊर्जा भंडारण क्षमता की आवश्यकता का अनुमान लगाया है। इसके अतिरिक्त, 28 जून, 2023 को संसाधन पर्याप्तता योजनाओं (आरएपी) की तैयारी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए, जिनमें ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ बिजली क्षेत्र की योजना के एक महत्वपूर्ण तत्व रूप में शामिल की गई हैं। ये दिशा-निर्देश अपेक्षित पीक मांग को विश्वसनीय रूप से पूरा करने और ग्रिड स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त उत्पादन, भंडारण और मांग-प्रतिक्रिया संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एक तंत्र स्थापित करते हैं । साथ में, राष्ट्रीय विद्युत योजना और संसाधन पर्याप्तता ढाँचा ऊर्जा भंडारण क्षमता को बढ़ाने, प्रणाली की विश्वसनीयता सुधारने और भारत के ऊर्जा-परिवर्तन को सक्षम बनाने का रोडमैप प्रदान करते हैं।
I. नीतिगत और नियामक उपाय
II. ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (ईएसएस) को विद्युत प्रणाली के अभिन्न भाग के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता देने के लिए दिसंबर 2022 में विद्युत नियमों में संशोधन किया गया, ताकि वे उत्पादन, संवहन और वितरण के सभी कार्यों में भाग ले सकें।
III. अक्टूबर 2022 में, ईएसएस को वित्त मंत्रालय की हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट ऑफ इन्फ्रास्ट्रक्चर में शामिल किया गया, जिससे दीर्घकालिक और कम लागत वाले वित्तीय संसाधनों तक उनकी पहुंच संभव हुई।
IV. जून 2023 में, सरकार ने राज्य उपक्रमों द्वारा संसाधन पर्याप्तता योजनाओं (आरएपी) की तैयारी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिनमें बिजली की चरम मांग को पूरा करने और प्रणाली की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा भंडारण को एक महत्वपूर्ण योजनागत संसाधन के रूप में शामिल किया गया।
V.सितंबर 2023 में, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा जारी की गई, जो भंडारण तकनीकों के इस्तेमाल, बाजार एकीकरण और नियामक सुविधा के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करती है।
VI. बीईएसएस प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाने तथा डिज़ाइन और निर्माण पद्धतियों को मानकीकृत करने के लिए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा एवं विद्युत आपूर्ति से संबंधित उपाय) (प्रथम संशोधन) विनियम, 2025 का प्रारूप और बीईएसएस के निर्माण हेतु तकनीकी मानक विनियम, 2025 का प्रारूप जारी किए गए हैं।
II. मांग-पक्ष को सक्षम करने वाले कारक और बाजार को विकसित करने के उपाय
6. अंतर-राज्यीय विद्युत संवहन प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क में छूट उन सह-स्थित बीईएसएस परियोजनाओं के लिए प्रदान की गई है जो जून 2028 तक कमीशन की जाएँगी और पीएसपी आवंटित किया जाएगा, ताकि परियोजना की व्यवहार्यता सुधारी जा सके (प्रारंभिक छूट नवंबर 2021 में अधिसूचित की गई थी)।
7. जनवरी 2022 में, सीईआरसी ने भंडारण-आधारित संसाधनों को सहायक सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति दी, जिसमें सेकेंडरी और टेर्शियरी रिज़र्व शामिल हैं, जिससे ईएसएस पारंपरिक जनरेटरों के साथ रीयल-टाइम ग्रिड संतुलन में सहायता करने में समर्थ हो सकें।
- मार्च 2022 में, वितरण लाइसेंसधारकों के लिए बीईएसएस की खरीद हेतु टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धात्मक बोली (टीबीसीबी) दिशा-निर्देश जारी किए गए, जिससे बड़े पैमाने पर भंडारण खरीद के लिए एक पारदर्शी तंत्र स्थापित हुआ।
9. विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020, जिसमें दिसंबर 2022 में संशोधन किया गया, के तहत डीजल जनरेटर सेट इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के लिए राज्य आयोग द्वारा तय समयसीमा में ऊर्जा भंडारण सहित स्वच्छ बैकअप समाधान की ओर स्थानांतरित होना अनिवार्य किया गया।
- बीईएसएस से आपूर्ति की जाने वाली विद्युत को मार्च 2023 में शुरू किए गए हाई-प्राइस डे-अहेड मार्केट में भाग लेने की अनुमति दी गई है, ताकि भंडारण अधिकतम मूल्य संकेतों पर गैस-आधारित उत्पादन की तरह प्रतिक्रिया दे सके।
- सरकार लगभग 43 जीडब्ल्यूएच की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के विकास के समर्थन में दो व्यावहारिक अंतर निधि (वीजीएफ) योजनाओं को लागू कर रही है। ये योजनाएँ प्रारंभिक चरण के इस्तेमाल में तेजी लाने के लिए मार्च 2024 और जून 2025 में शुरू की गईं।
III. आपूर्ति-पक्ष और विनिर्माण-केंद्रित उपाय
- भारी उद्योग मंत्रालय 50 जीडब्ल्यूएच की एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल निर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए, जिसमें से 10 जीडब्ल्यूएच ग्रिड-स्तरीय भंडारण के लिए निर्धारित है 18,100 करोड़ रुपये की परिव्यय राशि के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू कर रहा है (जून 2021)।
- पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) के लिए, सुविधाजनक अवसंरचना के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है, जो आरंभिक 200 एमडब्ल्यू के लिए प्रति एमडब्ल्यू ₹1 करोड़ और उसके बाद प्रति एमडब्ल्यू 0.75 करोड़ की दर से है (सितंबर 2023)।
- सीईआरसी ने गैर-सौर समय के दौरान अलग ग्रिड कनेक्टिविटी की अनुमति दी है, जिससे मौजूदा सबस्टेशनों पर अतिरिक्त नवीकरणीय क्षमता स्थापित करना और भंडारण आधारित विद्युत को शाम और रात के समय में स्थानांतरित करना संभव हो गया है (सितंबर 2025)।
- क्लोज़्ड-लूप, ऑफ-स्ट्रीम पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की वैधानिक सहमति को हटा दिया गया है, ताकि परियोजना विकास की प्रक्रिया को तेज़ किया जा सके (अगस्त 2025)।
- सितंबर 2025 में विद्युत नियमों में संशोधन के माध्यम से, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (ईएसएस) को उपभोक्ताओं द्वारा विकसित, स्वामित्व, लीज़ या संचालित करने की अनुमति दी गई, जिससे स्वामित्व और व्यवसाय मॉडलों की विविधता बढ़ी है।
- फरवरी 2025 में, सीईए ने सौर परियोजनाओं के साथ ईएसएस के सह-स्थितिकरण पर एक सलाह जारी की, जिसमें कम से कम स्थापित सौर क्षमता का 10% भंडारण क्षमता और न्यूनतम दो घंटे की अवधि रखने की सिफारिश की गई, ताकि सौर ऊर्जा की डिस्पैच क्षमता में सुधार हो सके।
यह जानकारी आज लोकसभा में विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपाद यस्सो नाइक ने लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/आरके
(रिलीज़ आईडी: 2206356)
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