भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
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भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) ने नई दिल्ली के द कुंज में राजस्थान के शिल्प संबंधी नवाचारों को प्रदर्शित करने वाली कलानुभाव प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

प्रविष्टि तिथि: 19 DEC 2025 5:35PM by PIB Delhi

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने नई दिल्ली के द कुंज मॉल में जोधपुर सिटी नॉलेज एंड इनोवेशन क्लस्टर (जेसीकेआईसी) द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में राजस्थान के प्रमुख हस्तशिल्प, हथकरघा, कारीगरों द्वारा किए गए नवाचार और राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं आजीविका कार्यक्रमों के तहत विकसित डिजाइन-पंजीकृत उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। इस उद्घाटन समारोह में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) की वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी भी मौजूद थीं। डॉ. एम. बीना, विकास आयुक्त (हथकरघा), वस्त्र मंत्रालय (एमओटी); सुश्री पद्मिनी सिंगला, संयुक्त सचिव (फाइबर), एमओटी; श्री अशोक मल्होत्रा, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, एमओटी; श्री अनुज ओझा, संयुक्त विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), और आईआईटी जोधपुर के निदेशक डॉ. अविनाश अग्रवाल के साथ-साथ ओपीएसए और जेसीकेआईसी के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

यह प्रदर्शनी कारीगरों के बनाए उत्पादों, कलानुभाव.इन, और धरोहर फिजीटल म्यूज़ियम जैसी आकर्षक पहलों को दिखाती है, जो जेसीकेआईसी के डिजाइन संबंधी नवाचारों, डिजिटल पहुंच और कारीगर समुदायों के क्षमता-विकास के प्रति समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती है। द कुंज अपनी तरह की पहली पहल है जिसका उद्देश्य कारीगरों को सशक्त बनाना, बाजार तक उनकी पहुंच बढ़ाना और भारत के शिल्प क्षेत्र को सरकार के “गांव से वैश्विक स्तर” तक ले जाने के विजन के अनुरूप ऊपर उठाना है।

उद्घाटन के दौरान, प्रोफेसर सूद ने मेहमानों को इस प्रदर्शनी देखने के लिए आमंत्रित किया और कहा, “यह सहयोग दर्शाता है कि मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एवं टी) क्लस्टर विरासत को बचाते हुए कारीगरों के लिए बाजार तक पहुंच और आर्थिक अवसरों को बढ़ाने के लिए कैसे एक साथ काम कर सकते हैं।” उन्होंने सभी हितधारकों को ऐसे उपायों को बड़े पैमाने पर अपनाने और सभी क्षेत्रों में कारीगरों की आजीविका को मजबूत करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

 

जेसीकेआईसी, कलानुभाव.इन और आकर्षक एआर/वीआर उपकरणों जैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एवं टी)-आधारित उपायों के जरिए कारीगरों की आजीविका को मजबूत करने पर ध्यान देता है और साथ ही डिजाइन पंजीकरण एवं भौगोलिक संकेत (जीआई) समर्थन के जरिए स्वदेशी शिल्पों के संरक्षण व वैश्विक पहचान को बढ़ावा देता है। वस्त्र मंत्रालय (एमओटी)  ने जेसीकेआईसी को द कुंज में राजस्थान के पारंपरिक और तकनीक-आधारित शिल्प संबंधी नवाचार को प्रदर्शित करने हेतु एक खास जगह दी है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एवं टी) पहल भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका शुभारंभ 2020 में प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) ​​की सिफारिशों पर किया गया था। यह एक कंसोर्टियम-आधारित एवं मांग-संचालित मॉडल का पालन करता है ताकि एकीकृत बहु-हितधारक इकोसिस्टम बनाए जा सकें - जिसमें उद्योग, स्टार्ट-अप, एमएसएमई, शिक्षाविद, अनुसंधान एवं विकास संस्थान, सरकारी निकाय और परोपकारी भागीदार एक साथ आएं ताकि आत्मनिर्भर भारत जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के समर्थन में समन्वित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एवं टी)-आधारित उपायों के जरिए क्षेत्र-विशेष की चुनौतियों का समाधान किया जा सके। वर्तमान में, आठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एवं टी) क्लस्टर – दिल्ली-डीआरआईआईवी (2020), हैदराबाद-आरआईसीएच (2020), जोधपुर-जेसीकेआईसी (2020), पुणे-पीकेसी (2020), भुवनेश्वर-बीसीकेआईसी (2021), बेंगलुरु-बीईएसटी (2022), उत्तरी क्षेत्र-पीआई-आरएएचआई (2023), और सबसे नया विजाग-एएमटीजेड (2024) में स्थापित हैं।

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पीके/केसी/आर/डीके


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