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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरे डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया


यह भारत के लिए सौभाग्य और गर्व की बात है कि डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र जामनगर में स्थापित किया गया है: प्रधानमंत्री

योग ने पूरी दुनिया में मानवता का स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्यपूर्ण जीवन पर मार्गदर्शन किया है: प्रधानमंत्री

भारत की पहल और 175 से अधिक राष्ट्रों के सहयोग के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया; इन वर्षों में, योग विश्वभर में फैल गया है और दुनिया के हर कोने में जीवन से जुड़ा है: प्रधानमंत्री

दिल्ली में डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है; भारत की ओर से एक विनम्र उपहार के रूप में पेश किया गया यह वैश्विक केंद्र अनुसंधान का उन्नयन करेगा, विनियमों को मजबूत करेगा और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करेगा: प्रधानमंत्री

आयुर्वेद सिखाता है कि संतुलन ही स्वास्थ्य का वास्तविक सार है, जब शरीर इस संतुलन को बनाए रखता है, तभी व्यक्ति को वास्तव में स्वस्थ माना जा सकता है: प्रधानमंत्री

संतुलन बनाना अब केवल एक वैश्विक चिंता नहीं रह गयी है—यह एक वैश्विक आपात स्थिति बन चुकी है और इसे संबोधित करने के लिए हमें तेज़ गति और दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना होगा: प्रधानमंत्री

शारीरिक परिश्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की बढ़ती उपलब्धता मानव स्वास्थ्य के लिए अप्रत्याशित चुनौतियाँ पैदा कर रही है: प्रधानमंत्री

पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल को तत्काल आवश्यकताओं से आगे देखना होगा, भविष्य की तैयारी करना भी हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है: प्रधानमंत्री

प्रविष्टि तिथि: 19 DEC 2025 7:07PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में दूसरे डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन दिनों में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े विश्वभर के विशेषज्ञों ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि इस उद्देश्य के लिए भारत एक मजबूत मंच के रूप में काम कर रहा है और इस प्रक्रिया में डब्ल्यूएचओ की सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए डब्ल्यूएचओ, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और सभी उपस्थित प्रतिभागियों को हार्दिक धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह भारत के लिए सौभाग्य और गर्व का विषय है कि डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र जामनगर में स्थापित किया गया है।” उन्होंने याद किया कि 2022 में, पहले पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के दौरान, दुनिया ने बड़ा विश्वास रखते हुए भारत को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। श्री मोदी ने कहा कि यह सभी के लिए खुशी की बात है कि केंद्र की प्रतिष्ठा और प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है और इस शिखर सम्मेलन की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक प्रथाओं का संगम हो रहा है और यहां कई नई पहलें शुरू की गई हैं, जो चिकित्सा विज्ञान और समग्र स्वास्थ्य के भविष्य को बदल सकती हैं। उन्होंने जोर दिया कि शिखर सम्मेलन ने स्वास्थ्य मंत्रियों और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया है, जिसने संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करने, नियमों को सरल बनाने, और प्रशिक्षण का उन्नयन करने व ज्ञान साझा करने के लिए नए रास्ते खोले हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि इस तरह का सहयोग भविष्य में पारंपरिक चिकित्सा को ज़्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि शिखर सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई सर्वसम्मति, वैश्विक साझेदारियों की ताकत को प्रतिबिंबित करती है। अनुसंधान को मजबूत करना, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना और ऐसे नियामक ढांचे बनाना जिन पर पूरे विश्व में भरोसा किया जा सके, पारंपरिक चिकित्सा को बहुत सशक्त बनाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि एक्सपो में डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक, एआई-आधारित उपकरण, अनुसंधान नवाचार और आधुनिक आरोग्य अवसंरचना प्रदर्शित किये गये, जो परंपरा और तकनीक के नए सहयोग को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब परंपरा और तकनीक एक साथ आती हैं, तो वैश्विक स्वास्थ्य को अधिक प्रभावशाली बनाने की क्षमता काफी बढ़ जाती है, इसलिए इस शिखर सम्मेलन की सफलता वैश्विक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “योग पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है और इसने पूरे विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का मार्ग दिखाया है।” उन्होंने याद दिलाया कि भारत के प्रयासों और 175 से अधिक देशों के समर्थन से, संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। श्री मोदी ने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में योग विश्व के हर कोने तक पहुँच गया है। उन्होंने हर उस व्यक्ति की सराहना की, जिसने योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आगे कहा कि आज कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रधानमंत्री पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिन्हें एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा कठोर प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये पुरस्कार विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और जीवनभर की प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं और उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। प्रधानमंत्री ने अपनी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देते हुए सम्मानित पुरस्कार विजेताओं की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने यह देखकर खुशी हुई कि इस शिखर सम्मेलन के परिणामों को स्थायी रूप देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय की शुरुआत को एक वैश्विक मंच के रूप में रेखांकित किया, जो पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित वैज्ञानिक डेटा और नीति दस्तावेजों को एक ही स्थान पर संरक्षित करेगा। श्री मोदी ने जोर दिया कि यह पहल उपयोगी जानकारी को समान रूप से हर देश तक पहुंचाना आसान बनाएगी। उन्होंने याद दिलाया कि इस पुस्तकालय की घोषणा भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान पहले डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन में की गई थी और आज वह प्रतिबद्धता साकार हो गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने वैश्विक साझेदारी का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है, साझेदारों की मानक, सुरक्षा और निवेश जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि इस संवाद ने दिल्ली घोषणा के मार्ग को प्रशस्त किया है, जो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप के रूप में काम करेगा। श्री मोदी ने विभिन्न देशों के विशिष्ट मंत्रियों के संयुक्त प्रयास की सराहना की और उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

श्री मोदी ने आगे कहा कि आज दिल्ली में डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन भी किया गया, इसे भारत का एक विनम्र उपहार बताया। उन्होंने जोर दिया कि यह कार्यालय अनुसंधान, विनियमन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देते हुए कहा कि भारत दुनिया भर में उपचार साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, उन्होंने दो महत्वपूर्ण सहयोगों को साझा किया, पहला बिम्सटेक देशों के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना है, जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को कवर करता है, और दूसरा जापान के साथ एक सहयोग है जिसका उद्देश्य विज्ञान, पारंपरिक प्रथाओं और स्वास्थ्य को एकीकृत करना है।

प्रधानमंत्री ने इस शिखर सम्मेलन के विषय, 'संतुलन स्थापित करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास,' को रेखांकित करते हुए कहा कि यह समग्र स्वास्थ्य के मौलिक विचार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में संतुलन को स्वास्थ्य के बराबर माना जाता है, और केवल वही लोग सच में स्वस्थ होते हैं, जिनके शरीर इस संतुलन को बनाए रखते हैं। उन्होंने यह भी इंगित किया कि आज, मधुमेह, हृदयाघात, अवसाद से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों का मूल कारण अक्सर जीवनशैली और असंतुलन हैं, जिसमें कार्य-जीवन असंतुलन, आहार असंतुलन, नींद असंतुलन, आंत माइक्रोबायोम असंतुलन, कैलोरी असंतुलन और भावनात्मक असंतुलन शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कई वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ इन असंतुलनों से उत्पन्न हो रही हैं तथा अध्ययन और डेटा इसकी पुष्टि कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे और भी बेहतर समझते हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि 'संतुलन बनाना' केवल एक वैश्विक चिंता नहीं बल्कि एक वैश्विक आपातकाल है। उन्होंने इसे संबोधित करने के लिए तेज़ कदम उठाने का आह्वान किया।

21वीं सदी में जीवन में संतुलन बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है, इस बात को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि एआई और रोबोटिक्स के साथ नई तकनीकी युग का आगमन मानव इतिहास में सबसे बड़ा परिवर्तन प्रस्तुत करता है, और आने वाले वर्षों में जीवन शैली अभूतपूर्व तरीकों से बदल जाएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीवनशैली में ऐसे अचानक परिवर्तन तथा शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की उपलब्धता, मानव शरीर के लिए अप्रत्याशित चुनौतियाँ पैदा करेगी। प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल को केवल वर्तमान की आवश्यकताओं का ही नहीं बल्कि भविष्य की जिम्मेदारियों का भी समाधान करना चाहिए, जो सभी का साझा दायित्व हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पारंपरिक चिकित्सा पर चर्चा होती है, तो स्वाभाविक रूप से सुरक्षा और साक्ष्य से संबंधित सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान अश्वगंधा का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बल दिया कि सदियों से अश्वगंधा भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग की जा रही है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि कोविड-19 के दौरान इसकी वैश्विक मांग तेजी से बढ़ गई और इसका कई देशों में उपयोग शुरू हो गया। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत, अपने शोध और साक्ष्य आधारित सत्यापन के माध्यम से, अश्वगंधा को विश्वसनीय तरीके से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में अश्वगंधा पर एक विशेष वैश्विक चर्चा आयोजित की गई। उन्होंने उल्लेख किया कि अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहन विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री ने यह विश्वास जताया कि भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि ऐसी समय पर खरी उतरी जड़ी-बूटियों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य का हिस्सा बनाया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा धारणा थी कि पारंपरिक चिकित्सा केवल स्वास्थ्य या जीवनशैली तक ही सीमित है, लेकिन आज यह धारणा तेजी से बदल रही है। श्री मोदी ने आगे कहा कि पारंपरिक चिकित्सा गंभीर परिस्थितियों में भी प्रभावी भूमिका निभा सकती है और भारत इस विज़न के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने खुशी जताई कि आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन-पारंपरिक चिकित्सा केंद्र ने एक नई पहल शुरू की है। उन्होंने उल्लेख किया कि दोनों ने भारत में समग्र कैंसर देखभाल को मजबूत करने के लिए संयुक्त प्रयास किये हैं, जिसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ संयोजित किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहल साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देश तैयार करने में भी मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि भारत में कई महत्वपूर्ण संस्थान गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि एनीमिया, गठिया और डायबिटीज पर नैदानिक अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कई स्टार्ट-अप्स ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा है, जिनमें युवा ऊर्जा प्राचीन परंपरा के साथ जुड़ रही है। उन्होंने रेखांकित किया कि इन सभी प्रयासों के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा स्पष्ट रूप से नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्व की एक बड़ी आबादी लंबे समय से इस पर निर्भर रही है, लेकिन अपार संभावनाओं के बावजूद पारंपरिक चिकित्सा को वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वह वास्तव में हकदार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भरोसा, विज्ञान के माध्यम से प्राप्त किया जाना चाहिए और इसकी पहुंच को और अधिक व्यापक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि यह जिम्मेदारी किसी एक राष्ट्र की नहीं, बल्कि सबकी साझा जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि इस शिखर सम्मेलन के पिछले तीन दिनों में हुई भागीदारी, संवाद और प्रतिबद्धता ने यह विश्वास और मजबूत कर दिया है कि विश्व इस दिशा में साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। उन्होंने सभी से अपील की कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाने का संकल्प लें। उन्होंने एक बार फिर से शिखर सम्मेलन की सफलता पर सभी को बधाई दी।

इस कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस, केंद्रीय मंत्री श्री जेपी नड्डा, श्री प्रतापराव जाधव तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

दूसरा डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन कार्यक्रम भारत के बढ़ते नेतृत्व और वैश्विक, विज्ञान-आधारित एवं जन-केंद्रित पारंपरिक चिकित्सा एजेंडा को आकार देने में किए जा रहे अग्रणी प्रयासों को रेखांकित करता है।

प्रधानमंत्री ने पारंपरिक चिकित्सा और भारतीय ज्ञान प्रणाली को अनुसंधान, मानकीकरण और वैश्विक सहयोग के माध्यम से मुख्यधारा में लाने पर लगातार जोर दिया है। इस विज़न के अनुरूप, कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने कई महत्वपूर्ण आयुष पहलों का शुभारंभ किया, जिनमें मेरा आयुष एकीकृत सेवा पोर्टल (एमएआईएसपी) शामिल है, जो आयुष क्षेत्र के लिए एक प्रमुख डिजिटल पोर्टल है। उन्होंने आयुष चिन्ह का भी अनावरण किया, जिसकी परिकल्पना आयुष उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के वैश्विक मानक के रूप में की गयी है।

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने योग में प्रशिक्षण पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी रिपोर्ट और पुस्तक “जड़ों से वैश्विक पहुँच तक: आयुष में बदलाव के 11 साल” जारी की। उन्होंने अश्वगंधा पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया, जो भारत की पारंपरिक औषधीय विरासत की वैश्विक प्रतिध्वनि का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री ने दिल्ली में नए डब्ल्यूएचओ-दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय परिसर का भी उद्घाटन किया, जिसमें डब्ल्यूएचओ का भारत कार्यालय भी स्थित होगा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ भारत की साझेदारी की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को रेखांकित करता है।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2021–2025 के लिए योग के प्रचार और विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित किया। ये पुरस्कार योग और इसके वैश्विक प्रचार के प्रति विजेताओं के लगातार समर्पण को मान्यता देते हैं। ये पुरस्कार संतुलन, कल्याण और सामंजस्य के एक शाश्वत अभ्यास के रूप में योग की पुष्टि करते हैं, जिससे एक स्वस्थ और मजबूत नए भारत में योगदान मिलता है।

प्रधानमंत्री ने ‘पारंपरिक औषधि खोज स्थल’ प्रदर्शनी का भी दौरा किया, जो भारत और विश्व भर के पारंपरिक औषधि ज्ञान प्रणालियों की विविधता, गहराई और समकालीन प्रासंगिकता को प्रदर्शित करती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, यह शिखर सम्मेलन 17 से 19 दिसंबर 2025 तक ‘संतुलन स्थापित करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास’ विषय के तहत भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, स्थानीय ज्ञान धारकों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के बीच समान, सतत और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य प्रणाली को आगे बढ़ाने पर गहन चर्चा हुई।

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पीके/केसी/जेके


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