इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
भारत की एआई(AI) गवर्नेंस दिशानिर्देश उच्च-जोखिम वाले एआई-प्रणाली के अनियंत्रित उपयोग की अनुमति नहीं देते
व्यक्तियों और समाज से जुड़े जोखिमों से निपटने के लिए सुरक्षा उपाय निर्धारित किया गया है
प्रविष्टि तिथि:
19 DEC 2025 8:19PM by PIB Delhi
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप, सरकार प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग को लोकतांत्रिक बना रही है। इसका मुख्य उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए करना और विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है।
भारत सरकार ने इसके नियमन के लिए एक संतुलित और व्यावहारिक तकनीकी-कानूनी (टेक्नो-लीगल) तरीका अपनाया है। भारत की एआई रणनीति विश्व-भर के कानूनी ढांचों के अध्ययन और हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया गया है।
भारत सिर्फ कानूनों या बाजार की ताकतों पर निर्भर रहने के बजाय, कानूनी सुरक्षा उपायों को तकनीकी समाधानों के साथ जोड़ता है। सरकार डीपफेक पहचान, गोपनीयता संरक्षण और साइबर सुरक्षा के लिए एआई(AI) टूल्स विकसित करने हेतु आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) परियोजनाओं को वित्तपोषित कर रही है।
यह दृष्टिकोण भारत की इस विश्वास को दर्शाता है कि प्रभावी एआई(AI) शासन को व्यावहारिक तकनीकी हस्तक्षेपों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नागरिकों की सुरक्षा, विश्वास और अधिकारों से समझौता किए बिना नवाचार जारी रहेगा।
इंडिया एआई(AI) गवर्नेंस दिशानिर्देश
इंडिया AI गवर्नेंस दिशानिर्देश 5 नवंबर 2025 को जारी किए गए। ये दिशानिर्देश देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) के सुरक्षित, जिम्मेदार और समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करते हैं।
दिशानिर्देश मानते हैं कि एआई आर्थिक विकास और सामाजिक बदलाव का एक बड़ा जरिया है। साथ ही, यह व्यक्तियों और समाज के लिए कुछ जोखिम भी उत्पन्न कर सकता है, इनमें से कुछ हैं- भेदभाव, अनुचित नतीजे, बहिष्कार और पारदर्शिता की कमी।
दिशानिर्देश उच्च-जोखिम वाले एआई प्रणाली के अनियंत्रित उपयोग की अनुमति नहीं देते। इनमें जोखिम-आधारित, साक्ष्य-आधारित और अनुपातिक शासन दृष्टिकोण अपनाया गया है।
व्यक्तियों और समाज को होने वाले जोखिमों से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों की रूपरेखा तैयार की गई है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र के भीतर प्रवर्तन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्रीय नियामकों की ही बनी रहेगी।
ये दिशानिर्देश चुस्त और लचीले बनाए गए हैं। ये सिद्धांतों पर आधारित हैं, न कि किसी खास तरीके पर। इनका उद्देश्य नवाचार को रोके बिना किए बिना जिम्मेदार एआई(AI) अपनाने को प्रोत्साहित करना है।
ये स्वतंत्र ऑडिट, अपील या नए निगरानी निकायों जैसे नए वैधानिक तरीके पेश नहीं करते हैं। इसके बजाय, ये मौजूदा कानूनों पर आधारित हैं, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और क्षेत्र-विशिष्ट विनियम शामिल हैं।
दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि इस चरण में एक नए समग्र (हॉरिज़ॉन्टल) एआई(AI) कानून की आवश्यकता नहीं है, जो सरकार के समग्र दृष्टिकोण के अनुरूप है।
यह जानकारी 19 दिसंबर 2025 को राज्यसभा में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद द्वारा दी गई।
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पीके/केसी/पीकेपी
(रिलीज़ आईडी: 2206900)
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